सीएम सिटी में कुकुरमुत्ते की तरह संचालित कोचिंग संस्थाएं छात्रों को ऊंचे ख्वाब व बड़े सपने तो दिखा रही है ,लेकिन सुरक्षा के मानकों का ध्यान नहीं रख रहीं। यदि यहा सूरत जैसी घटना हो जाए तो छात्रों की जान बचा पाना मुश्किल होगा। शहर में दर्जनों कोचिंग सेंटर संचालित हैं। कोई आइएएस बनाने का ख्वाब दिखाता है तो कोई एमबीए, इंजीनियरिंग का।
लोगों को आकर्षित करने के लिए बिल्डिंग के बाहर बड़ा सा बोर्ड लगा देते हैं। कई स्थानों पर बच्चों को बेसमेंट में पढ़ाया जा रहा है। दमकल विभाग के अधिकारियों ने बेसमेंट में बच्चों को बैठाने पर कोचिंग सेंटरों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है। वहीं मंगलवार को बिना फायर सेफ्टी के चल रहे 11 कोचिग सेंटरों के संचालकों को नोटिस थमाया गया।
शहर में 270 कोचिग सेंटर
प्रतिस्पर्धा की दौड़ में शहर के 270 बिना सुरक्षा के कोचिग सेंटरों में बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं। अधिकतर कोचिग सेंटरों में सीढि़यों से चार बच्चे भी एक साथ ऊपर या नीचे नहीं आ सकते हैं। इन सेंटर संचालकों ने आमदनी के लालच में एक फ्लोर में छोटे-छोटे केबिन बनवाए हुए हैं, जहां बच्चे बैठ कर पढ़ते हैं। आग लगने की स्थिति में यहां बड़ा हादसा हो सकता है।
बेसमेंट में अधिक खतरा
दमकल विभाग के अधिकारी रामपाल ने बताया कि बेसमेंट छोटे-मोटे सामान को स्टोर करने के लिए होता है। यहां बच्चों को किसी सूरत में नहीं बैठाया जा सकता है। कामर्शियल दुकानों में बेसमेंट से निकलने का रास्ता होता है। अगर यहां आग लग तो लोगों को बचाना बहुत मुश्किल होगा। बेसमेंट में पानी का फैलाव भी कम होता है और सुरक्षा कर्मचारियों को प्रवेश करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। केबिनों की सीढि़यों की चौड़ाई कम होने के कारण पहले ही ऊपर-नीचे आना मुश्किल होता है। बेसमेंट में चल रहे कोचिग सेंटरों को बंद कराया जाएगा।
नहीं मिले आग बुझाने के सिलेंडर
दमकल विभाग की टीम ने कोचिग सेंटरों की जांच की तो आग बुझाने के यंत्र ही नहीं मिले। नगर निगम और हुडा की बिल्डिंग में थोड़ी जगह में जरूरत से ज्यादा बच्चों को बैठाया जा रहा है। इन सेंटरों का रास्ता भी एक तरफा है, जिससे हादसा होने पर बाहर निकलना मुश्किल हो सकता है। इन कोचिग सेंटरों में धुएं से बचने की व्यवस्था भी नहीं है।
गर्मियों की छुट्टियों में बढ़ रही बच्चों की संख्या
गर्मियों की छुट्टियों के चलते अभिभावक अपने बच्चों के करियर को लेकर गंभीर होते हैं। दसवीं व 12वीं की परीक्षा के बाद बच्चे करियर से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए कोचिग सेंटर में दाखिला लेते हैं। कुछ बच्चे विदेश में शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक होते हैं, जिसके चलते इंग्लिश स्पीकिग कोर्स, स्टडी वीजा संबंधित इंटरव्यू की तैयारी में जुट जाते हैं। कोचिग सेंटर संचालकों की मानें तो गर्मियों की छुट्टियों में ही उनका साल भर का खर्चा निकल जाता है।
कोचिग सेंटर संचालकों को थमाए नोटिस
दमकल विभाग के अधिक स्टैंड के पीछे, मुगल केनाल, सेक्टर-13 व 14 में बने कोचिग सेंटरों पर कार्रवाई की जा रही है। मंगलवार को बस स्टैंड के पीछे बने 11 कोचिग सेंटर संचालकों को नोटिए थमाए गए हैं। यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। बेसमेंट में बच्चों को बैठाने वाले सेंटर संचालक को किसी सूरत में नहीं बख्शा जाएगा।