November 14, 2024
एनडीआरआई में किया गया दूध एवं दूध से बने उत्पादों का संवेदी मूल्यांकन करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन
करनाल। देश में विभिन्न डेरी उद्योग हैं, जो लोगों को दूध व दूध से बने उत्पाद मुहैया करवाते हैं, वेरका भी उन्हीें में से एक है। इसमें कोई दोहराये नहीं है कि वेरका का दूध और उसके उत्पादों को लोग काफी पसंद करते हैं, लेकिन उन उत्पादों की गुणवता को अपनी संवेदी इंद्रियों से पहचानने के लिए वेरका के अधिकारियों ने राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान में ट्रेनिंग ली। एनडीआरआई के निदेशक डा. आरआरबी सिंह के मार्गदर्शन में दूध एवं दूध से बने उत्पादों का संवेदी मूल्यांकन विषय पर आयोजित इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में क्वालिटी कंट्रोल, प्रोक्योरमेंट तथा मार्केटिंग से जुड़े 19 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को बताया गया कि पांच प्रकार की इंद्रियों गंध, स्वाद, स्पर्श तथा दृष्टि के माध्यम से किसी उत्पाद की गुणवता की पहचान कैसे की जाती है। ट्रेनिंग के समापन समारोह में डेरी टेक्नोलोजी विभागाध्यक्ष डा. लता सबीखी ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
डा. लता सबीखी ने कहा कि दूध और दूध से बने उत्पाद प्राचीन काल से ही हमारे आहार का महत्वपूर्ण अंग बने हुए हैं। दूध तथा दूध से बने उत्पाद स्वभाविक रूप से पोष्टिक होते हैं। उन्होंने कहा कि कोई उत्पाद चाहे कितना भी पोष्टिक क्यों न हो, लेकिन अगर उसका फ्लेवर अ‘छा नहीं है तो उपभोक्ता उसको खास तव”ाों नहीं देगा। इसलिए हमेें उत्पाद की पोष्टिकता के साथ साथ उसके फ्लेवर का भी ध्यान रखना जरूरी है, तभी लोग उसे पसंद करेंगे। डा. लता ने कहा कि यह प्रशिक्षण एनडीआरआई और डेरी उद्योग के बीच संबंधों को ओर अधिक मजबूत करेगा, मुख्यरूप से मिल्कफेड पंजाब, जो उत्तर भारत में एक अग्रणी डेरी सहकारी संघ है और वेरका ब्रांड के नाम से प्रसिद्ध है। हमें आशा है कि एनडीआरआई स्थित संवेदी मूल्यांकन प्रयोगशाला से प्रशिक्षण लेकर प्रतिभागियों को पंजाब मिल्कफेड द्वारा बनाए गए वेरका ब्रांड के उत्पादों की गुणवता में सुधार करने में मदद मिलेगी।
कंसल्टेंसी और बीपीडी यूनिट के ईंचार्ज डा. एके सिंह ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य दुग्ध उत्पादों, जैसे तरल दूध, घी, दही, पनीर, मक्खन, दूध पाउडर और लस्सी के संवेदी मूल्यांकन के लिए आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों से प्रतिभागियों को परिचित करना था। प्रतिभागियों को डेरी उत्पादों में प्रमुख संवेदी दोषों के कारणों और उत्पत्ति के बारे में विभिन्न रणनीतियों के साथ प्रशिक्षित किया गया। उन्होंने आगे कहा कि इस विषय पर यह पहला प्रशिक्षण कार्यक्रम था जो भविष्य में भी जारी रहेगा।
कोर्स कोऑडिनेटर डा. कौशिक खामरूई ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम ने संवेदी समस्याओं के बारे में जानने के लिए विभिन्न डेरी उद्योगों से जुड़े लोगों के लिए एक अ‘छा अवसर प्रदान किया है। उन्होंने बताया कि बताया कि ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान प्रतिभागियों को 10 व्याख्यानों एवं व्यवहारिक सत्रों के माध्मय से उत्पादों के गुणवता संबंधी जानकारी प्रदान की गई। डा. ऋत्धमा प्रसाद ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर विभिन्न विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक एवं विद्यार्थीगण उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.