आईसीएआर-नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, करनाल में आज “प्रोटिओमिक्स फॉर सिस्टम इंटीग्रेटेड बायो-ऑमिक्स, वन हेल्थ एंड फूड सेफ्टी” पर तीन दिन (2 से 4 दिसंबर, 2019) के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हुआ। इस सम्मेलन का मुख्य विषय प्रोटिओमिक्स का मानव एवं पशु स्वास्थ्य तथा खाद्य सुरक्षा के इस्तेमाल पर था। इस सम्मेलन का अन्य उदेशय विश्व भर के प्रख्यात वक्ताओं, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, उद्योगपतियों, शिक्षाविदों, छात्रों तथा अन्य हितधारकों जो कि प्रोटिओमिक्स विषय पर अनुसंधान कर रहे हैं को एक साथ लाना था
दुनिया भर के कई प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों ने अपने शोध कार्य को साझा किया इस सम्मेलन मुख्य वक्ताओं में न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया के मार्क विल्किंस, गार्वन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च, सिडनी के डोनॉग्यू और डेविड एकर्सल, ग्लासगो विश्वविद्यालय, यूके के कई अन्य प्रसिद्ध वैज्ञानिक शामिल थे। पहले दिन उच्च-थ्रूपुट इंटीग्रेटिव मल्टी-ऑक्सिक्स दृष्टिकोण और वर्तमान तकनीकों को विभिन्न क्षेत्रों जैसे बीमारियों, तनाव सहिष्णुता, इनफर्टिलिटी और पशु प्रजातियों में कम उत्पादन से लेकर वर्तमान समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक समाधानों पर विचार किया गया ।।
डॉ डी आर मणि, ब्रॉड इंस्टीट्यूट ऑफ एमआईटी और हार्वर्ड, यूएसए ने उच्च थ्रू जैविक डेटा का विश्लेषण करने के लिए रणनीतियों पर लेक्चर दिया। दूसरे दिन आणविक, सेलुलर और रोग प्रोटिओमिक्स के लिए समर्पित था, जिसका उद्घाटन मोनाश बायोमेडिसिन डिस्कवरी इंस्टीट्यूट के डॉ। एंथनी डब्ल्यू परसेल और जेचम एम श्वेनक, केटीएच-रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ,स्वीडन ने सटीक फेनोटाइपिंग के लिए मानव प्लाज्मा प्रोटीम की रूपरेखा पर चर्चा की।
तीसरे दिन उन्नत प्रोटीन बायोमार्कर पर चर्चा की गई और इस दिन डॉ। पावनेश मदान, गुलेफ विश्वविद्यालय, कनाडा और डॉ। प्रसाद फापले, ईएमबीएल, जर्मनी के लेक्चर मुख्य थे ।डॉ। एस चिस्तोबाल, लिंकिंग यूनिवर्सिटी, स्वीडन ने वन स्वास्थ्य अवधारणा और प्रोटिओमिक्स-आधारित पर्यावरण प्रदूषण के समाधान बारे में चर्चा की और उन्होंने ने समापन के दिन वैज्ञानिकों और छात्रों संबोदित भी किया। और कहा कि इस तरह के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन एक वैश्विक मंच के रूप में काम करते, जहां दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों के वैज्ञानिकों ने जमीनी स्तर की समस्याओं को हल करने के लिए गहन विचार विमर्श किया।
डॉ। आरआरबी सिंह, निदेशक, आईसीएआर-एनडीआरआई ने कहा कि इस सम्मेलन में वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, उद्योगपतियों, शिक्षाविदों, छात्रों तथा अन्य हितधारकों को अपने अपने विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर मिला तथा उन्होंने कहा कि प्रोटिओमिक्स विज्ञान को जीव विज्ञान में अगला कदम माना जाता है और इसमें में ऊतक या कोशिका में प्रोटीन की पहचान, और उनके कार्यों, संरचनाओं और संशोधनों का निर्धारण शामिल है।
इस सम्मलेन में एक मंच के ऊपर प्रोटिओमिक्स, सेल बायोलॉजी, प्रोटोजेनोमिक्स, सिस्टम बायोलॉजी और खाद्य सुरक्षा जैसे व्यापक विषयों को कवर किया जो वैज्ञानिकों के बहुत महत्वपूर्ण होगा । आगे उन्होंने कहा की प्रोटिओमिक्स का बायोमार्कर की खोज, दवा की खोज, गर्मी के तनाव के मार्करों की पहचान, गर्भावस्था का पता लगाने, गर्मी का पता लगाने में बहुत ही महत्वपुर्ण योगदान होगा।
पशु विज्ञान प्रोटिओमिक्स के क्षेत्र में हमारी विभिन्न स्वदेशी नस्लों के प्रोटिओम प्रोफाइल को देखने और साथ ही प्रोटीन का विश्लेषण करके ज़ूनोटिक रोगों से निपटने के लिए बेहतर रणनीति तैयार हो सकती है ।आगे उन्होंने कहा कि प्रजाति-प्रजातियों के अंतर, मवेशियों और भैंस में लेक्टेशन के प्रभाव, प्रसंस्करण के दौरान दूध में परिवर्तन, और दूध में मिलावट का पता लगाने के संबंध में दूध प्रोटीन पर अध्ययन शुरू किया गया है।
डॉ। ए के मोहंती ,आयोजन सचिव ने कहा कि इस सम्मेलन में विभिन्न संगठनों के 10 से अधिक देशों के लगभग 400 वैज्ञानिकों और युवा शोधकर्ताओं / छात्रों ने भाग लिया। अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में पोस्टर प्रस्तुतियों के साथ चित्रित किया गया जहां युवा वैज्ञानिकों ने सर्वश्रेष्ठ पेपर / पोस्टर पुरस्कार के रूप में सराहना की।