जिला की विभिन्न मंडियों में अब तक 480077 मीट्रिक टन गेहूं की आवक हो चुकी है। विभिन्न सरकारी खरीद एजेंसियो द्वारा 1735 रूपये प्रति किवंटल के भाव से गेहूं खरीदा गया है। अब तक की खरीद में खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा 271417 मीट्रिक टन गेहूं,हैफड द्वारा 181940 मीट्रिक टन, एफसीआई द्वारा 7409 मीट्रिक टन तथा राज्य भण्डारंण निगम द्वारा 19311 मीट्रिक टन खरीदा गया है।
उक्त संदर्भ में जानकारी देते हुए उपायुक्त आदित्य दहिया ने बताया कि चालू सीजन में अब तक करनाल की अनाज मंडी में 75662 मीट्रिक टन गेहूं की आवक हुई, जिसमें से खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा 49797 तथा हैफेड द्वारा 25865 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया। असंध की अनाज मंडी में 71215 मीट्रिक टन गेहूं की आमद हुई जिसमें से खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा 35895 तथा हैफेड द्वारा 35320 मीट्रिक टन खरीदा गया।
घरौंडा मंडी में 73943 मीट्रिक टन गेहूं की आवक हुई जिसमें से खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा 40700 तथा हैफेड द्वारा 25850 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया जबकि एफसीआई द्वारा 7393 मीट्रिक टन द्वारा खरीदी गई। इन्द्री अनाज मंडी में 22374 मीट्रिक टन गेहूं की आमदन हुई जिसमें से खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा 19074 मीट्रिक टन तथा हैफेड द्वारा 3300 मीट्रिक टन गेंहू खरीदा गया।
इसी प्रकार कुंजपुरा मंडी में 14236 मीट्रिक टन गेहूं की आवक हुई है जिसमें से खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा 7137 मीट्रिक टन, हैफेड़ द्वारा 7099 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया। निसिंग की अनाज मंडी में 69137 मीट्रिक टन गेहूं की आवक हुई जिसमें से खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा 40060 मीट्रिक टन, हैफेड द्वारा 22640 मीट्रिक टन तथा राज्य भण्डारंण निगम द्वारा 6437 मीट्रिक टन गेहूं खरीदी गई।
तरावडी की अनाज मंडी में 50780 मीट्रिक टन गेहूं की आवक हुई जिसमें से खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा 39480 मीट्रिक टन तथा हैफेड द्वारा 11300 मीट्रिक टन खरीदा गया । इसी प्रकार अन्य मंडियों और खरीद केन्द्रों में भी गेहूं की खरीद सम्बन्धित एजेंसियों द्वारा की गई।
उपायुक्त ने किसानों का आह्वान किया कि वह सभी अपनी फसल को सुखाकर मंडियों में लाए ताकि उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत ना हो। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि खेत में गेहूं की कटाई के बाद, अवशेषों को ना जलाएं। इससे प्रदूषण फैलता है जो हानिकारक है।
खेतों में आग लगाने से मित्र कीड़े नष्ट हो जाते हैं तथा भूमि की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है। जी.टी.रोड पर विशेषकर शाम के समय धुंआ इकट्ठा हो जाता है,जिससे वाहनों की आवा-जाही में विजन को लेकर दिक्कत आती है तथा दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं।