पब्लिक हैल्थ ग्रामीण टयूबवैल आपरेटरों ने आज 35वें दिन भी अपनी मांगों को लेकर लघु सचिवालय के समक्ष डेरा डाले रखा। धरने पर बैठे टयूबवैल आपरेटरों ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए सरकार के कानों को खोलने के लिए जोरदार नारेबाजी की। आज के धरने की अध्यक्षता शहरी प्रधान प्रवीन कुमार वोहरा ने की और कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगे पूरी नहीं करती वे धरने पर डटे रहेंगे। इस अवसर पर प्रदीप तिवारी, रवि, नितिन बग्गा, मोहन, रोहित कुमार, लक्की, रविंद्र, पवन, प्रमोद, बलराम, संजीव, विनोद कुमार व सोनू शर्मा सहित अन्य टयूबवैल आपरेटरों ने सरकार के खिलाफ गुस्सा निकाला।
धरने की अध्यक्षता कर रहे शहरी प्रधान प्रवीन कुमार ने बताया कि 22 अक्तूबर 2017 को हरियाणा राज्य कर्मचारी संघ हरियाणा का शिष्टमंडल बातचीत करने के लिए बुलाया गया था, जिसमें सभी पार्ट टाईम टयूबवैल आपरेटर को आठ घंटे का कार्य देने व न्यूनतम वेतन बैंक के माध्यम से देने पर सहमति बनी थी लेकिन चार माह बीत जाने के बाद भी सरकार ने इन पार्ट टाईम टयूबवैल आपरेटरों की मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया बल्कि इनका रोजगार छीन लिया गया। उन्होंने कहा कि कई जिलों के पार्ट टाईम टयूबवैल आपरेटरों को हटाया जा रहा है जिसके कारण उनका परिवार भूखमरी के कगार पर पहुंच गया है तथा उनके बच्चों की पढ़ाई भी छूट गई है।
उन्होंने बताया कि पार्ट टाईम टयूबवैल आपरेटर गांव व शहरों में आठ से दस घंटे काम करते है, लेकिन सरकार उन्हें पार्ट टाईम मानती है। इसके विपरीत यही कार्य सरकार अपने पक्के सरकारी आपरेटरों से आठ घंटे के पैसे देकर करवाती है जोकि सरासर सरकार का भेदभावपूर्ण रवैया है। टयूबवैल आपरेटरों ने कहा कि वे गांव के होने के कारण जब भी लाईट आती है तभी पानी की जरुरत पूरा करते हैं। गांव में लोगों की जरुरत के हिसाब से पानी दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि पिछली हुड्डा की सरकार ने हमारे कार्य को देखते व समझते हुए वेतन छह महीने के अंदर दो बार बढ़ाया था और बीती 24 अगस्त 2014 को हमारा लैटर जारी किया था, जिसमें पंचायत द्वारा लगाए गए आपरेटरों को 8100 रुपये सीधे खाते में देने बारे था। उन्होंने कहा कि वह चार वर्षों से अपनी मांगों को लेकर वर्तमान सरकार से हक मांग रहे हैं लेकिन सरकार द्वारा केवल गुमराह किया जा रहा है। हमें चार वर्षों से 4050 रुपये ही दिये जाते हैं। गांव में गरीब लोगों को और गरीब करने का काम इस सरकार द्वारा किया जा रहा है इसलिए सरकार से अनुरोध है कि हमारी समस्याओं को समझते हुए हमारा वेतन सरकार के माध्यम से हमारे बैंक खातों में डाला जाए।