करनाल/कीर्ति कथूरिया : फसल कटाई के बाद पराली प्रबंधन करने और उसमें आग न लगाने के लिए हरियाणा सरकार निरंतर किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। ऐसे में कुछ किसान ऐसे हैं, जो पराली प्रबंधन के माध्यम से फसल पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभावों को सीधे महसूस कर रहे हैं।
ऐसे ही किसान हैं करनाल जिला के रंबा गांव के रघुविंद्र सिंह और उनके बेटे समर्थ सिंह, जो पिछले 5 साल से पराली प्रबंधन कर रहे हैं। उनका कहना है कि इसका सीधा प्रभाव उनकी फसल पर पड़ा है और आज वह 10 से 12 प्रतिशत अतिरिक्त फसल उत्पादन ले रहे हैं। इसके साथ-साथ फसल में डाले जाने वाले यूरिया की खपत को भी कम कर रहे हैं, क्योंकि भूमि की उर्वरक क्षमता में पराली प्रबंधन से काफी लाभ मिल रहा है।
किसान समर्थ सिंह आस्ट्रेलिया में पढ़ते हैं लेकिन हर वर्ष फसल कटाई और बिजाई के वक्त अपने गांव लौटते हैं और पिता का खेती में हाथ बढ़ाते हैं। उन्होंने बताया कि 5 साल पहले हरियाणा सरकार की अपील पर उन्होंने पराली प्रबंधन शुरू किया और आज फसल के उत्पादन के साथ-साथ जमीन की जान भी बढ़ा दी है।
उन्होंने बताया कि इस पद्धति को अपनाने की एक और वजह यह भी थी कि उनकी कुछ पुश्तैनी जमीन बंजर थी, उनके परिवार वालों ने उस जमीन में पराली आदि को जमीन में ही मिलाकर धीरे-धीरे जमीन की उर्वरक क्षमता को बढ़ाया था। यह पूरी प्रक्रिया उन्होंने भी देखी थी, इसी के चलते उन्होंने 5 साल पहले ही हरियाणा सरकार की बात सुनी और उस पर चलकर पराली प्रबंधन किया और आज लाभ उठा रहे हैं।
दूसरे किसान भी बढ़ाएं कदम, यह हम सभी के लिए फायदेमंद
किसान समर्थ सिंह ने कहा कि पराली प्रबंधन के लिए दूसरे किसानों को भी आगे आना चाहिए। इस पद्धति के फसल पर दूरगामी परिणाम हैं। बस किसान को एक शुरूआत करने की जरुरत है। उन्होंने बताया कि वह करीब 60 एकड़ जमीन की खेती करते हैं। इस जमीन में से कुछ एकड़ पर वे पराली की कटर से कटाई करके जमीन के अंदर ही (ईन सी टू मैनेजमेंट) मिला देते हैं जबकि कुछ में बेलर के माध्यम (एक्स सी टू मैनेजमेंट) से गांठे बनवाते हैं। दोनों ही स्थिति किसान के लिए फायदेमंद है, उन्होंने दूसरे किसानों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में पराली प्रबंधन करने की अपील की।
पर्यावरण पर सीधे प्रहार
किसान समर्थ सिंह कहते हैं कि आग लगाने से सबसे ज्यादा विकट समस्या पर्यावरण प्रदूषण की पैदा होती है। यह सीधे-सीधे हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है, हमें सांस लेने तक में दिक्कत महसूस होती है। तभी हरियाणा सरकार के साथ-साथ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल इस विषय पर इतनी गंभीर है। इसके अतिरिक्त पराली में आग लगाने से जमीन की उर्वरक क्षमता भी घटती है। जमीन के मित्र कीट भी पराली के साथ जल जाते हैं।
हरियाणा सरकार के प्रयासों की प्रशंसा
किसान समर्थ सिंह और उनके पिता रघुविंद्र सिंह कहते हैं पराली प्रबंधन के लिए हरियाणा सरकार बेहतर प्रयास कर रही है। किसानों को इसमें काम आने वाले उपकरणों पर अच्छी सब्सिडी दी जा रही है, जो बहुत अच्छा प्रयास है। उन्होंने कहा कि सरकार की अपील पर किसानों को भी आगे आकर पराली में आग लगाने से बचना चाहिए।