November 22, 2024

भविष्य की जरूरतों को देखते हुए, शहर से निकलने वाले ठोस अपशिष्ट का नियमित प्रबंधन करने वाले प्रदेश के एकमात्र शेखपुरा (करनाल) स्थित प्लांट की, क्षमता 150 टन प्रतिदिन से बढ़ाकर 250 टन की जाएगी। इसके लिए नगर निगम कुछ और मशीने खरीदेगा। इस बात का खुलासा नगर निगम के आयुक्त निशांत कुमार यादव ने सोमवार को प्लांट का दौरा करने के बाद किया। दौरे में उप निगमायुक्त धीरज कुमार भी साथ रहे।

उन्होंने बताया कि कैपेस्टी बढ़ाने के साथ-साथ प्लांट में कुछ सुधार किए जाने की भी आवश्यकता है। इसे तहत इसकी जमीन के स्तर को ठीक किया जाएगा और लैंड स्केपिंग (भू-सज्जा) कर इसे नया स्वरूप दिया जाएगा। प्लांट की चारदीवारी में एक जगह से मामूली मरम्मत करवाकर उसे भी दुरूस्त करेंगे, ताकि मजबूती बरकरार रहे।

निगमायुक्त ने सोलिड वेस्ट प्लांट की कारगुजारी देखी। इस दौरान प्री-सैग्रीगेशन, पोस्ट सैग्रीगेशन, रिफाईनमेंट और आर.डी.एफ. सैक्शन में लगी मशीनो का क्या फंक्शन है, उसकी जानकारी ली। वर्तमान में शहर से प्रतिदिन निकलने वाला करीब 150 टन ठोस अपशिष्टï प्लांट में आता है, जो सैग्रीगेशन की प्रक्रिया से गुजरने के बाद खाद भी बनाता है और इस समय भी करीब 700 टन खाद प्लांट में उपलब्ध है। हालांकि गत सीजन में करीब 1500 टन खाद का विक्रय भी किया गया, जो विभिन्न कम्पनियां यहां आकर ले जाती हैं।

निगमायुक्त ने बताया कि शहर से प्रतिदिन निकलने वाले ठोस अपशिष्टï की संख्या भविष्य में घटने की बजाए बढऩी है, जो निगम के साधनो से प्लांट में लाया जाना है। लेकिन इस प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यदि घरों से निकलने वाला कूड़ा-कचरा, एैट सोर्स यानि घर से ही अलग-अलग (गीला व सूखा) करके रेहड़ी, टिप्पर या कूड़ा एकत्रिकरण वाहन को दिया जाए, तो उसकी उपयुक्त प्रोसेसिंग करने में प्लांट में कोई दिक्कत नहीं आएगी, बल्कि यह ओर अधिक सुचारू रूप से काम करेगा।

इसके विपरित यदि घर से ही मिक्स कूड़ा प्लांट में जाएगा, तो वहां लगी मशीने उसे अलग-अलग करेंगी, जिसमें समय की बर्बादी होगी और मशीनो को ज्यादा काम करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हालांकि अब लोग इस बात को लेकर काफी जागरूक हो चुके हैं, जो एक अच्छा संकेत है।

गृहणियां नगर निगम द्वारा घर-घर में वितरित की गई नीली व हरी बिन्स में गीला व सूखा कचरा अलग डालती है, फिर भी जिस घर से मिक्स यानि बिना सैग्रीगेट किया कूडा़-कचरा मिलता है, उसे एकत्र करने वाले रेहड़ी चालक अलग-अलग करते हैं और फिर उसे वाहनो से प्लांट में पहुंचाया जाता है।

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