मिशन-2019 में जुटी भाजपा के एजेंडे में हरियाणा पहली प्राथमिकताओं में है। पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्रियों के प्रचारक वर्ग में जिस तरह राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने संगठन को सांसदों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करने के निर्देश दिए, उससे माननीयों पर कसौटी पर खरा उतरने का दबाव बढ़ गया है। ऐसे में राज्य के भाजपा सांसदों और विधायकों को परीक्षा के दौर से गुजरना पड़ेगा।
इन जनप्रतिनिधियों को अपना टिकट बचाना है तो न केवल फील्ड में सक्रियता बढ़ानी होगी, बल्कि संगठन पदाधिकारियों व कार्यकताओं में भी तालमेल बैठाना जरूरी हो गया है दरअसल, भाजपा आलाकमान की निगाह प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटों पर है। इसके मद्देनजर हरियाणा भाजपा ने सभी सांसदों की कुंडली तैयार कर रखी है।
पार्टी ने पिछले दिनों ही आंतरिक सर्वे कर अपने सांसद-विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार कराया था। इनमें कई माननीय मापदंडों पर खरे नहीं उतरे। पार्टी आलाकमान इन सांसदों और विधायकों की टिकट काट सकता है। दो सांसदों की कार्यशैली पार्टी संगठन को कतई रास नहीं आ रही। हालांकि तीन सांसद पूरी तरह सुरक्षित जोन में हैं। भिवानी से सांसद धर्मबीर पहले ही विधानसभा में जाने की इच्छा जता चुके हैं।
वहीं, कुरुक्षेत्र के सांसद राजकुमार सैनी जिस तरह सार्वजनिक मंचों पर पार्टी लाइन से अलग जाकर बयानबाजी करते रहे हैं, वह आलाकमान को रास नहीं आ रहा। उनके अलग पार्टी बनाने के संकेतों से साफ है कि भाजपा को उनका विकल्प ढूंढऩा पड़ सकता है। आंतरिक सर्वे में कई विधायकों का भी प्रदर्शन ठीक नहीं निकला। इसका खामियाजा इन्हें चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
कुछ सांसद और विधायकों के लिए चुनावी डगर आसान नहीं होने के कारण हाईकमान ने इनके स्थान पर सक्षम उम्मीदवार ढूंढऩे शुरू कर दिए हैं। सूरजकुंड में भाजपा अध्यक्ष ने भी रिपोर्ट कार्ड सकारात्मक नहीं मिलने वाले जनप्रतिनिधियों को टिकट नहीं मिलने पर मुहर लगा दी। हरियाणा भाजपा की निगाह अपनी 47 सीटें बचाने के साथ ही उन 43 सीटों पर भी है जिन्हें वह हार गई थी।
इनमें करीब एक दर्जन पर भाजपा प्रत्याशी 500 से ढाई हजार वोट के अंतर से हारे। रोहतक और हिसार लोकसभा सीटों को जाट बाहुल्य माना जाता है, जबकि सिरसा रिजर्व सीट है। पिछले चुनाव में मोदी लहर के बावजूद भाजपा इन सीटों पर जीत नहीं सकी थी। रोहतक को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता है।
हिसार और सिरसा लोकसभा सीटों पर इनेलो का कब्जा है। रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा, सिरसा से चरणजीत रोड़ी और हिसार में दुष्यंत चौटाला सांसद हैं, जो भाजपा को चुनौती दे रहे हैं। पार्टी को न केवल इन सीटों पर जीत के लिए अलग से रणनीति बनानी होगी, बल्कि जाटलैंड में कमल खिलाने के लिए पूरा जोर लगाना होगा।
अमित शाह के निर्देशों के बाद संगठन में भी ब्लॉक स्तर से लेकर जिला और प्रदेश स्तर पर पदाधिकारियों में समन्वय बढ़ाने को अभियान चलेगा। मौजूदा मंत्रियों और विधायकों को पहले ही हारी हुई विधानसभा सीटें जिताने की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी। आगामी चुनावों में टिकट वितरण में इनकी सिफारिश काफी अहम रहने वाली है। हरियाणा भाजपा अध्यक्ष सुभाष बराला के मुताबिक पार्टी उन्हीं लोगों को आगे बढ़ाएगी जिनका अच्छा जनाधार है और जो पार्टी के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं।