लोकसभा चुनाव के नतीजे हरियाणा में कांग्रेस के लिए भविष्य की राह तय करेगा। भले ही इन नतीजों को लेकर भाजपा भी उत्साहित दिख रही है लेकिन कांग्रेस ने यदि इस लोकसभा चुनाव में कोई करिश्मा कर दिखाया तो ‘चंडीगढ़’ की अगली लड़ाई बेहद रोमांचक होगी।
बहरहाल, हरियाणा में लगातार दस साल राज करने वाली कांग्रेस अभी तीसरे स्थान पर रहते हुए सत्ता से बाहर है।दरअसल हरियाणा में यह लोकसभा चुनाव आगामी विधानसभा चुनाव के लिए ‘सेमीफाइनल’ से कम नहीं है। सूबे के सभी सियासी दलों ने लोकसभा की इस पारी को सेमीफाइनल के तौर पर ही खेला। बस अब 23 मई को नतीजों को इंतजार है। हरियाणा में गुटों में बंटी कांग्रेस के दिग्गजों ने भी इस बार लोकसभा चुनाव अपने-अपने गढ़ में रहते हुए ही लड़ा।
हाईकमान ने सभी दिग्गजों को विधानसभा से पहले लोकसभा के ‘इम्तिहान’ में फंसा दिया था। अब दिग्गज यदि इम्तिहान में पास हुए, तो न केवल हाईकमान की नजरों में उनका कद और ऊंचा हो जाएगा, बल्कि विधानसभा के चुनावी रण में भी ये दिग्गज फेरबदल का माद्दा रखेंगे। पिछली लोकसभा में कांग्रेस के पास सिर्फ एक सीट रोहतक थी। मगर इस बार कांग्रेस ये भली प्रकार जानती है कि चार माह बाद चंडीगढ़ फतेह करना है तो लोकसभा में खुद को साबित करते हुए एक बार फिर सूबे में कांग्रेस के लिए माहौल बनाना होगा।
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा हालांकि सोनीपत से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन उन्होंने रैलियों के मंच से यह खुला एलान किया है कि इस बार वह सोनीपत से दिल्ली पहुंचेंगे और फिर चंडीगढ़ फतेह करेंगे।फिलहाल जीत के लिए हुड्डा ने ज्यादा फोकस सोनीपत और अपने बेटे की सीट रोहतक तक ही सीमित रखा। भावी सीएम का दम भरने वाले कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डा. अशोक तंवर भी इस बार सिरसा तक ही सीमित रह गए। तंवर सिरसा से प्रत्याशी हैं।
इसी तरह सीएलपी लीडर और भावी सीएम पद की दावेदार किरण चौधरी भी अपने बेटी श्रुति की जीत के लिए भिवानी-महेंद्रगढ़ तक ही सिमटी रहीं।राव अजय सिंह यादव भी अपनी सीट गुरुग्राम को निकालने में ही उलझे रहे। कुमारी सैलजा भी अपनी ही सीट अंबाला को बचाने में जुटी रही, तो रणदीप सुरजेवाला भी कुरुक्षेत्र संसदीय क्षेत्र तक ही सक्रिय दिखाई दिए।
भावी सीएम पद के अन्य दावेदार कुलदीप बिश्नोई भी अपने बेटे भव्य की जीत के लिए हिसार से बाहर नहीं निकल पाए। खैर, अब इन दिग्गजों ने यदि अपनी-अपनी सीटें जीतकर हाईकमान की झोली में डाली, तो यह तय है कि आगामी विधानसभा के मुकाबले को कांग्रेस जरूर रोमांचक बनाएगी।
विधानसभा तक दिखानी होगी एकजुटता
कांग्रेस लोकसभा चुनाव में अपना जलवा भले ही दिखा जाए, मगर कांग्रेस की ये कामयाबी एकजुटता के बिना अधूरी रहेगी। हाईकमान ने लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में बंटी कांग्रेसी दिग्गजों को एकजुट करने की जिम्मेवारी हरियाणा के प्रभारी गुलाम नबी आजाद को दी थी।एक बस यात्रा के दौरान नबी ने सभी दिग्गजों को एक मंच पर लाने का प्रयास भी किया।
मगर देखना यह होगा कि विधानसभा की लड़ाई तक कांग्रेसियों में एकजुटता रहती है या नहीं, क्योंकि भाजपा भी हमेशा कांग्रेस के बिखराव को ही अपनी ताकत बनाने की फिराक में रहती है।