आल इंडिया पंजाब नैशनल बैंक ऑफिसर एसोसिएशन के हरियाणा प्रांत के अधिकारियों का त्रिवार्षिक सम्मेलन 23 दिसंबर को सुबह 10.30 बजे जाट धर्मशाला में होगा। इस सम्मेलन में हरियाणा राज्य के करीब 500 से अधिक
बैंक अधिकारी हिस्सा लेंगे। हरियाणा के पांच मंडलों के अधिकारी इसमें शामिल होंगे। आल इंडिया पंजाब नैशनल बंैक ऑफिसर एसोसिएशन के प्रांतीय सचिव कामरेड ललित अरोड़ा ने आज बताया कि एआई पीएनबीओए के चेयरमैन बीएल
गोयल इस सम्मेलन का उदघाटन करेंगे, जबकि अध्यक्ष अजय जेटली इसकी अध्यक्षता करेंगे। कार्यक्रम में चंडीगढ़ के जोनल मैनेजर एके डर्गन बतौर मुख्य अतिथि भाग लेंगे। इसके अलावा करनाल सर्कल के हैड केके सिंगला तथा
वर्किंग अध्यक्ष एसके खजांची विशेष अतिथि होंगे।
बैंक अधिकारी हिस्सा लेंगे। हरियाणा के पांच मंडलों के अधिकारी इसमें शामिल होंगे। आल इंडिया पंजाब नैशनल बंैक ऑफिसर एसोसिएशन के प्रांतीय सचिव कामरेड ललित अरोड़ा ने आज बताया कि एआई पीएनबीओए के चेयरमैन बीएल
गोयल इस सम्मेलन का उदघाटन करेंगे, जबकि अध्यक्ष अजय जेटली इसकी अध्यक्षता करेंगे। कार्यक्रम में चंडीगढ़ के जोनल मैनेजर एके डर्गन बतौर मुख्य अतिथि भाग लेंगे। इसके अलावा करनाल सर्कल के हैड केके सिंगला तथा
वर्किंग अध्यक्ष एसके खजांची विशेष अतिथि होंगे।
इसके अलावा महासचिव दिलीप साहा तथा करनाल मंडल के अध्यक्ष सुमेर सिंह समेत सकेल एक से सात तक के अधिकारी इसमें हिस्सा लेंगे। उन्होंने बताया कि यह सम्मेलन तीन साल
में एक बार होता है। सम्मेलन के दौरान अधिकारी अपने सुनहरे भविष्य, वेतनमान तथा सेवा शर्तों पर चर्चा करेंगे और कई प्रस्ताव भी पारित होंगे। उन्होंने यह भी बताया कि सम्मेलन में संघ के केंद्रीय नेता राष्ट्रीय स्तर पर क्या कुछ कर रहे हैं और क्या चुनौतियां हैं इस पर भी चर्चा होगी। फिर इसके विकल्प तैयार होंगे। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन शाम चार बजे तक
चलेगा। ललित अरोड़ा ने बताय कि सरकारी क्षेत्र के बैंकों का खराब ऋण का 78 प्रतिशत देश की 13 हजार कंपनियों अथवा परिवारों के पास है। एनपीए 13 लाख करोड़ के स्तर को पार कर गए हैं, इसमें 78 प्रतिशत कार्पोरेट लॉस है, जिनको एमडी या चेयरमैन स्तर के लोग स्वीकार करते हैं।
में एक बार होता है। सम्मेलन के दौरान अधिकारी अपने सुनहरे भविष्य, वेतनमान तथा सेवा शर्तों पर चर्चा करेंगे और कई प्रस्ताव भी पारित होंगे। उन्होंने यह भी बताया कि सम्मेलन में संघ के केंद्रीय नेता राष्ट्रीय स्तर पर क्या कुछ कर रहे हैं और क्या चुनौतियां हैं इस पर भी चर्चा होगी। फिर इसके विकल्प तैयार होंगे। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन शाम चार बजे तक
चलेगा। ललित अरोड़ा ने बताय कि सरकारी क्षेत्र के बैंकों का खराब ऋण का 78 प्रतिशत देश की 13 हजार कंपनियों अथवा परिवारों के पास है। एनपीए 13 लाख करोड़ के स्तर को पार कर गए हैं, इसमें 78 प्रतिशत कार्पोरेट लॉस है, जिनको एमडी या चेयरमैन स्तर के लोग स्वीकार करते हैं।
20 पब्लिक सेक्टर बैंकों ने जितने लोन दिए हैं उसका 10 फीसदी से अधिक एनपीए में बदल गया है। लेकिन डिफाल्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाए इन्हें रियायतें दी जाती हैं और बैंकों पर दबाव डाला जाता है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में मुख्य मांगों को उठाया जाएगा। पहली मांग है कि सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों का निजीकरण बंद किया जाए। इसके अलावा सरकार बैंकों का विलय भी बंद करे। सरकार कार्पोरेट कर्जा को माफ न करे और एनपीए वसूली पर संसदीय समिति की सिफारिशों को लागू करे। अरोड़ा ने कहा कि उनकी यह भी मांग है कि कार्पोरेट एनपीए की जवाबदेही बड़े अधिकारियों की हो और प्रस्तावति एफआरडीआई बिल को वापस लिया जाए। इसके अलावा बैंक बोर्ड ब्यूरो को समाप्त किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार से यह भी मांग है कि बैंकों के निदेशक मंडलों में कर्मचारी और अधिकारी निदेशकों की नियुक्ति तुरंत हो और अधिकारियों व कर्मचारियों को रिजर्व बंैक की तर्ज पर पेंशन दे। उन्होंने कहा कि वेतन समझौता शीघ्र करके केंद्र सरकार के कर्मचारियों के अनुसार वेतन दिया जाए। पहले भी ऑल इंडिया स्तर पर बैंक अधिकारी हड़ताल कर चुके हैँ। यदि सरकार ने मांगें न मानी तो हड़ताल अनिश्चितकालीन भी हो सकती है।