करनाल/कीर्ति कथूरिया : हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने इन समाचारों को सिरे से खारिज किया है कि पत्रकारों को 5 लाख रुपए का चिकित्सा बीमा संरक्षण देने वाली कैशलेस योजना की फाईल उनके (स्वास्थ्य विभाग) कार्यालय में लम्बित पड़ी है।
उन्होंने कहा कि वे प्रतिदिन अपने दोनों विभागों (गृह और स्वास्थ्य) की फाईलें क्लीयर करके सम्बन्धित अधिकारियों को वापिस भेज देते हैं। उनके कार्यालय में कोई भी फाईल इस समय विचाराधीन नहीं है।
हरियाणा पत्रकार संघ के अध्यक्ष के.बी. पण्डित से आज चंडीगढ़ में विशेष बातचीत में अनिल विज ने कहा कि वे तो बीमारी की हालत में भी पी.जी.आई. चण्डीगढ़ से फाईलें निकालते रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सन् 2018 में उनकी पहल पर ही पहली बार पत्रकारों को चिकित्सा बीमा संरक्षण देने वाली फाइल विचार के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी गई थी।
वे हमेशा पत्रकारों के कल्याण और प्रेस की आजादी के कट्टर समर्थक रहे हैं। इसलिए कैशलेस योजना की फाईल को उनके कार्यालय में लम्बित पड़े रहने की बात मात्र अफवाह है।
विज ने सिलसिले वार अपने कार्यालय में पत्रकारों को चिकित्सा बीमा संरक्षण देने वाली फाईल के मूवमेंट का विस्तार के साथ विवरण भी दिया। उन्होंने दोहराया कि यह सही नहीं है कि पत्रकारों को पांच लाख रुपए का संरक्षण देने वाली कैशलेस योजना उनके कार्यालय में लम्बे समय से लम्बित पड़ी है।
उन्होंने यह भी कहा कि सक्षम अधिकारियों से इस संबंध में पूछा जाना चाहिए कि फाईल कहां हैं?
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि 5 लाख रुपए का चिकित्सा बीमा संरक्षण देने वाली आयुष्मान योजना का लगभग साढ़े 4 साल पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शुभारंभ किया था। चूंकि पत्रकार बी.पी.एल. में शामिल नहीं है, इसलिए यह योजना उस समय सिरे नहीं चढ़ी। इसके बाद सरकार ने लगभग 2 साल पहले कैशलेस योजना की घोषणा की थी। उसी समय से यह योजना लटकी पड़ी है।
यह योजना पत्रकारों के लिए बहुत ही कल्याणकारी एवं लाभकारी है क्योंकि इसके तहत पत्रकार को स्वयं, उनकी पत्नी, दो अविवाहित बच्चे तथा माँ-बाप को 5 लाख रुपए का बीमा संरक्षण मिलता है। मुख्यमंत्री ने वर्ष 2023-24 का बजट पेश करते हुए भी कैशलेस योजना का उल्लेख किया है। इसके बाद यह विश्वास किया जा रहा था कि मुख्यमंत्री बजट पर भी चर्चा के समापन के समय कैशलेस योजना लागू करने की घोषणा कर देंगे, लेकिन जबसे ही यह योजना ठंडे बस्ते में पड़ी है।