हरियाणा में लोकसभा के चुनाव संपन्न हो चुके हैं ! अब नजर नतीजों पर हैं, क्योंकि यही चुनावी परिणाम ये तय करेंगे कि भविष्य में किस दिग्गज और दल की राह पथरीली होने वाली है और कौन मजबूती से उभर कर सामने आएगा !
इस बार हालांकि सूबे में वोटिंग 60 फीसद से अधिक हुई है, मगर आंकड़ा वर्ष 2014 के वोटिंग प्रतिशत को नहीं छू पाया है, लेकिन इस चुनाव का रुझान किस पार्टी के पक्ष में जीत का माहौल बनाएगा, इसका फैसला 23 मई को हो जाएगा !
हरियाणा में इस बार लोकसभा चुनाव की सजी सियासी बिसात पर सभी राजनीतिक दलों ने मोहरे भी मजबूती से उतारे और चालें भी पूरी कूटनीतिक ढंग से चली थी, लेकिन यह तय है कि शह और मात के इस खेल में हारने वाले दिग्गजों की न केवल डगर मुश्किल होने वाली है, बल्कि उनके सामने कई तरह की नई चुनौतियां भी मुखर होंगी, क्योंकि ठीक चार माह बाद सूबे में विधानसभा चुनाव की बिसात सजने वाली है !
इस बार हुए लोकसभा चुनाव में सीएम मनोहर लाल खट्टर समेत हुड्डा पिता-पुत्र , पूर्व सीएम बंसीलाल परिवार , भजनलाल और देवीलाल व राव परिवार के वंशजों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है !
विधानसभा चुनाव से पहले सीएम मनोहर लाल को लोकसभा की इस पारी को फतेह कर भाजपा हाईकमान को सूबे में ‘टीम मनोहर’ के जलवे का अहसास करवाना होगा ! ऐसा हुआ तो न केवल टीम मनोहर का कद केंद्रीय नेतृत्व के सामने और ऊंचा होगा, बल्कि विधानसभा चुनाव से पहले उनकी टीम भी उत्साह से पूरी तरह लबरेज रहेगी, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का परचम थामने वाले पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा के लिए फिर से जीत जरूरी होगी !
हुड्डा-पिता पुत्र जीतते हैं, तो बिखराव में बंटी इस कांग्रेस में हाईकमान के सामने न केवल पूर्व सीएम हुड्डा का कद और ऊंचा होगा, बल्कि उनके बेटे दीपेंद्र भी ज्यादा मजबूत होंगे, क्योंकि इस बार भाजपा ने लोकसभा चुनाव में हुड्डा पिता-पुत्र को पटकनी देने के लिए कड़ी घेराबंदी की थी !
पूर्व सीएम बंसीलाल की पुत्रवधू और सीएलपी लीडर किरण चौधरी की चौधर भी बेटी श्रुति की जीत से ही जुड़ी है ! बेटी जीती तो मां किरण की चौधर और बढ़ेगी और विधानसभा में कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष की उनकी दावेदारी को और बल मिलेगा, आचार संहिता के बाद हरियाणा विधानसभा में नए नेता प्रतिपक्ष का चयन होना है ! साथ ही पिछला चुनाव हारी उनकी बेटी श्रुति के लिए भी इस बार जीत आगे की राह आसान करेगी !
पूर्व उप प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल की विरासत तो लोकसभा चुनाव से पहले ही बिखर चुकी थी , इस चुनाव में देवीलाल के दोनों पोते अभय चौटाला और अजय चौटाला ने अलग-अलग राह चलते हुए इनेलो और जननायक जनता पार्टी (जजपा) के बैनर तले सभी सीटों पर यह चुनाव लड़ा है ! जाहिर है दोनों ही दलों का भविष्य चुनावी नतीजे पर टिका है !
इनेलो के खाते में कोई सीट आई तो इस दल को संजीवनी मिल जाएगी, उधर, जजपा का चुनाव में खाता खुला तो इस पार्टी के लिए अच्छी सियासी शुरूआत होगी ! पूर्व सीएम राव वीरेंद्र के बेटे सांसद राव इंद्रजीत भी इस बार फिर मैदान में हैं, मुकाबला कड़ा था, जीते तो अहीरवाल में उनकी धाक और बढे़गी !
इसके अलावा केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह सीधे हाईकमान से अपने आईएएस बेटे बृजेंद्र के लिए टिकट लाए थे, दूसरी ओर, पूर्व सांसद एवं विधायक कुलदीप बिश्नोई ने भी अड़कर कांग्रेस हाईकमान से बेटे भव्य बिश्नोई के लिए टिकट ली है, दोनों दिग्गजों के बेटे हिसार से आमने-सामने हैं ! बच्चों का तो पहला चुनाव हैं, लेकिन उनकी हार-जीत उनके पिता की ‘चौधराहट’ से जुड़ी है !
इस लोकसभा चुनाव में भाजपा के बागी सांसद राजकुमार सैनी की नई लोकतांत्रित सुरक्षा पार्टी (लोसुपा) ने भी बसपा के साथ और आम आदमी पार्टी ने जजपा के साथ चुनाव लड़ा है ! लोसुपा का यह पहला और आप का यह दूसरा लोकसभा चुनाव है ! अब नतीजे ही भविष्य में इन पार्टियों का प्रभाव तय करेंगे !
इसके अलावा सांसद दुष्यंत चौटाला, कृष्णपाल गुर्जर, रतनलाल कटारिया, कुमारी सैलजा, राज्यमंत्री नायब सैनी, पूर्व राजस्व मंत्री निर्मल सिंह, दिग्विजय चौटाला, डा. अशोक तंवर, अरविंद शर्मा, अवतार भड़ाना, संसद चरणजीत सिंह रौड़ी, धर्मबीर, रमेश कौशिक, राव कैप्टन अजय सिंह यादव जैसे दिग्गजों की साख भी नतीजों पर टिकी है !