समस्त मजदूर संगठन के बैनर तले भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान में कार्यरत्त मजदूरों ने आज 49वें दिन भी अपनी हड़ताल जारी रखते हुए सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और संस्थान में 535 रुपये प्रतिदिन का डीसी रेट लागू करने की मांग की।
श्रमिकों में सरकार के खिलाफ दिन-प्रतिदिन गुस्सा बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि श्रमिकों को धरने पर बैठे डेढ़ माह हो चुका है लेकिन सरकार द्वारा उनकी मांगों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है, जिससे श्रमिकों में सरकार के खिलाफ रोष व्याप्त है। हड़ताल पर बैठे मजदूरों ने सरकार से अपील की कि बेरोजगार के मुंह में धकेले गए श्रमिकों की मांगों को पूरा करते हुए उन्हें राहत दी जाए और संस्थान में 535 रुपये प्रतिदिन का डीसी रेट लागू किया जाए।
श्रमिकों ने आरोप लगाया कि संस्थान के निदेशक डा. ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह अपनी बात पर अडिग हैं और कोई भी बात सुनने पर राजी नहीं है। रोषजदा मजदूरों का कहना है कि अब तो उन्हें लगने लगा है कि सरकार द्वारा की गई घोषणाएं मात्र दिखावा है। हड़ताल पर बैठे मजदूरों ने कहा कि संस्थान में पहले से लागू डीसी रेट को घटाया जाना कहीं न कहीं मजदूरों का आर्थिक शोषण है और जब तक मजदूरों का शोषण बंद नहीं होता मजदूरों की लड़ाई शोषण के विरुद्ध जारी रहेगी।
हड़ताली मजदूरों ने कहा कि इस संस्थान की स्थापना से अब तक यहां पर डीसी रेट मिल रहा था जोकि हर साल बढ़ता है। 2017 में यह रेट 465 प्रतिदिन लागू था जोकि मार्च 2018 को बढक़र 535 रुपये प्रतिदिन हुआ है। अब निदेशक महोदय भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल ने आदेश जारी किया है कि इस संस्थान में अब डीसी रेट लागू नहीं होगा और यहां पर केन्द्र का रेट लागू किया जा रहा है जोकि 318 रुपये प्रतिदिन है, जिससे मजदूरों का गुजारा नहीं चल सकता।
उन्होंने कहा कि यह एक प्रकार से शोषणा है जबकि एक तरफ सरकार घोषणा करती है कि समान काम के लिए समान वेतन दूसरी तरफ सरकार के नुमाईंदे सरकार के आदेश को ठेंगा दिखा रहे हैं। इस अवसर पर जयवंती, विद्या, सुनीता, उषा, ममता, सीमा, महिपाल डबरी, डिप्टी कुमार, बलवान सिंह, कर्मबीर, राजिंद्र, बजीर सिंह, हरपाल उचाना, विक्रम पुण्डरक, प्रेमा, यशपाल, सोनू शर्मा, ममता, रानी व चतर सिंह आदि उपस्थित रहे।