शहर के सैक्टर-6 में बरसाती पानी के खड़े हो जाने की समस्या का स्थाई हल जिला प्रशासन ने खोज लिया है। प्रस्तावित योजना में प0. चिरंजी लाल शर्मा राजकीय स्नातकोतर महाविद्यालय के दक्षिण में बाउण्डरी वाल के पीछे मौजूद हुडा लैंड पर एक पम्प हाउस बनाया जाएगा। पम्प हाउस से मुगल कैनाल तक करीब 700 मीटर लम्बी रेजि़ंग मेन्स (पाईप लाईन) के जरिए सैक्टर-6 से आने वाले स्ट्रोम वाटर की निकासी सुनिशचित की जाएगी। उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया ने आज एन.एच. 44 (करनाल बाईपास) से लेकर मुगल कैनाल पर बनी डिस्पोज़ल तक के इस एरिया का दौरा किया। उनके साथ नगर निगम की आयुक्त डॉ. प्रियंका सोनी, मुख्य अभियंता अनिल मेहता, हुडा के अधीक्षण अभियंता वाई.एम. मेहरा, सहायक इंजीनियर धर्मवीर सिंह तथा जुनियर इंजीनियर राम निवास भी थे।
दौरे के बाद आयुक्त ने बताया कि बारिष के बाद सैक्टर-6 में जलभराव होने से नागरिकों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। इसके स्थाई हल के लिए गत दिनों उक्त दोनो विभागों के अधिकारियों के साथ कई विकल्पों पर विचार किया गया था, जिनमें आज किए गए दौरे का विकल्प ही सबसे उपयुक्त जान पड़ा है। उन्होने बताया कि इस कार्य के लिए सबसे पहले राजकीय कॉलेज व हुडा के अधिकारियों से एन.ओ.सी. ली जाएगी। इसके पश्चात कार्य का रफ एस्टीमेट तैयार किया जाएगा। वास्तविक खर्च कितना होगा, इसका अभी सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता, लेकिन इस पर करीब डेढ करोड़ रूपये की लागत आने की सम्भावना है।
उन्होने बताया कि सैक्टर-6 के बारिश के पानी की निकासी के लिए वर्तमान में जो चैनल बना हुआ है, उसमें हुडा की पाईप लाईन जी.टी. रोड़ बाईपास के साथ लगती ग्रीन बेल्ट से होते हुए राजकीय कॉलेज के अन्दर से गुजर कर मुगल कैनाल पर बने डिस्पोजल तक जाती है। बारिष के दौरान इस लाईन में सैक्टर-14 का पानी भी जाता है। परिणामस्वरूप पानी की अधिकता होने के कारण पहले सैक्टर-14 का पानी निकलता है, फिर सैक्टर-6 के पानी की निकासी एक दम न होकर धीरे-धीरे होती है। इसका स्थाई हल यही है कि राजकीय कॉलेज की बाउण्डरी की बैक साईड पर सम्पवैल (कुआं) तथा पम्प हाउस बनाया जाए। इसमें सैक्टर-6 से आने वाला बरसाती पानी इकठ्ठा होगा, जिसकी पम्प हाउस की मोटर से प्रैशर के जरिए रेजिंग मेन्स लाईन से मुगल कैनाल तक निकासी की जाएगी, जिससे इस सैक्टर का पानी तेजी से निकल जाएगा।
आयुक्त ने बताया कि हुडा और कॉलेज से एन.ओ.सी. मिलने के बाद नगर निगम एस्टीमेट बनाएगा और फिर टैण्डर लगाने के बाद वर्कअलॉट होगा। तथापि आगामी 6 महीनों में यह कार्य पूरा हो जाने की उम्मीद रहेगी। इन उपायों से आगामी मानसून सीजन में सैक्टर-6 में जलभराव की समस्या नहीं रहेगी।