भा.कृ.अनु.प.-गन्ना प्रजनन संस्थान, क्षेत्रीय केन्द्र द्वारा शनिवार को ’’गन्ना किसानों की आय दुगुनी करने की रणनीति’’ विशय पर एक दिवसीय किसान मेला आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता डा. बक्षी राम, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयम्बत्तूर द्वारा की गयी। किसान मेले के मुख्य अतिथि हरियाणा शुगरफैड के चेयरमैन चन्द्र प्रकाश कथूरिया द्वारा किसान मेले का उद्घाटन किया गया। मंच का संचालन डा. एस.के. पाण्डेय द्वारा किया गया। केन्द्र के अध्यक्ष, डा. नीरज कुलश्रेश्ठ द्वारा किसानों को केन्द्र की गतिविधियों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गयी और बताया कि हमारा केन्द्र अपने यहां पर किसानों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करता रहता है जिससे किसान गन्ने की खेती से सबंधित जानकारी प्राप्त कर सके। अद्भूत गन्ना किस्म को. 0238 सहित दस उन्नत गन्ना किस्मों के जनक डा. बक्षी राम, निदेशक, गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयम्बत्तूर ने मुख्य अतिथि चन्द्र प्रकाष कथुरिया का गुलदस्ता देकर उनका स्वागत किया।
इस अवसर पर चेयरमैन ने कहा कि आज किसानों को खेती अत्याधुनिक ढंग से करने की जरूरत हैं। किसानों की आय दोगुनी हो, इसके लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करने चाहिए क्योंकि यदि देश का किसान तरक्की करेगा तो देश तरक्की करेगा। किसान खुशहाल होगा तो देश खुशहाल होगा। चीनी उद्योग देश का दूसरा सबसे प्रमुख कृषि आधारित उद्योग है और इस केन्द्र के द्वारा विकसित किस्मों से किसानों को अधिक उपज और चीनी उघोग को अधिक चीनी परता प्राप्त हुई। गन्ना प्रजनन संस्थान क्षेत्रीय केन्द्र करनाल के आस-पास के उत्तर प्रदेश व हरियाणा के क्षेत्र में गन्ने की औसत पैदावार लगभग 80 टन प्रति हैक्टेयर है जो इस केन्द्र के सराहनीय योगदान को दर्शाता है। गन्ना प्रजनन संस्थान के करनाल केन्द्र की प्रजातियाँ को. 0238 तथा को. 0118 पूरे उत्तर भारत की चीनी मिलों की पहली पंसद बन चुकी है। देश आज खाद्यान उत्पादन मे नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।
गन्ना किसान तिलहनों व दलहनो को गन्ने में अन्त: फ सल के रुप में खेती करके व आधुनिक तरीकों से खेती करके आय बढ़ा सकता है। हरियाणा सरकार गन्ना किसानों के हितों को मध्य नजर रखते हुए देश भर में उनको सर्वाधिक गन्ने का भाव 330 रूपये प्रति क्विंटल दे रही है और इसके अलावा चीनी मिलों के नवीनीकरण व विस्तारीकरण पर भी काफी ध्यान दे रही है। अभी हाल ही में मुख्यमंत्री द्वारा नई करनाल सहकारी चीनी मिल जिसकी पिराई क्षमता 3500 टी.सी.डी. के साथ-साथ रिफ ाइन्ड सुगर व 15 मेगावाट बिजली का उत्पादन, इसी तरह पानीपत चीनी मिल का गांव डाहर में भी 5000 टी.सी.डी. पिराई क्षमता सहित डिस्टीलरी लगाई जा रही है। जिनका शिलान्यास किया जा चुका है। इसी कडी में शाहबाद सुगर मिल में 60 के.एल.पी.डी. की क्षमता का डिस्टीलरी/इथेनाल ईकाई परियोजनाओं पर जल्द ही कार्यवाही षुरू कर दी जायेगी। यह चीनी मिलें आधुनिक तकनीकों द्वारा संचालित होगी।
इससे पहले किसान मेले में लगी प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए चेयरमैन चंद्रप्रकाश कथूरिया ने विभिन्न कम्पनियों के प्रतिनिधियों का आहवान किया कि वह अपने उत्पादों को मेक इन इंडिया के तहत और अधिक बेहतर बनाएं और जो इन उत्पादों को कम दामों में किसानों तक पहुंचाएं। उन्होंने वैज्ञानिकों से आहवान किया कि वह अपनी शोध और उन्नत तकनीक को किसानों तक पहुंचाएं। इसके लिए खेतों में जाकर किसान गोष्ठियों का आयोजन करें जिसमें वह स्वयं किसानों के बीच में जाकर किसानों को आधुनिक खेती की तरफ अग्रसर करेंगे।
