November 14, 2024

करनाल/कीर्ति कथूरिया : भारत भूमि महापुरुषों की जननी है और हमें गर्व है कि हमारा जन्म ऐसी धरती पर हुआ है जहां महाराणा प्रताप जैसे परम प्रतापी शूरवीर ने जन्म लिया है। यह बात जिला परिषद चेयरपर्सन प्रतिनिधि सोहन सिंह राणा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कही।

वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जयंती की पर सभी जिला परिषद सदस्यों व साथियों ने करनाल में महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करके प्रसाद बांट कर बड़ी धूमधाम से मनाई। इससे पहले पंचायत भवन में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें महाराणा प्रताप जी के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला गया।

इस अवसर पर जिला परिषद चेयरपर्सन प्रतिनिधि सोहन सिंह राणा ने कहा महाराणा प्रताप जी ने देश के लिए बहुत बड़ा बलिदान दिया है हमें उनके आदर्शों पर चलते हुए आगे बढ़ना चाहिए। महाराणा प्रताप जी ने कभी भी मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की। उन्होंने अपने आप को कभी भी झुकने नहीं दिया, उन्होंने अपने राष्ट्र के लिए बहुत बड़ा बलिदान दिया, हमें उनके पद चिन्हों पर चलते हुए देश की सेवा में सदा आगे रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मातृभूमि के सम्मान के लिए इतना बड़ा त्याग, समर्पण और सम्मान हमें कही ओर देखने को नहीं मिलेगा। शिरोमणि महाराणा प्रताप जी के लिए मातृभूमि की स्वतंत्रता और स्वाभिमान से बढक़र कुछ नहीं था। अनेकों कष्ट सहते हुए धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए उन्होंने अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया। महाराणा प्रताप जी का शौर्य व उनकी पराक्रम की गाथाएँ वर्षो तक हमारी प्रेरणा का केंद्र रहेंगी।

उन्होंने कहा कि आज सारा भारतवर्ष मातृभूमि के गौरव व सम्मान की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले, वीरता व राष्ट्रभक्ति के अमर प्रतीक, महान योद्धा, वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी की जयंती पर उन्हें नमन करता है। उन्होंने बताया कि हल्दीघाटी युद्ध में करीब बीस हजार सैनिकों को साथ लेकर महाराणा प्रताप ने अकबर के अस्सी हजार सैनिकों का सामना किया।

मेवाड़ को जीतने के लिए अकबर ने भी सभी प्रयास किए। महाराणा प्रताप ने भी अकबर की अधीनता को स्वीकार नहीं किया था। उन्होंने कई वर्षों तक मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष किया। वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की वीरता और शौर्य की कहानियाँ युगों-युगों तक मातृभूमि के कण-कण को गौरवान्वित करती रहेंगी।

इस मौके पर वाइस चेयरपर्सन प्रतिनिधि धीरज खरकाली, जिला परिषद सदस्य विक्रम राणा, ईश्वर राणा, ओगंध, प्रदीप राणा नलवी कला, गुरदीप राणा बीजना, कुलदीप राणा, रामफल कमालपुर, हरदीप राणा, बलवान खेड़ी नरू, शेखर राणा, विक्रम संभाली, साहब सिंह राणा, राजकिशन स्टोंडी, पूर्णचंद्र ब्रास, सुरेंद्र कंबोज, सुरेंद्र उड़ाना, अमित बराना, साथी मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.