नशामुक्त समाज के लिए प्रदेश सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने एक अच्छी पहल की है। विभाग ने एक गैर-सरकारी संस्था मेधा लर्निंग फाउंडेशन के जरिए करनाल के राम नगर क्षेत्र में पायलेट तौर पर एक नशामुक्ति जागरूकता अभियान पूरा किया है, जिसमें पंडित चिरंजीलाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय की छात्राओं ने इस क्षेत्र के घर-घर जाकर काउंसलिंग और नुक्कड़ नाटक को हथियार बनाकर नशे की गिरफ्त में आए व्यक्तियों का सर्वे किया।
शहर के कल्पना चावला राजकीय मैडिकल कॉलेज के मनोवैज्ञानिक विभाग के डॉक्टरों का भी इसमें सहयोग लिया गया और सर्वे के बाद चौंका देने वाले परिणाम सामने आए। इसके तहत राम नगर क्षेत्र के करीब 500 ऐसे व्यक्तियों, जो विभिन्न तरह के नशे की लत से पीडि़त हैं, का सर्वे कर उनकी काउंसलिंग की गई। हैरानी की बात यह है कि इनमें 10 से 20 वर्ष की आयु के बीच के बच्चे भी शामिल हैं।
इन प्रयासो के चलते यह बात भी सामने आई कि नशे का कारोबार करने वाले तथाकथित सप्लायर भी युवाओं का जीवन बर्बाद करने में बराबर के दोषी हैं। ऐसे लोगो पर अंकुश लगाने के लिए अब स्थानीय पुलिस की मदद ली जा रही है।
बता दें कि नशामुक्ति जागरूकता अभियान की शुरूआत बीती 18 दिसम्बर से की गई थी, जिसका आज समापन का दिन था। इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की प्रधान सचिव नीरजा शेखर ने शहर के प्रेम नगर स्थित सामुदायिक केन्द्र में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत की। जिला उपायुक्त आदित्य दहिया के अतिरिक्त पुलिस विभाग के डी.एस.पी., मैडिकल कॉलेज के चिकित्सक और पंडित चिरंजी लाल राजकीय महाविद्यालय की प्राचार्य रेखा शर्मा भी कार्यक्रम में शरीक हुए।
प्रधान सचिव नीरजा शेखर ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि प्रदेश को नशामुक्त करने के लिए वर्तमान हरियाणा सरकार वचनबद्घ है, स्वयं मुख्यमंत्री इस कार्य में विशेष रूचि लेकर अधिकारियों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। उन्होने बताया कि किन-किन जिलो में लोग नशे के ज्यादा आदि हैं, उनका सर्वे करवाया गया है। उन्होने बताया कि हालांकि करनाल इन जिलो में शामिल नही था, लेकिन यहां से विशेषकर राम नगर एरिया को लेकर सूचनाएं मिली थी, कि नशे की लत से यहां के लोगो का जीवन बर्बाद हो रहा है।
इसीलिए एन.जी.ओ. की सहायता से सर्वे करवाया गया, इसके माध्यम से सम्पर्ण जानकारी एकत्र की जा रही है। विशेष बात यह है कि नशे के आदि लोगों और उनके परिवारो ने सर्वे में सकारात्मक सहयोग दिया है, जिससे इस बुराई का समाधान करना आसान हो गया है। उन्होने बताया कि मैडिकल कॉलेज के डॉक्टरो ने नशेडियों की काउंसलिंग कर उनका ईलाज भी शुरू कर दिया है। जो लोग काउंसलिंग और ईलाज के लिए आगे नही आएंगे, उनके घर जाकर भी ईलाज किए जाने पर विचार किया जा रहा है।
प्रधान सचिव का कहना था कि नशा एक तरह की बीमारी है, लेकिन इसका ईलाज नामुमकिन नही है। उन्होने कहा कि नशे का कारोबार करने वाले सप्लायरों को काबू करने के लिए पुलिस विभाग को भी अपनी कार्यवाही करने के लिए कहा गया है और जल्द ही इसके अच्छे परिणाम आएंगे। इन प्रयासों से करनाल की सफलता के बाद दूसरे जिलो में भी काम करेंगे।
जिला उपायुक्त आदित्य दहिया ने नशा और शरीर पर उसके प्रभाव को लकड़ी में लगी दीमक का उदहारण देकर समझाया, जो अंदर-अंदर लकड़ी को खाकर एक दिन उसे खोखला कर देती है। नशा करने वाले व्यक्ति का भी यही हाल होता है और नुकसान का काफी देर बाद पता लगता है। उन्होने कहा कि नशा कोई भी हो, बुरा है। लेकिन अब चिकित्सा विज्ञान में इसकी अच्छी दवाएं उपलब्ध हैं, जिनके सेवन से नशा आसानी से छुडवाया जा सकता है।
