करनाल/कीर्ति कथूरिया : किसी व्यक्ति के साथ ऑनलाईन वित्तिय धोखाधडी होने की स्थिति में राष्ट्रीय साइबर अपराध रिर्पोटिंग पोर्टल द्वारा शिकायत करने के लिये हैल्पलाईन नम्बर 1930 जारी किया हुआ है और राष्ट्रीय साइबर अपराध रिर्पोटिंग पोर्टल डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट साइबरक्राईम डॉट जीओवी डॉट इन भी बनाया हुआ है।
साइबर अपराध रिर्पोटिंग पोर्टल व हैल्पलाईन नम्बर 1930 की जानकारी के अभाव में साइबर अपराध से पीड़ित व्यक्ति समय से इस हैल्पलाईन नम्बर या पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज नही करा पाता है। जिसके कारण व्यक्ति की गई हुई रकम की वापस आने की संभावना काफी कम हो जाती है। पुलिस अधीक्षक करनाल शशांक कुमार सावन द्वारा प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जानकारी देते हुए लोगों को हैल्पलाईन नम्बर 1930 व साइबर अपराध रिर्पोटिंग पोर्टल के बारे में जागरूक करने का प्रयास किया गया है।
पुलिस अधीक्षक ने जानकारी देते हुए बताया कि जिस व्यक्ति के साथ वित्तिय साइबर अपराध हुआ है, वह इस व्यक्ति उपरोक्त हैल्पलाईन नम्बर पर तुरंत शिकायत करके उन रूप्यों को फ्रीज करवा सकता है और कुछ औपचारिकताएं पूरी करने उपरांत अपने रूप्यों को वापिस पा सकता है। इस संबंध में आगे जानकारी देते हुए बताया कि-
यह प्लैटफॉर्म कैसे काम करता है और कैसे आपके गए हुये पैसे वापिस आते हैं-
1. रिर्पोटिंग व प्रारम्भिक कार्यवाही- सबसे पहले साइबर वित्तिय अपराध होने की स्थिती में शिकायतकर्ता को हैल्पलाईन नम्बर 1930 पर कॉल करनी होगी। यह फोन कॉल नियुक्त किये गये एक पुलिस अधिकारी द्वारा रिसीव की जाएगी और वह अधिकारी शिकायतकर्ता से लेनदेन से संबंधित कुछ जरूरी विवरण मांगेगा। इसके बाद एक टोकन नम्बर जनरेट होगा और लाभार्थी/अपराधी के बैंक खाते, पैमेंट वॉलेट या मरचेंट का पता लगाने व गई हुई राशी को रोकने के लिये एक डिजिटल अलर्ट भेजा जाएगा
2. ट्रैल और फ्रीज- जैसे ही डिजिटल अलर्ट बजता है, सिस्टम द्वारा धोखाधडी वाले धन के प्रवाह को रोक/फ्रीज कर दिया जाता है और प्लेटफॉर्म पर वापिस रिर्पोट की जाती है। यदि पैसा किसी अन्य वित्तिय मध्यस्थ को स्थानांतरित कर दिया गया है तो भी उस पैसे को फ्रीज करने के लिये एक अलर्ट भेजा जाता है। यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती रहती है, जब तक कि राशि को या तो अस्थायी रोक पर रखा जाता है, वापिस लिया जाता है या ऑनलाइन खर्च किया जाता है।
औपचारिक शिकायत- शिकायतकर्ता को इस शिकायत की सूचना एक एसएमएस के माध्यम से प्राप्त होती है। जिसमें शिकायत का संदर्भ नम्बर होता है और डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट साईबरक्राईम डॉट जीओवी डॉट इन का एक लिंक प्राप्त होता है। इस हैल्पलाईन नम्बर पर कॉल करने के 24 घण्टे के अंदर शिकायतकर्ता को राष्ट्रीय साइबर अपराध रिर्पोटिंग पोर्टल पर औपचारिक व विस्तृत विवरण (मोबाइल नम्बर, बैंक/वॉलेट/मरचेंट का नाम व नम्बर जिसमें से अमाउंट गई है, ट्रांजैक्शन आईडी व तारीख, अगर धोखाधडी किसी कार्ड के माध्यम से हुई तो उस डैबिट या क्रेडिट कार्ड नम्बर और इस धोखाधडी के लेनदेन के संबंध में कोई स्क्रीनशॉट अगर उपलब्ध है) सहित एक शिकायत दर्ज करानी अति आवश्यक है।
3. अपना पैसा वापिस पाऐं- उपरोक्त शिकायत दर्ज करने के बाद गये हुये रूप्यों को वापिस लाने व उस पैसे को पीडित के खाते में वापिस करवाने के लिये पुलिस की कार्यवाही शुरू हो जाती है। यदि हैल्पलाइन नम्बर पर कॉल करने के 24 घण्टे के भीतर शिकायतकर्ता द्वारा कोई शिकायत नही की जाती है तो लाभार्थी के निर्देशों के अनुसार संबधित वित्तिय मध्यस्थों द्वारा रूका हुआ पैसा जारी कर दिया जाता है। ऐसे साइबर अपराधियों का पता लगाने व दण्डात्मक कानूनों को लागू करने के लिये भी प्रयास शुरू किये गये हैं। जिनको जल्द ही अमल में लाया जायेगा। इस संबंध में करनाल पुलिस की आमजन से अपील है कि किसी भी अज्ञात व्यक्ति पर बिना जांचे परखे विश्वास ना करें और ना ही अपनी विश्वसनीय जानकारी किसी अन्य व्यक्ति के साथ सांझा करें।