31 जुलाई 1940 को जंगे आज़ादी के लिए हँसते हँसते फाँसी के फंदे को चूमने वाले शहीद ऊधम सिंह को आज निफ़ा के युवा कार्यकर्ताओं व द एवेंटेरज के विद्यार्थियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए व उनके चित्र पर फूल चड़ाने के बाद उनके महान जीवन को याद किया।
इस अवसर पर उपस्थित निफ़ा सदस्यों व विद्यार्थियों को शहीद ऊधम सिंह की महान क़ुरबानी की याद दिलाते हुए निफ़ा अध्यक्ष प्रीतपाल सिंह पन्नु ने कहा की 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ में हज़ारों निहत्ते व बेक़सूर भारतीयो को गोलियों की बौशार से शहीद कर जेनरल डायर ने भारतवासियों की ग़ैरत को ललकारा था।
उस समय मात्र 19 वर्ष की आयु के ऊधम सिंह ने इस नरसंहार को अपनी आँखो से देखा ओर उसी दिन इसका बदला लेने का प्रण लिया। 21 वर्षों तक वे इस सोच ओर जुनून को साथ लेकर वे भारत से आयलैंड व फिर इंगलैंड पहुँचे जहाँ 13 मार्च 1940 को केक्सटन हाल में जलियाँवाला नरसंहार को भारतियों को सबक़ सिखाने वाला बताते हुए शेखी बघार रहे मायकल ओ डायर को उन्होंने गोलियों का निशाना बनाकर उन्होंने दुनिया को दिखा दिया की हिंदुस्तानियों की पगड़ी उछालने वाले का अंत ऐसा ही होता है।
शहीद ऊधम सिंह के चित्र पर पुष्प अर्पित करने वालों में निफ़ा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष परमिंदर पाल सिंह, सह सचिव जस्विंदर सिंह बेदी, संगठन सचिव भूपिंदर सिंह, द एवेंटेरज के निदेशक हरमिंदर सिंह, युवा विंग के ज़िला प्रधान हितेश गुप्ता, विद्यार्थी विंग के प्रधान देवेश सागर, निफ़ा कार्यकारिणी सदस्य सुखपाल सिंह, डॉक्टर सान्या शुक्ला, मीनाक्षी, सौम्या, अरुण सिंह, सुमित पाल सिंह, पुनीत अरोड़ा, राहुल बेदी, पंकज शर्मा, पुनीत, वरुण कश्यप आदि शामिल रहे।