विर्क अस्पताल और जेसीआई करनाल एजाइल की ओर से करनाल क्लब में सेमिनार लगाकर पुलिसकर्मियों को सडक़ दुर्घटनाओं में घायल लोगों की जान बचाने के तरीके बताए गए। पुलिसकर्मियों को बताया गया कि वह घायल व्यक्ति को अस्पताल ले जाते समय कौन सी सावधानियां बरतें। सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में डीएसपी हैड क्वार्टर रमेश चंद्र पहुंचे।
विर्क अस्पताल के संचालक डा. बलबीर सिंह विर्क, न्यूरोसर्जन डा. अश्वनी कुमार और डा. मुकुल सालदी ने हादसों में घायल होने वाले व्यक्ति की जान बचाने को लेकर बारीकी से टिप्स दिए। न्यूरोसर्जन डा. अश्वनी कुमार ने प्रयोगात्मक तरीकों से पुलिसकर्मियों को समझाया कि वह घायल व्यक्ति को सडक़ से उठाते समय और एंबुलेंस से अस्पताल लाते समय विशेष तरीकों का इस्तेमाल करें। घायल व्यक्ति को उठाने में लापरवाही बरतने से उसकी मौके पर ही मौत हो जाती है।
घायल व्यक्ति के शरीर को पूरी स्पोर्ट दें। अगर चार-पांच लोग मिलकर घायल व्यक्ति को एंबुलेंस तक ले जाने का प्रयास कर रहे हैँ तो यह ध्यान रखें कि एक साथ पूरे शरीर को उठाएं। अगर किसी व्यक्ति ने घायल व्यक्ति की गर्दन को पहले उठा लिया और बाकी शरीर को बाद में उपर उठाया जाए तो इससे शरीर में रक्तसंचार गलत दिशा में हो जाता है। ऐसे में घायल व्यक्ति को बहुत नुकसान पहुंचता है। यह बातें हमेशा दिमाग में रखें। सावधानियां बरतने से कई जिंदगियों को अकाल मृत्यु से बचा सकते हैं।
डा. बलबीर सिंह विर्क ने कहा कि हादसों में घायल होने वाले लोगों को समय पर अस्पताल पहुंचाना बहुत जरूरी हो जाता है। इधर डाक्टर का यह फर्ज बनता है कि अस्पताल में पहुंचते ही घायल व्यक्ति का इलाज शुरू किया जाए। इलाज में थोड़ी से देरी से व्यक्ति की जान जोखिम में पड़ जाती है। सेमिनार में विर्क अस्पताल की ओर से यह घोषणा की गई कि घायलों की मदद के लिए जरूरत का सामान पुलिस की सभी पीसीआर में पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
डीएसपी रमेश चंद्र ने कहा कि सेमिनार में पुलिसकर्मियों को डाक्टरों की ओर से महत्वपूर्ण जानकारियंा और टिप्स दिए गए हैं। पुलिसकर्मी घायलों को अस्पताल पहुंचाने में सावधानियां बरतेंगे। पुलिस का हर संभव प्रयास रहता है कि घायल को व्यक्ति को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाकर उसका इलाज शुरू करवाया जाए। जेसीआई प्रेजिडेंट राकेश वर्मा, जेसी प्रवेश गाबा और जेसी मोहित ने सेमिनार में पहुंचे अतिथिगणों और पुलिसकर्मियों का आभार व्यक्त किया।
देश में प्रतिदिन सडक़ हादसों में होती 17 मौतें
न्यूरोसर्जन डा. अश्वनी कुमार ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार देश में हर रोज 17 युवा सडक़ हादसों में मौत का शिकार हो जाते हैं। 18 से 29 वर्ष आयु के लोग सबसे ज्यादा हादसों का शिकार हो रहे हैं। इसका मुख्य कारण लापरवाही और यातायात नियमों की उल्लंघना करना है। युवाओं की मृत्यु से परिवार, समाज और देश को नुकसान होता है। सडक़ हादसों को रोकने के लिए जागरूकता जरूरी है। यातायात नियमों की हर व्यक्ति को पालना करनी चाहिए। लंबी यात्रा चार पहिया वाहनों पर करें। दो पहिया वाहन चलाते समय हैल्मेट जरूर पहनें। कभी भी शराब पीकर वाहन न चलाएं।