गीता मंदिर की 12 वी वर्ष गाँठ के उपलक्ष्य में महाराज श्री मुक्तानंद जी भिक्षु के पवन सानिध्य में श्री मद भगवत महापुराण में आज व्यास पीठ पर विराजमान पंडित बरह्मरात एकलव्य जी द्वारा श्री कृष्ण जी की रासलीला एवमं रुक्मणि विवाह के बारे में बताया। आज की कथा में मुख्य यजमान के रूप में महिंदर गुप्ता, विजय सिंगला एवं मुकेश बंसल एवं उनके परिवार द्वारा व्यास जी को तिलक किया गया। व्यास पीठ पर विराज मान एकलव्य जी ने बताया की कृष्ण भगवान् ने गोपियों संग रासलीला के पात्रों में राधा-कृष्ण तथा गोपिकाएँ रहती है। कृष्ण का गोपियों, सखियों के साथ अनुरागपूर्ण वृताकार नृत्य होता है। कभी कृष्ण गोपियों के कार्यों एवं चेष्टाओं का अनुकरण करते है और कभी गोपियाँ कृष्ण की रूप चेष्टादि का अनुकरण करती है और कभी राधा सखियों के, कृष्ण की रूपचेष्टाओं का अनुकरण करती है। यही लीला है।
कभी कृष्ण गोपियों के हाथ में हाथ बाँधकर नाचते है इन लीलाओं की कथावस्तु प्रायः राधा-कृष्ण की प्रेम क्रीड़ाएँ होती है। व्यास जी ने बतया रुक्मणि जी का बड़ा भाई रुक्मी भगवन श्री कृष्ण से बहुत द्वेष रखता था। उसको यह बात बिलकुल सहन न हुई कि मेरी बहिन को श्रीकृष्ण हर ले जायँ और राक्षस रीति से बलपूर्वक उसके साथ विवाह करें।भगवान् भगवान श्रीकृष्ण ने सब राजाओं को मन जीत लिया और विदर्भ राजकुमारी रुक्मिणीजी को द्वारका में लाकर उनका विधिपूर्वक पाणिग्रहण किया। द्वारकापुरी के घर-घर बड़ा ही उत्सव मनाया जाने लगा। कथा के अंत में मुख्य यजमान एवं मुक्तानंद जी महराज द्वारा आरती की। मंदिर के प्रधान कैलाश गुप्ता जी ने जानकारी दी की कल कथा का अंतिम दिन में व्यास जी द्वारा सुदामा जी के चरित्र का वर्णन किया जायेगा।