Live – देखें – CM सिटी में करोड़ों रुपए के चावल घोटाले के बाद राईस मिलर्स पर पहली बार हुई बड़ी कार्रवाई , CMR का चावल नहीं लौटाने वाले 15 राइस मिलों की कुड़की के ऑर्डर निकले ,देखें Exclusive Live – Share Video
करनाल जिले के 32 राईस मिलर्स पर 200 करोड़ रुपयों का चावल बकाया , अब होंगी प्रोपर्टी की नीलामी
डीआरओ (जिला राजस्व अधिकारी) को निलामी करवाने की फाइल भेजी गई है। यह मिलर सरकार का करीब 60 करोड 48 लाख 58 हजार रुपए का चावल डकार गए हैं। इनसे रिकवरी नहीं होने के चलते प्रशासन की तरफ से इनकी प्रोपर्टी बेचकर राशि पूरी करने की कार्यवाही की है।
करनाल जिले में राइस मिलर्स को डिफाल्टर करवाने में संबंधित अधिकारियों की संलिप्ता से इंकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि जिन मिलों की वह 15 से 20 दिन में फिजिकल वेरिफिकेशन करके रिपोर्ट देते थे। ऐसे में सरकार से अलॉट किया गया धान अचानक कैसे गायब हो गया। सरकार ने इस घोटाले को गंभीरता से नहीं लिया और राइस मिल डिफाल्टर होते गए।
डिफाल्टर मिलर्स सरकार का करोड़ों रुपए का चावल डकारने के बाद भी फर्में बदलकर अन्य मिलों में पार्टनरशिप में कारोबार करते गए। इसमें प्रशासन की लापरवाही साफ नजर आ रही है। खरीद एजेंसियों के एक्सपर्ट बताते हैं कि जो मिल डिफाल्टर हुआ और जिन अधिकारियों की निगरानी की ड्यूटी थी, उन पर भी रिकवरी की गाज गिरनी चाहिए।
तभी तो भविष्य में ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले अफसरों को सबक मिलेगा। जिले में खरीद एजेंसियों के इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर अब भी मंडियों में प्रचेज करते हैं, जिनके नेतृत्व में काफी मिल डिफाल्टर हो चुके हैं। ऐसे स्टाफ को प्रचेज के दौरान मुख्य धारा से अलग किया जाना चाहिए।
34 राइस मिलरों पर 200 करोड़ रुपए का चावल बकाया
वर्ष 2013-14 में 16 मिलर्स, वर्ष 2014-15 में 6 मिल, वर्ष 2015-16 में 4 मिल, वर्ष 2016-17 में एक मिल, वर्ष 2017-18 में 3 मिल, वर्ष 2019-20 में 4 मिलर्स डिफाल्टर हुए हैं। जिन्होंने सीएमआर का चावल नहीं लौटाया है।
जिले में 34 डिफाल्टर राइस मिलर्स में से 32 राइस मिलर्स की प्रोपर्टी अटैच करवाई जा चुकी है। जिले में 34 राइस मिलरों पर लगभग 200 करोड़ रुपए बकाया खड़ा है। इनमें से 15 राइस मिलों के कुडकी के ऑर्डर निकाल दिए गए हैं।
मिलर्स का जवाब : 67 प्रतिशत चावल में खर्चा भी नहीं होता पूरा
सरकार की तरफ से जो धान खरीदा जाता है, उसको चिन्हित राइस मिलों को चावल उपलब्ध करवाने के लिए अलॉट किया जाता है। धान अलॉट का 67 प्रतिशत चावल देना होता है यानि 100 किलोग्राम धान लेने पर 67 किलोग्राम चावल देना होता है। जो यह चावल नहीं देते उनको डिफाल्टर किया जाता है। दूसरी तरफ राइस मिलर्स का कहना है कि 67 प्रतिशत चावल उपलब्ध करवाने में खर्चा पूरा नहीं होता है।
-इन मिलों की हुई कुडकी :
1. गणपति एग्रो फूड निसिंग
2. जीआर इंटरनेशनल निसिंग
3. गोयल ओवरसिज निसिंग
4. अक्षर ओवरसिज तरावड़ी
5. एलआर इंटरनेशनल निसिंग
6. शर्मा एग्रो फूड जुंडला
7. डीएम फूड निसिंग
8. भगवती एग्रो फूड निसिंग
9. मैं. कृष्णा फूड काछवा
10. अपूर्णा एग्रो फूड करनाल
11. आशीर्वाद फूड करनाल
12. दीपक राइस मिल काछवा
13. महाबीर सीरियल नीलोखेड़ी
14. अक्षर अोवरसीज तरावड़ी
15. रामदेव इंटरनेशनल करनाल
नोट : (खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की तरफ से जारी की गई लिस्ट)
15 राइस मिलरों की कुड़की की गई है। इनकी नीलामी करने के लिए जिला राजस्व अधिकारी के पास फाइल भेजी गई है। सीएमआर का चावल नहीं लौटाने वाले मिलरों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
डिफाल्टर्स मिलों को नोटिस जारी करके रिकवरी जमा करवाने के लिए कहा जा रहा है। जो रिकवरी जमा नहीं करवाएगा, उनके मिलों पर भी नियमों के तहत कुड़की की जाएगी।