महाप्रभावी श्री घण्टाकर्ण महावीर देवस्थान के वार्षिक स्थापना दिवस पर जनसेवा तथा जरुरतमंद रोगियों को कम मूल्य पर चिकित्सा सुविधा कराने हेतु श्री आत्म मनोहर डायग्नोस्टिक सेन्टर का भूमिपूजन तथा शिलान्यास उपप्रवर्तक पीयूष मुनि जी महाराज की सद्प्रेरणा से हजारों भक्तों की उपस्थिति मे मंगलमय रुप से हुआ।
समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैया जोशी विशेष रुप से उपस्थित हुए। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि जैन धर्म में अहिंसा के साथ-साथ सेवा को भी महत्त्व दिया गया है। रोगी की सेवा शुश्रूषा करना तथा उसे सुख पहुंचाना मानव का नैतिक कत्र्तव्य है। मानव सामाजिक प्राणी होने के नाते दूसरों के काम आना उसकी जिम्मेदारी है जिसे टाला नहीं जा सकता।
आदर्श की परम्परा भारत के इतिहास की विशेषता है दधीचि ऋषि ने सज्जनों की रक्षा के लिए अपनी अस्थियां समर्पित कर दी थीं जिससे बनाए वज्र ने असुरों का संहार किया। अभाव तथा साधनहीनता का जीवन समाज के लिए चिन्तनीय है। एक तरफ सम्पन्नता तथा दूसरी ओर विपन्नता समाज में भेदभाव की खाई उत्पन्न करती है जिससे अशान्ति और अव्यवस्था फैलती है।
कुछ विषमताएं तथा कमियां व्यक्ति को दुखी करती हैं और उसके जीवन को स्वाभाविक प्रसन्नता के गुण से वंचित कर आनंद के स्रोत को सुखाने का काम करती हैं। किसी के अभाव को पूरा करने से अवर्णनीय सुख मिलता है क्योंकि अपना पेट भरने की बजाए किसी दूसरे की भूख मिटाने से अधिक आनन्द आता है।
उन्होंने बतलाया कि अपने देशव्यापी प्रवास के दौरान उन्होंने गुजरात में पक्षीगृह बने हुए देखे जहां अन्न तथा जल के साथ छाया का भी समुचित प्रबन्ध होता है। प्रत्येक किसान अपनी उपज में पशु-पक्षियों का भाग मानते हुए अपनी ओर से सहयोग देता है। इससे समाज में संघर्ष दूर होता है। अन्यथा गड़बड़ बढ़ती है। भारतीय संस्कृति का अमरग्रन्थ गीता किसी प्राणी से द्वेष न करने का संदेश देता है। अठारह पुराणों का सार पुण्य तथा पाप की परिभाषा में है। परोपकार पुण्य है और दुसरों को दुख पहुंचाना पाप है। महापुरुष सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
समय तथा परिस्थितियों के अनुसार देश-काल बदलता है। सत्ता से बहुत बड़ा परिवर्तन हृदय के रुपान्तरण के बिना सम्भव नहीं है। अपनी जरुरतें पूरी करने में कोई बड़प्पन नहीं है। अपने तथा परिवार के लिए हर व्यक्ति आवास बनाता है परन्तु अन्य जीवों को राहत पहुंचाने के लिए स्थान बनाना पुण्य है। जिसके पास जो भी साधन हैं, उससे दूसरों का भला किया जाए। अपना कत्र्तव्य धर्म समझकर निभाया जाए बिना कोई बहाना बनाए।
सुरेश भैया जोशी ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में सकारात्मक प्रयासों की बहुत जरुरत है। सेवा उपलब्ध कराना सिर्फ प्रशासन का उत्तरदायित्व ही नहीं है। व्यक्तिगत स्तर पर भी ठोस प्रयास किए जाने चाहिएं। सरकार ढांचागत व्यवस्था करती है परन्तु जन साधारण की मानसिकता में सरकारी व्यवस्था के प्रति आस्था कम और सेवाभावी व्यवस्था के प्रति विश्वास अधिक होता है कत्र्तव्य भावना से प्रेरित होकर फर्ज बखूबी तथा प्रसन्नता से निभाया जाता है।
