- पशु पालन विभाग की ओर से सैक्टर-33 में आयोजित पशु मेला सफल रहा,
- मेले में उत्कृष्टï पशुओं की केटेगरी बना उनके पालकों को 1 लाख 5 हजार रूपये के ईनाम बांटे,
- विभाग के उप निदेशक डॉ. राजबीर वत्स ने किया पुरस्कार वितरण।
पशु पालन एवं डेयरी विभाग करनाल के तत्वावधान में शुक्रवार को शहर के सैक्टर-33 स्थित एच.एस.वी.पी. मैदान में एक दिवसीय जिला स्तरीय पशुधन प्रदर्शनी का आयोजन प्रतिभागी पशु एवं उनके पालकों की संख्या के लिहाज से सफल रहा। इसमें 630 पशुपालक 317 पशुओं को लेकर आए। प्रदर्शनी में आए इन पशुओं की 17 केटेगरी बनाई गई थी। विभाग के उप निदेशक डॉ. राजबीर वत्स के मार्गदर्शन में रिटायर्ड पशु चिकित्सकों ने ईनामो के लिए उत्कृष्टï पशुओं का चयन किया और प्रथम, द्वितीय व तृतीय रहे पशु के मालिकों को कम्रश: 3100, 2100 व 1100 रूपये की नकद राशि प्रदान की गई।
सांत्वना के रूप में 500 व 200 रूपये के पुरस्कार भी दिए गए। कुल 1 लाख 5 हजार रूपये की राशि ईनाम के रूप में वितरित की गई। मेले में पशु पालन डेयरी विभाग से जुड़े विभागों एवं फीड व पशु दवा कम्पनियों की ओर से करीब डेढ दर्जन स्टाल भी लगाए गए थे।
प्रदर्शनी में विभाग की ओर से एक ज्ञान गोष्ठïी का आयोजन किया गया, जिसमें विशेषज्ञों द्वारा पशुओं के रख-रखाव एवं उनके स्वास्थ्य सम्बंधी जानकारियां पशु पालकों को दी गई। गोष्ठïी में उप निदेशक डॉ. राजबीर वत्स ने विभाग की ओर से लागू मुख्य-मुख्य योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पशु पालन डेयरी विभाग हरियाणा देश में ऐसा पहला राज्य है, जहां गाय एवं भैंसों को गल-घोटू एवं मूहं खुर बीमारी से बचाव के लिए संयुक्त टीकाकरण किया जा रहा है, जिसका दूसरा चरण लगभग पूरा हो चुका है। इससे इन बीमारियों पर पूर्णत: रोकथाम लग सकेगी। उन्होंने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु बीमा योजना के तहत बड़े पशुओं का मात्र 100 रूपये में तथा छोटे पशुओं का बीमा मात्र 25 रूपये में प्रतिवर्ष किया जाता है। इस योजना में पशु की असमय मृत्यु होने पर पशु पालक को बीमित राशि का भुगतान बीमा कम्पनी द्वारा किया जाता है। प्रीमियम सरकर वहन करती है। योजना में अनुसूचित जाति के पशु पालकों के पशुओं का बीमा नि:शुल्क है।
पशु प्रर्दशनी की खासियत यह रही कि विजयी रही गाय व भैंसों का कैटवाक भी करवाया गया, जिसकी पशु पालकों मेले देखने आए दर्शकों ने सराहना की। इसी प्रकार मेले में पहली बार पशु निदान प्रयोगशाला का स्टाल लगाकर पैथोलॉजिस्ट डॉ. विकास चौधरी ने पशुओं में होने वाले विभिन्न रोग जैसी चिचड़ी बुखार, ब्रुसलोसिस व थनैला रोगों के नि:शुल्क टैस्ट किए और उनके उपचार के लिए पशु पालकों को विस्तार से जानकारी दी।
केटेगरी अनुसार निम्र पशुओं के पशुपालक विजेता रहे। मुर्रा झोटा केटेगरी में दादूपुर रोड़ान के प्रवीन कुमार प्रथम, मानपुरा के अजीत सिंह द्वितीय तथा शेरगढ़ टापू के ईश्वर सिंह तृतीय रहे। सौंकड़ा के नरेन्द्र, सालवन के परमजीत सिंह तथा दादूपुर रोड़ान के प्रवीन कुमार को सांत्वना पुरस्कार मिला। दुधारू मुर्रा भैंस केटेगरी में कुचपुरा के राजपाल को प्रथम व द्वितीय दोनो पुरस्कार दिए गए, जबकि बड़ागांव के पुर्णसिंह को तृतीय पुरस्कार मिला।
