November 23, 2024

 

करनाल/कीर्ति कथूरिया : भूजल को बचाने हेतू सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करें उपरोक्त शब्द मुख्या वक्ता ऑल इंडिया इंस्टीटयूट ऑफ लोकल सैल्फ गवर्नमेंट से जल स्मृति से मास्टर ट्रेनर भक्ति देवी ने अटल भूजल योजना करनाल द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। कार्यशाला का आयोजन करनाल के मंगलसेन ऑडिटोरियम में अटल भूजल योजना के साथ सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया।

मुख्य वक्ता जल स्मृति से मास्टर ट्रेनर डॉ भक्ति देवी ने कहा कि आज भूजल बचाने की दिशा में सभी विभागों को अपनी कवायत तेज करनी पड़ेगी। हमें इसके साथ-साथ सामुदायक को सीधे योजना से जोडऩा पड़ेगा। विशेष कर ऐसी योजना बनानी पड़ेगी जिससे ग्रामीणों का सीधा हित जुड़ा हो।

उन्होंने कहा कि सभी विभाग अपनी कार्य योजना बनाये उसमें और उन योजनाओं को क्रियान्वित करने से पहले एक दूसरे से सांझा आवश्य करें। कार्य योजना में गांव के लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरुक किया जा सके और वहां की युवा शक्ति को भी जोड़ जाये। युवा शक्ति युवा जल प्रहरी के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका भूजल बचाने में दे सके।

उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में जहां कुछ अच्छा कार्य हुआ है वहां किस प्रकार से किसान कृषि में फसल विविधीकरण को अपना कर ज्यादा लाभ अर्जित कर रहे है। हमारे क्षेत्र में जहां कुछ प्रगतिशील किसान कुछ हट कर कर रहे हैं उन्हे ज्यादा से ज्यादा हाई लाईट किया जाये ताकि दूसरे किसान भाई प्रोत्साहित हो सकें।

इस अवसर पर अटल भूजल योजना के आई ई सी विशेषज्ञ राजीव कुमार शर्मा ने जानकारी दी कि जल संसाधन एवं सिंचाई विभाग की ओर से क्या -क्या अटल भूजल योजना के अन्तर्गत किया जा रहा है। कार्यशाला में विभिन्न विभागों के उपस्थित अधिकारियों ने भूजल को बचाने के लिए क्या- क्या गतिविधियां की जा रही है एक दूसरे के साथ सांझी की।

कार्यशाला में मोटे अनाज पर भी खुल कर चर्चा की गई किस प्रकार आज इसकी महत्वता नजर आती हैं। इस वर्ष को मोटे अनाज के वर्ष के तौर पर मनाया जा रहा हैं। इसकी आज के दौर में क्यों जरूरत पड़ी।

मुख्य अतिथि के तौर पर जिला उघान अधिकारी मदन लाल ने कहा कि हमे अपनी कृषि करने के तौर तरीके बदलने पड़ेगें इसके साथ -साथ नई तकनीकों और उन्नत खेती की ओर जाना पड़ेगा। आज किसान भाइयों को कृषि क्षेत्र में अपार संभावनाओं को खोजना पड़ेगा। विशेष कर हमें दो परम्परागत फसलों को छोड़ कर अन्य फसलों की ओर भी देखना पड़ेगा।

फसलों में भी हमें कम पानी की लागत की फसलों की ओर रूख करना पड़ेगा। तभी किसान भाई अपनी आमदन को दूगना कर सकते हैं। यह अपना कर हम फसल विविधीकरण को बढा़वा देते हुए मिट्टी के स्वभाव को भी बरकरार रख सकते है। यह हमारे भविष्य के लिए भी एक अच्छा होगा।

कार्यशाला में आई ई सी विशेषज्ञ राजीव कुमार शर्मा ने मुख्य अतिथि के तौर पर जिला उघान अधिकारी मदन लाल को पुष्प गुच्छ भेंट करके स्वागत किया।

कार्यशाला में उपमण्डल अधिकारी मिकाडा विजय कुमार, कृष्ण कुमार कृषि विशेषज्ञ, भूमि संरक्षण विभाग से कृषि इंस्पेक्टर कृष्ण शर्मा, डॉ महावीर सिंह भूजल कोष से तकनीकी सहायक , फोरैस्ट विभाग से डिप्टी रेंजर, जिला परिषद से कार्यक्रम अधिकारी राकेश, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण से डीपीएम राजकुमार सन्धु, पूर्ण चन्द, हिसम सिंह सैनी, भूजल विशेषज्ञ शुभम अग्रवाल, मनरेगा से सहायक खण्ड परियोजना अधिकारी करनाल के गोबिन्द, जन स्वास्थ्य विभाग से जेई आनन्द राणा, डीआईपी से आई ई सी विशेषज्ञ शोभित अग्रवाल, राजीव काम्बोज फोरैस्ट रेंजर व छत्रपाल शिक्षा विभाग से, जन स्वास्थ्य विभाग से सलाहकार नेहा, नेहरू युवा केन्द्र करनाल से जिला युवा समन्वयक रेनू सिलग व राजेश कुमार एसडीओ सिंचाई विभाग सहित उपस्थित रहे।

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