नशा और उस पर अंकुश लगाने के संदर्भ में उपायुक्त ने तीन पहलुओं का जिक्र्र किया, कहा कि नशे के कारोबारियों को रोकने के लिए पुलिस अच्छी भूमिका निभा सकती है। इसके बाद समाज का रोल आता है, जो जागरूकता के लिए है और तीसरा पहलु मैडिकल यानि चिकित्सा का है। उपायुक्त ने कार्यक्रम में उपस्थित छात्राओं और राम नगर व प्रेम नगर से आए स्थानीय निवासियों को जानकारी दी कि, जो व्यक्ति नशे की वस्तुएं बेचने का काम करते हैं, उनकी सूचना 100 नंबर पर दें।
सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा। इसी प्रकार महिलाओं की सहायता के लिए 1091 हैल्प लाईन है। इस पर कॉल करते ही पुलिस की दुर्गा शक्ति वाहिनी तुरंत मदद के लिए पहुंंचेगी। दूसरी और बच्चो के शोषण और ज्यादती का रोकने के लिए 1098 हैल्प लाईन नंबर है। इस तरह की सहायताओं के लिए करनाल में प्रदेश का पहला वन स्टॉप सेंटर भी खुला हुआ है, जहां पीडि़त महिला को 5 दिन मुफ्त रखा जाता है, उसकी काउंसलिंग की जाती है और पारिवारिक झगड़ा या हिंसा को लेकर जो भी मन-मुटाव हो उसे दूर किया जाता है।
उन्होने बताया कि शहर में नशामुक्ति के लिए रैड क्रॉस सेंटर में भी सुविधा उपलब्ध है, जो नशे के आदि व्यक्ति की मदद के लिए उसकी काउंसलिंग कर उसका ईलाज करवाते हैं।
प्रधान सचिव नीरजा शेखर व उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया ने नशे के विरूद्घ जागरूकता अभियान और सर्वे में शामिल राजकीय कॉलेज की 30 छात्राओं और राजकीय वरिष्ठï माध्यमिक विद्यालय नीलोखेड़ी के 6 छात्रों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
मेधा लर्निंग फांउनडेशन की एरिया मेनेजर नीलम अहलावत ने इस अवसर पर बताया कि मूलत: उनका फाउंनडेशन सरकारी कॉलेजो में विद्यार्थियों को लाईफ स्किल, सॉफ्ट स्किल व टेकनिकल स्किल देने का काम करता है और ट्रेनिंग के बाद बच्चो की प्लेसमेंट भी करवाते हैं।
करनाल में उन्हे नशे के विरूद्घ अभियान चलाकर लोगो को इससे मुक्त करने का प्रोजेक्ट मिला था, जिसमें कॉलेज की छात्राओं ने फीनिक्स यूथ इंटर्नशिप प्रोग्राम के तहत सर्वे में भाग लिया, जो काफी अच्छा रहा। इसमें जिला प्रशासन और मैडिकल कॉलेज के चिकित्सों ने अपेक्षित सहयोग दिया।
मैडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सक डॉ. प्रशांत ने राम नगर क्षेत्र में किए गए सर्वे को लेकर अपने अनुभव बताए। उन्होने कहा कि इस तरह के कामो में लोगो को जोडऩे के लिए मोटीवेशन की जरूरत पड़ती है। नशे के व्यक्ति की काउंसलिंग करके उसका ईलाज किया जाता है। उन्होने सर्वे के अनुभवो को काफी सुखद बताया।
पंडित चिरंजी लाल राजकीय महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. रेखा शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन में अपने कॉलेज की छात्राओं की भूरी-भूरी प्रशंसा की और कहा कि लड़की अथवा बेटी जब भी किसी की काउंसलिंग या समझाने की बात करती है, तो सामने वाले को सच लगता है।
उन्होने प्रशासन व सरकार को आश्वासन दिया कि कॉलेज को भविष्य में जो भी उत्तरदायित्व मिलेगा, उसमें पूरा सहयोग देते रहेंगे, ताकि इस तरह के मिशन आगे बढ़ते रहें। छात्राओं ने इस अवसर पर नशे के खिलाफ जागरूकता को लेकर नुक्कड नाटक प्रस्तुत किया। जिला समाज कल्याण अधिकारी सत्यवान सिंह और उनके कार्यालय की टीम भी इस अवसर पर उपस्थित रही।