व्यक्ति की प्रसन्नता उसके आचरण पर निर्भर होती है। सन्त-महात्माओं की प्रेरणा से सात्विक रुप से समर्पण भावना के साथ काम सम्पन्न होता है। सिर्फ बात बनाने से काम नहीं चलता। बात के अनुसार कार्य तथा व्यवहार भी करना पड़ता है। यात्रा शुरु करने पर मंजिल की ओर बढ़ा जाता है। एक कदम बढ़ाने से मंजिल एक कदम नजदीक हो जाती है। संकल्पपूर्वक चलने पर सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं जैन समाज परोपकार में अग्रणी है तथा संख्या में कम होने पर भी इस समाज द्वारा प्रचुर जनकल्याणकारी कार्य किए जा रहे हैं।
उन्होंने आत्म मनोहर एजुकेशनल सोसायटी तथा इसके अन्तर्गत कार्यरत संस्थाओं द्वारा शिक्षा, संस्कार निर्माण, सुखमय जीवन शैली प्रशिक्षण तथा चिकित्सा सेवा में किए जा रहे ठोस प्रयासों की सराहना की और इस हेतु प्रबल प्ररेणा देने के लिए उत्तर भारत गौरव श्री पीयूष मुनि जी का अपनी ओर से शाल ओढ़ाकर स्मृति चिन्ह अर्पित कर अभिनन्दन किया ।
उपप्रवर्तक पीयूष मुनि जी ने रोगी सेवा तथा उसे चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराना बहुत बड़ा पुण्य बतलाया। भगवान महावीर ने दूसरों में भी समान आत्मतत्त्व का दर्शन करने की प्रेरणा देकर जीने का स्वर्णिम सूत्र दिया है। रोगी की अग्लान भाव से बिना किसी नफरत के सेवा करने को सबसे बड़ा मानव धर्म बतलाया गया है। सेवा, सहकार तथा सहयोग ही मानव की विशेषता है जो मानव तथा पशु में भेद करती है। उन्होंने उदारता पूर्वक इस रोगी सेवा यज्ञ में आहूति देने की प्रेरणा दी।
अखिल भारतीय कार्यकारी परिषद् सदस्य इन्द्रेश कुमार ने भी सेवा कार्यों की प्रेरणा दी। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के अनेक वरिष्ठ केन्द्रीय पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध उद्योगपति राम कुमार जैन, लुधियाना ने की। राष्ट्रपति सचिवालय के ओ.एस.डी. अंकित जैन, अनेक पूर्व न्यायाधीश तथा वर्तमान न्यायाधीश, मंत्रीगण, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष, अनेक विधायक, निगमों के अध्यक्ष, सदस्य, पूर्व केन्द्रीय तथा राज्य मंत्री, प्रदेश भाजपा के महामंत्री तथा अन्य पदाधिकारीगण, जिलाध्यक्ष, मेयर, पार्षद आदि मौजूद रहे।
शिलान्यास में मंत्रोच्चारण के साथा कलश स्थापना एवं शिलापट्ट अनावरण की रस्म मिनी किंग निटवियर्ज, लुधियाना के अशोक अनूप जैन ने की। घण्टाकर्ण मंदिर पर ध्वज प्रतिष्ठा मुजफ्फरनगर के पाइप व्यवसायी मनमोहन जैन ने की। प्रीतिभोज के.एल.जे. हौजरी, लुधियाना की ओर रहा। अखिल भारतीय जैन कांफ्रैस के राष्ट्रीय पदाधिकारी सहित हजारों श्रद्धालुगण उपस्थित हुए। तख्त पटना साहब के मुख्य जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह जी तथा महामण्डलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानन्द जी ने अपनी उपस्थिति से शोभा बढ़ाई।