November 8, 2024

करनाल/कीर्ति कथूरिया :   महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल के अनुसंधान निदेशालय द्वारा मृदा स्वास्थय संबधी समस्याओं के प्राकृतिक हल मेरी माटी मेरा देश विषय को लेकर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा प्रायोजित किसान कार्यशाला एवम प्रदर्शनी का आयोजन बुधवार को किया गया।

प्रदर्शनी एवम कार्यशाला में मुख्य अतिथि के तौर पर चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रो. बी.आर काम्बोज ओर विशिष्ट अतिथि के तौर पर केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल के निदेशक डॉ. आर. के यादव ने विशेष तौर पर शिरकत की। कार्यशाला में प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आए किसानों ने भाग लिया।

मुख्य अतिथि प्रो. बी.आर काम्बोज ने एमएचयू द्वारा किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि आज भी जो विषय एमएचयू के कुलपति डॉ. मल्होत्रा ने चुना वो समय की मांग हैं।

अगर हम प्राकृतिक संसाधनों को आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाकर नहीं रखेंगे तो हमारी पीढ़ियों को पानी, शुद्ध वातावरण, खाद्यान किस प्रकार से मिल पाएगा। हमारी सबकी जिम्मेदारी बनती है कि इको सिस्टम में संतुलन बनाकर आगे बढ़ा जाए। उन्होंने कहा कि हमारे समक्ष काफी चुनौतियां है, जिनको अवसर में बदलकर समाधान खोजना है।

हर जरुरत जैसे भोजन, पानी सब धरती से पैदा होता हैं, इसलिए हमारी जिम्मेदारी बनती है कि धरती के स्वास्थ्य को बनाकर रखे ताकि आने वाले समय में भी सभी की आवश्यकताएं पूरी हो ओर इको सिस्टम भी बना रहे। उन्होंने कहा कि विकसित भारत बनाना है, ताकि विदेशी लोग भारत की उन्नत खेती को देखने के लिए आए न की हम विदेशों में जाकर खेती देखें।

विशिष्ट अतिथि सीएसएसआरआई के निदेशक डॉ. आर. के यादव ने किसानों से कहा कि इस वक्त सभी को संतुलित अप्रोच अपनाने की जरुरत है, प्राकृतिक संसाधन जैसे फसल अवशेषों, गोबर आदि जो कि पुरानी खेती पद्वति को रसायनिक के साथ समग्र रूप से प्रयोग करेंगे तो हम प्राकृतिक संसाधनों को भूमि की उर्वरता शक्ति को बरकरार रख पाएंगे।

हरियाणा का चाहे हरित क्रांति हो, श्वेत क्रांति हो, हर एक में बड़ा योगदान: डा. सुरेश मल्होत्रा

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एमएचयू के माननीय कुलपति डॉ. सुरेश कुमार मल्होत्रा ने बताया कि हरियाणा का चाहे हरित क्रांति हो, श्वेत क्रांति हो, हर एक में बड़ा योगदान रहा हैं। उस वक्त देश में खाद्यानों की भारी कमी थी, उस वक्त वैज्ञानिकों ने समय के अनुसार कई सिफारिशों को किया। जिससे प्राकृतिक संसाधनों को भारी दोहन हुआ।

वर्तमान में सभी सोचने के लिए मजबूर हुए है कि प्राकृतिक संसाधनों का समुचित प्रयोग किस प्रकार हो, इसके लिए फसल विविधिकरण, वैज्ञानिक तकनीकों को अनिवार्य तौर पर अपनाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन क्षेत्रीय मुद्दा नहीं है, यह वैश्विक विषय बन गया है। मिट्‌टी की गुणवत्ता एव स्वास्थ्य प्रबंधन सतत खेती के लिए आवश्यक है। डॉ. मल्होत्रा ने मृदा पोषक तत्व प्रयोग क्षमता बढ़ाने पर बल देते हुए बताया कि अब समय आ गया है जब हमें सूक्ष्म तत्व उपयोग क्षमता, फसल की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अत्यंत आवश्यक हो गया है।

किसानों को किया सम्मानित

मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि ओर एमएचयू कुलपति द्वारा प्रगृतिशील किसानों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। मौके पर अनुसंधान निदेशक डॉ. रमेश गोयल, कार्यक्रम संयोजिका डॉ बिमला सहित वैज्ञानिक व किसान, प्रगृतिशील किसान मौजूद रहे। मुख्य अतिथि ने किसानों के साथ ड्रोन ड्रेमोस्ट्रेशन देखा ओर विभिन्न स्टॉल का अवलोकन किया।

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