करनाल में इस बार हुए लोकसभा चुनाव का माहौल पिछली बार हुए लोकसभा चुनावों से बिल्कुल अलग था ! इस बार किसी भी पार्टी के उम्मीदवार ने अपने चुनाव प्रचार में व प्रचार सामग्री जैसे पोस्टर्स ,होर्डिंग्स ,झंडे ,स्टीकर्स ,टोपियां आदि पर पैसा बिल्कुल भी खर्च नहीं किया !
जितने वालों को पता था कि हम जीत रहे है ओर हारने वालों को पता था की हम हार रहे है इसलिए किसी भी उम्मीदवार ने पैसा नहीं खर्चा !
करनाल में होर्डिंग्स पोस्टर्स व बैनर्स बनाने वालों की नही हुई कमाई – कई महीने पहले से कर रखी थी तैयारी – होर्डिंग्स का काम करने वाले कुछ दुकानदारों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी भी उम्मीदवार ने अपने होर्डिंग्स व अपने नेताओं के होर्डिंग्स चुनाव में नहीं लगवाए ! हर चुनाव चाहे वह लोकसभा का हो या फिर विधानसभा का लाखों करोड़ों का कारोबार होता है हमारा लेकिन यह चुनाव बिल्कुल खाली गया !
हर उम्मीदवार जहाँ जहाँ जनसभा या प्रोग्राम करता था तो उसे वह लोग पैसों से भरा लिफाफा पकड़ाते थे इस तरह की प्रथा सालों से चली आ रही है ,लिफाफा देने वाले भी लिफाफा इसलिए देते है उम्मीदवार को ताकि जितने के बाद अगर वह सांसद साहब के पास जाए तो उनकी पुछ हो उनके काम हो ! वही इस बार भी तकरीबन सभी उम्मीदवारों को उनके स्पोर्टर्स द्वारा लिफाफों में बंद वह गुप्त दान हर बार के चुनावों की तरह बढ़ चढ़कर दिया गया !
अखबारों में भी नहीं दिखे उम्मीदवारों के विज्ञापन
हर चुनाव में उम्मीदवार व पार्टी की तरफ से चुनाव से 2 से 3 दिन पहले फ्रंट फ्रंट पेज के बड़े बड़े विज्ञापन भी अखबारों में दिए जाते थे एक उम्मीदवार की देखा देखी दूसरा उम्मीदवार भी लाखों खर्च कर बड़े बड़े विज्ञापन अखबारों में देते थे लेकिन इस बार वह भी नजर नहीं आये !
बाजारों में ,बिजली के खंबो में ,दीवारों पर ,हाईवे पर जगह जगह पहले हर चुनाव में उम्मीदवारों के उनके नेताओ के साथ फोटो के बड़े बड़े होर्डिंग्स देखने को मिलते थे लेकिन इस बार करनाल लोकसभा चुनाव में ऐसा भी कुछ नजर नहीं आया जिस कारण भी चुनाव से एक दिन पहले तक भी लोगों में वह चुनावी उत्साह नजर नही आया !