उन्होंने कहा कि सस्थान के निदेशक डा. बक्षी राम एवं केन्द्र के अध्यक्ष डा. नीरज कुलश्रेश्ठ द्वारा मुख्य अतिथि को फ ूलों का गुलदस्ता देकर उनका स्वागत किया गया। डा. बक्षी राम ने किसानों से अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि महज पिछले 10 सालों में 11 उन्नतशील किस्मों का विमोचन किया जो देश के किसी भी संस्थान द्वारा इतने कम समय में इतनी प्रजाति विकसित करना अपने आप में एक महान उपलब्धि है। इस केन्द्र की प्रजातियों का भारत के उत्तर पश्चिमी क्षेत्र के अन्तर्गत 52 प्रतिषत गन्ना क्षेत्र आता है। इन प्रजातियों को किसानों के द्वारा अपनाने से चीनी उपज एवं चीनी परता बढी है। को. 0118 एवं को. 0238 का 70 प्रतिषत पंजाब में, हरियाणा में 50 प्रतिषत, उत्तरप्रदेष राज्य में (23 लाख हैक्टेयर) लगभग 52 प्रतिशत, उत्तराखंड में 17 प्रतिषत एवं बिहार राज्य में 24 प्रतिषत क्षेत्र इन किस्मों के अन्तर्गत आता है। चीनी परता के संदर्भ में भी अगर देखा जाए तो हरियाणा की चीनी परता में 1.2 प्रतिषत, पंजाब में 0.65 प्रतिशत एवं उत्तरप्रदेश में 1.43 प्रतिशत चीनी परता बढी है,को. 0238 किस्म ने पूरे देश में उपज और चीनी परता के नये आयाम स्थापित किये है।
उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों के दौरान उत्तरप्रदेष राज्य में चीनी परता दोहरे अंको में 10.61 प्रतिशत रही है तथा लगभग दो दर्जन चीनी मिलों की परता 11 प्रतिशत से अधिक रही है। किसानों की आय दुगुनी करने के बारे में किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि क्षेत्र के अनुसार उन्नतशील किस्मों का चुनाव करें जिसकी उपज एवं चीनी परता उच्च हो। डा. बक्षी राम ने किसानों को बताया कि दक्षिण भारत में 100 टन प्रति एकड उपज लेने वाले किसानों के क्लब बने हुए है, प्रत्येक राज्यों की मृदा, जलवायु, खाद एवं उर्वरक की अनुसंषा और किस्में अलग होने के बावजूद उनमें सामान्य एक ही बात लगी कि वहां के किसान गन्ने की पौध की नर्सरी लगाकर उसके बाद गन्ने की पौध की रोपाई करते हैं ऐसा करने से 40000 से 50000 पिराई योग्य गन्ने बन जाते है, प्रति गन्ना औसत वजन 2.25 से 2.5 किलोग्राम हो जाता है फ लस्वरूप 100 टन से अधिक प्रति एकड़ गन्ना उपज हो जाती है।
इसके उपंरात डा. रोशन लाल यादव, गन्ना सलाहकार, किसान को सम्बोधित करते हुए बताया कि गन्ना फसल की उन्नत खेती से किसान अपनी आय को बढा सकते हैं। इसके लिए उन्हें वैज्ञानिकों द्वारा बतायी गयी नवीनत्तम तकनीकों को अपनाकर प्रति एकड उपज को बढा सकते है व पैदावार को लगभग 75 टन से बढाकर 100 टन प्रति हैक्टेयर तक लेके जा सकते है। साथ ही किसान भाई अपनी आमदनी को बढाने के लिए उत्पादन लागत में कमी करके और गन्ने के साथ अन्त:फसलों की खेती व ज्यादा से ज्यादा मोढी फसल को प्रोत्साहन दें। ऐसा करने से किसान अपनी उपज को बढा सकते है। इसके बाद मुख्य अतिथि द्वारा किसानों को प्रति एकड 700 क्विंटल से अधिक उपज लेने पर एवं गन्ना किस्मों के प्रजनक बीज के प्रचार-प्रसार में अपना सराहनीय योगदान देने के लिए पुरस्कृत किया गया। इसके बाद डा. एस.के. पाण्डेय द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया गया।