November 22, 2024

उत्तम औषधालय के प्रांगण में चल रहे कार्तिक मास की
कथा के चौथे दिन पं. चेतन देव शर्मा ने पूजा अर्चना कराकर पावन जोत वैद्य देवेन्द्र बत्तरा, दर्शना बत्तरा से प्रज्जलवित करवाकर हवन यज्ञ करवाया। जिसमें सैंकड़ों लोगों ने भाग लिया। इसके पश्चात सभी भक्तों को जलपान कराया गया। आई हुई साध संगत ने भजन कीर्तन के माध्यम से श्री लक्ष्मी नारायण जी की महिमा का गुणगान किया। मेरे बांके बिहारी सावंरिया तेरा जलवा कहां पर नहीं है…. भजन गाया। इसके पश्चात पंडित जी ने कार्तिक कथा में राजा पृथु पूछने लगे कि हे मुने कार्तिक मास में विष्णु की पूजा का महात्म्य कहा इस मास में किसी और भी देवता का व्रत या पूजन होता हो तो वो भी कहिए। नारद जी कहने लगे कि अश्विन शुक्ला पूर्णमाशी को ब्रह्म जी का व्रत होता है। कार्तिक कृष्णा चतुर्थी को गणेश जी का अथवा अष्टमी व अमावस्या को श्री लक्ष्मी जी का व्रत होता है। कार्तिक में जो कुमारी इस व्रत को करती है उसको सुयोग्यल पति मिलता है और जो विवाहित औरत इस व्रत को करती है उसका सौभाग्य अटल रहता है। प्रात:काल स्नान आदि से निवृत होकर चंदन आदि से गणेश आदि का पूजन करे सांयकाल फिर गणेश जी का पूजन करके चन्द्रोदय होने पर चन्द्रमा को अध्र्य देवे फिर उत्सव मना कर भोजन करे। अत: सौभाग्यवती स्त्रियों कोअपने सौभाग्य की रक्षा और संतान प्राप्ति के लिये ये व्रत अवश्य करना चाहिए।
इस अवसर पर मुख्य रूप से वैद्य देवेन्द्र बत्तरा, दर्शना बत्तरा, डा. मानव बत्तरा, लक्षिता बतरा, साबिया बतरा, सुभाष गुरेजा, सुभाष वधावन, भारत भूषण अरोड़ा, राकेश गौतम, मीना तनेजा, मामो देवी, कौशल्या देवी, राजेन्द्र मोहन शर्मा, राज, देवीबाई, सोनादेवी, राजग्रोवर, यशोदा बाई, जयदेवी, रामस्वरूप, रमेश, रामप्रकाश, डा. दीनानाथ, रमेश पाल, रामलाल, ईश्वर दत, राज नागपाल, पुष्पा रानी आदि मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.