November 15, 2024
भारतीय किसान यूनियन ने 5 माह पहले सीएम सीटी में आयोजित दहाड़ किसान महापंचायत में पहली बार किसानों के लिए पैंशन की मांग उठाई थी। उसकी हिमायत मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी की है। उन्होंने घोषणा की है कि हरियाणा में किसानों के लिए पैंशन स्कीम लागू करने के संकेत दे दिए है। गत दिवस चंडीगढ़ में दिए गए ब्यान का भारतीय किसान यूनियन ने स्वागत किया है और कहा है कि इस बात को सबसे पहले भारतीय किसान यूनियन ने कर्ण की धरती पर उपस्थित हजारों किसानों के बीच उठाया था। गत 3 मार्च को दहाड किसान पंचायत में मुख्यमंत्री मनोहर लाल को जो प्रस्ताव भेजा गया था। उसमें किसान पैंशन लागू करने का प्रमुखता से उल्लेख था। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष रतनमान ने कहा कि भाकियू किसानों और मजदूरो के हितों के लिए लड़ाई लड़ती है। आज देश भर में कर्ज मुक्ति और पैंशन के साथ-साथ स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की बात गंूज रही है।
भारतीय राजनीति इस पर धु्रवीकृत हो रही है। किसान नेता रतनमान नरूखेड़ी गांव की नई चौपाल में आयोजित किसान पंचायत में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस बात की घोषणा कर सराहनीय कार्य किया है। अब सरकार को तुरन्त किसान पैंशन योजना को तुरंत लागू कर देना चाहिए। इसके लिए उच्चाधिकार प्राप्त किसान पैंशन आयोग का गठन कर देना चाहिए। जिसकी सिफारिश जल्द लागू की जाएं। उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में किसान, मजदूर की मांगों को उठाया जा रहा है। छतीसगढ़ से महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश से पंजाब व गोहाटी तक यह बात उठाई जा रही है। इस मौके पर गांव नरूखेडी इकाई के प्रधान रामफल नरवाल, किसान नेता शमशेर सिंह नरवाल, हरी सिंह, नाथी राम, सुमेरचंद शर्मा, राजबीर नरवाल, भान शर्मा, प्रेम सिंह, भीम सिंह नरवाल, राजबीर नम्बरदार, हवा सिंह, हुकमी चंद, ईश्वर नरवाल, दीपचंद, हरज्ञान सिंह, पूर्णचंद सहित काफी संख्या में किसान मौजूद थे।
बिजली चोरी के नाम पर प्रताडि़त न करें अधिकारी : भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष रतनमान ने कहा कि बिजली विभाग के अधिकारी बिजली चोरी रोकने के नाम पर किसानों, मजदूरो को प्रताडि़त न करें। उनके साथ मानवीयता का व्यवहार करें। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि किसानों और बिजली कर्मियों को संयम बरतना चाहिए। सभी को मिलकर एकजुटता और मानवीयता की भावना दिखानी चाहिए। मान ने कहा कि कही भी किसी बिजली कर्मी ने किसी प्रकार की जोर जबरदस्ती की तो उसे सहन नही किया जाएगा। भाकियू ने हमेशा अहिंसावादी आंदोलन पर विश्वास किया है।

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