इसी नस्ल की ड्राई अथवा दूध ना देने वाली भैंस की केटेगरी में दादुपुर खुर्द के प्रेम सिंह को प्रथम, बांसा के अमरदीप सिंह को द्वितीय तथा कैमला के संदीप कुमार को तृतीय पुरस्कार मिला। कुचपुरा के राजपाल को तृतीय पुरस्कार दिया गया। मुर्रा झोटी केटेगरी में शेरगढ़ टापू के ईश्वर सिंह को प्रथम, दादुपुर खुर्द के प्रेम सिंह को द्वितीय तथा काछवा के सुरेन्द्र को तृतीय पुरस्कार दिया गया। रांवर के अजय कुमार को सांत्वना पुरस्कार मिला।
हरियाणवी नस्ल की दुध देने वाली गाय की केटेगरी में दादुपुर खुर्द के वासूदेव को प्रथम, तरावड़ी के राम सिंह को द्वितीय तथा नलीखुर्द के संदीप केश्वर को तृतीय पुरस्कार दिया गया। खेड़ीनरू के राकेश व कलरी जागीर के सुमित को सांत्वना पुरस्कार दिए गए। इसी केटेगरी में दुध ना देने वाली गाय के लिए कुचपुरा के रमेश चंद, तरावड़ी के नरेश कुमार तथा दादुपुर खुर्द के राजबीर सिंह ने क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार हासिल किए। स्टौंडी के रजत व अलीपुर खालसा के विरेन्द्र को सांत्वना पुरस्कार मिले। दूध देने वाली साहीवाल गाय की केटेगरी में पशु पालक दादुपुर के राजबीर प्रथम, इसी गांव के प्रेम सिंह द्वितीय तथा तरावड़ी के आशीष ने तृतीय पुरस्कार हासिल किया।
दादुपुर के प्रेम सिंह व तरावड़ी के रणदीप को सांत्वना पुरस्कार बांटे गए। इसी केटेगरी में दूध ना देने वाली गाय की केटेगरी में तरावड़ी के आशीष को प्रथम, दादुपुर के सतबीर को द्वितीय तथा तरावड़ी के रणदीप को तृतीय पुरस्कार दिया गया। स्टौंडी के विरेन्द्र कुमार को सांत्वना पुरस्कार मिला। विदेशी अथवा क्रॉस ब्रिड दूध देने वाली गायों की केटेगरी में दादुपुर के प्रदीप सिंह प्रथम रहे, दादुपुर खुर्द के प्रेम द्वितीय तथा इसी गांव के राजबीर तृतीय रहे। दूध ना देने वाली गायों की इसी केटेगरी में दादुपुर खुर्द के कुलदीप सिंह प्रथम, दादुपुर के राजबीर सिंह द्वितीय तथा कैमला के बलविन्द्र को तृतीय पुरस्कार दिया गया। बसताड़ा के हरिन्द्र कुमार तथा रांवर के अजय कुमार को सांत्वना पुरस्कार दिए गए। गोशाला दुधारू गाय की केटेगरी में जुण्डला की कृष्ण गोपाल गोशाला को प्रथम पुरस्कार मिला।
निसिंग की कृष्ण गोपाल गोशाला को द्वितीय तथा जुण्डला की इसी नाम से गोशाला को तृतीय पुरस्कार दिया गया। निसिंग गोशाला को द्वितीय के साथ-साथ सांत्वना पुरस्कार भी दिया गया। गोशाला दुधारू गाय देसी नस्ल की केटेगरी में प्रथम, द्वितीय व तृतीय तीनो पुरस्कार जुण्डला की कृष्ण गोपाल गोशाला ने हासिल किए। नर भेड़ की केटेगरी में बड़ागांव के धर्मवीर को प्रथम तथा दरड़ के मानसिंह को द्वितीय पुरस्कार दिया गया। नर बकरी की केटेगरी में दाहाजागीर के सोहन कुमार को प्रथम, दरड़-संगोही के मानसिंह को द्वितीय तथा गड़पुर टापू के इस्लाम को तृतीय पुरस्कार मिला। पुण्डरी गांव के फारूख तथा इसी गांव के इंतजार अली को सांत्वना पुरस्कार दिए गए।
मादा बकरी केटेगरी में दाहा जागीर के सोहन कुमार प्रथम रहे, दरड़ के राशिद अहमद द्वितीय तथा पुण्डरी के सोहेल अली तृतीय स्थान पर रहे। इस केटेगरी में दरड़ के मानसिंह को सांत्वना पुरस्कार मिला। नर सुअर की केटेगरी में रांवर के संदीप राठी प्रथम, सीदपुर के विनोद कुमार द्वितीय तथा रांवर के ही संदीप राठी को तृतीय पुरस्कार दिया गया। संगोही के शेर सिंह को सांत्वना पुरस्कार मिला। इसकी फीमेल केटेगरी में रांवर के संदीप राठी प्रथम और सीदपुर के विनोद कुमार द्वितीय रहे। पुरस्कार वितरण उप निदेशक डॉ. राजबीर वत्स ने किया।