December 23, 2024
government is making strategies to double the income of the farmers of the state

प्रदेश के अन्नदाता किसानो की आय दोगुनी करने के लिए सरकार खेती और इससे जुड़े व्यवसायों में कम लागत से अधिक मुनाफा कमाने की संभावनाओ का पता लगाकर उसकी रणनीति बनाने पर विचार कर रही है। वीरवार को मुख्यमंत्री कार्यालय के सुशासन सहयोगी (सी.एम.जी.जी.ए.) अपुला ने करनाल आकर उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया के साथ एक मिटिंग कर सरकार की इस योजना पर बातचीत की। उन्होने बताया कि पिछले दिनो हिमाचल में सरकार ओर वरिष्ठ अधिकारियों के चिंतन शिविर में किसानो की आय दोगुनी कैसे हो, इस पर भी मंथन किया गया था। अब सरकार ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है।

उपायुक्त से भेंट के बाद सी.एम.जी.जी.ए. ने यहां के राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक अनुसंधान ब्यूरो (एन.बी.ए.जी.आर.), एन.डी.आर.आई., कृषि विभाग के अधिकारी व प्रगतिशील किसानो से इंटरेक्ट कर जानकारी जुटाई। एन.बी.ए.जी.आर. के निदेशक डॉ. आर्जव शर्मा ने बातचीत में बताया कि हरियाणा कृषि प्रधान प्रदेश है। किसानो की आय का मुख्य साधन खेती और पशुपालन है। पिछले दशको में वैज्ञानिको के अनुसंधान से खाद्यानो में अभूतपूर्व वृद्धि हुई, यह सच है। लेकिन खेती में अधिक लागत से किसानो को उतना लाभ नहीं मिल रहा, जितना मिलना चाहिए।

उन्होने कहा कि इस चिंता को लेकर देश के प्रधानमंत्री और हरियाणा की सरकार किसानो की आय दोगुना करने की रणनीति को लेकर इन दिनो विचार कर रही है, यह एक अच्छी पहल है। उन्होने बताया कि खेती में लागत घटाने के लिए फर्टीलाईज़र का उपयोग कम करना होगा, ऑर्गेनिक तरीको को अपनाना होगा। परम्परागत फसलों के साथ-साथ इसके विविधीकरण को अपनाना होगा।

दूसरी ओर दुग्ध उत्पादन में हरियाणा की स्थिति ठीक है। इसे ओर बेहतर बनाने के लिए गाय और भैंसों की स्वदेशी नसलों को बढाना होगा, इनमें साहीवाल, हरियाणा ब्रीड और मुर्रा नस्ल प्रारम्भ से ही अच्छी मानी गई है। उन्होने बताया कि देसी गाय बेशक स्वेदशी नस्ल की गायो से कम दूध देती है, लेकिन इनकी दूध देने की आयु वर्षों तक चलती है, दूध में प्रॉटीन की परचूर मात्रा होती है, जो मंहगे दामो पर बिकता है। इनके पालन में चारे इत्यादि का खर्चा भी बहुत कम होता है।

इसी प्रकार मुर्रा भैंस दूध देने में सबसे अच्छी नस्ल रही है। डॉ. आर्जव ने बताया कि सहकारी दुग्ध उत्पादन संघों की संख्या बढनी चाहिए। इसके लिए सरकार पशु-पालकों का प्रोत्साहित करे। गाय, भैंस के अतिरिक्त भेड़-बकरी, सुअर पालन और मतस्य पालन के व्यवसायों से भी किसानो विशेषकर छोटे किसानो को जुडऩा चाहिए। इनमें लागत कम ओर मुनाफा ज्यादा रहता है। सरकार ऐसे व्यवसायों के लिए वित्तीय और तकनीकि सहायता प्रदान करती है।

एन.डी.आर.आई. के प्रधान वैज्ञानिक (इकोनॉमिक्स) डॉ. अनिल दीक्षित ने भेंट में बताया कि मौजूदा सिस्टम को इनोवेट करने की जरूरत है। स्कूलों मेें उपलब्ध पाठ्यक्रम में आधुनिक खेती और इससे जुड़े व्यवसायों पर भी शिक्षा देनी चाहिए, ताकि खेती से जुडऩे वाले युवा ज्ञान अर्जित कर नई-नई तकनीके अपनाकर ज्यादा मुनाफे की ओर अग्रसर हो सकें। उन्होने कहा कि ग्राम पंचायतें किसानो को जागरूक करने के लिए अच्छी भुमिका निभा सकती है।

ग्राम स्तर पर कृषि विभाग के अधिकारियों के अधिक से अधिक शिविर व डॉक्यूमेंटरी फिल्में दिखाई जानी चाहिए, ताकि उन्हे सरकारी स्कीमो ओर उनके फायदो के बारे में जानकारी मिलती रहे। डेयरी सैक्टर पर बातचीत करते हुए उन्होने बताया कि पशुओं से प्राप्त गोबर की वेस्ट मेनेजमैंट को लेकर किसान बड़े गोबर गैस प्लांट लगा सकते हैं।

छोटे किसान ऐसे प्लांटो में गोबर देकर उससे आय प्राप्त कर सकते हैं। इसी प्रकार अधिक से अधिक फीड प्लांट भी लगाए जाएं ओर सरकार ऐसे व्यवसायियों को इन्सेंटिव दे। उन्होने बताया कि दूध ओर इससे बने उत्पादो को भी किसान व पशु-पालक अपनी आय में बढोतरी कर सकते हैं।

सी.एम.जी.जी.ए. अपूला ने अपने दौरे के दौरान उप कृषि निदेशक के माध्यम से जिला के प्रगतिशील किसान साहब सिंह से भेंट कर आधुनिक खेती व विविधीकरण की जानकारी ली। उन्होने बताया कि फार्मर प्रॉड्यूसर ऑग्रेनाईजेशन (एफ.पी.ओ.) अधिक से अधिक बनने चाहिए।

सीमांत किसान नए-नए कृषि यंत्रो को अकेला नहीं खरीद सकता, गु्रप में शामिल होकर ऐसे यंत्रो की खरीद की जा सकती है। कृषि विविधीकरण को लेकर प्रदेश के किसानो को पोलीहाऊस, नैट हाऊस लगाकर उनमें सब्जियों व फूलों की काश्त करनी चाहिए। यह अच्छे मुनाफे का सौदा है, लेकिन पॉलीहाऊस, नैटहाऊस लगाने के लिए किसानो को कृषि विशेषज्ञों से अधिक से अधिक प्रशिक्षण मिलना चाहिए। किसानो को सब्जियों की काश्त करनी चाहिए या शॉर्टटर्म खेती है और ज्यादा मुनाफा देती है। उन्होने बताया कि भावांतर योजना सरकार की अच्छी योजना है, लेकिन इसमें सरकार की ओर से निर्धारित रेट बढाने चाहिए, क्योंकि किसानो की लागत ज्यादा आती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.