आज आयुष विभाग करनाल की ओर से सैक्टर-6 स्थित सामुदायिक स्वास्थय केन्द्र में प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें बढ़चढ़ कर महिला-पुरुषों ने भाग लिया। सेमिनार का शुभारम्भ बतौर मुख्यातिथि पहुंची वार्ड-आठ से पार्षद मेघा भंडारी ने दीप प्रज्जवलित करके किया। इस अवसर पर आयुर्वेद पर आधारित एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यातिथि मेघा भंडारी सहित वहां पहुंचे महिला-पुरुषों ने भी अवलोकन किया।
सेमिनार को संबोधित करते हुए पार्षद मेघा भंडारी ने कहा कि आज के भाग-दौड़ भरे जीवन में सभी कों आयुर्वेद की पद्धति अपनानी चाहिए। आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति तथा भारत की एक अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर है। वेदों से आयुर्वेद का अवतरण हुआ है और इसे अथर्ववेद का उपवेद माना गया है ।विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के सिद्धान्त भले ही अलग-अलग हों, मगर सबका मुख्य उद्देश्य मनुष्य के स्वास्थ्य तथा कल्याण की कामना ही है।
उन्होंने कहा कि स्वस्थ मनुष्य उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता है और रोगी मनुष्य अपने रोग से मुक्ति चाहता है। इस आयुर्वेद शास्त्र का यही सिद्धान्त है और इसका उद्देश्य भी यही है कि स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणम् आतुरस्य विकार प्रशमनं च अर्थात् स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा एवं रोगी व्यक्ति के रोग का शमन।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सा के उपरान्त व्यक्ति की शारीरिक तथा मानसिक दोनों में सुधार होता है। आयुर्वेद भारतीय उपमहाद्वीप की एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है। आयुर्वेद दो संस्कृत शब्दों आयुष एवं वेद से मिलकर बना है। उन्होंने बताया कि ‘आयुषÓ का अर्थ जीवन तथा ‘वेदÓ का अर्थ विज्ञान है। अत: इसका शाब्दिक अर्थ जीवन का विज्ञान है। उन्होंने कहा कि अन्य औषधीय प्रणालियों के विपरीत, आयुर्वेद रोगों के उपचार के बजाय स्वस्थ जीवनशैली पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है। आयुर्वेद की मुख्य अवधारणा यह है कि वह उपचारित होने की प्रक्रिया को व्यक्तिगत बनाता है।