स्थानीय शुगर मिल परिसर के सभागार में नये शुगरमिल की स्थापना के दृष्टिगत मंगलवार को निदेशक मंडल शुगर मिल की बैठक का आयोजन किया गया,जिसकी अध्यक्षता डीसी एवं चेयरमैन शुगर मिल डा०आदित्य दहिया ने की। डीसी ने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा करनाल में नई शुगर मिल लगाने का निर्णय लिया जा चुका है,नेशनल फेडरेशन ऑफ कोपरेटिव शुगर फैक्ट्री द्वारा डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जा चुकी है। इस बैठक में एमडी शुगर मिल वर्षा खांगवाल, मुख्य लेख अधिकारी ओमवीर सिंह राणा,नेशनल फेडरेशन ऑफ कोपरेटिव शुगर फैक्ट्री के तकनीकी सलाहकार जसबीर सिंह,शुगर मिल करनाल के चीफ इंजीनियर विरेन्द्र दहिया तथा बोर्ड के डायरेक्टरज भी उपस्थित रहे।
डीसी डा०आदित्य दहिया ने बैठक में उपस्थित नेशनल फेडरेशन ऑफ कोपरेटिव शुगर फैक्ट्री के तकनीकी सलाहकार जसबीर सिंह से नये शुगर मिल की स्थापना संबंधी विषय को लेकर विस्तार से जानकारी ली तथा पूछा कि शुगर मिल की स्थापना पर कितनी धनराशि खर्च होंगी और किस-किस तरह की किसानों के लिए सुविधा उपलब्ध रहेगी। तकनीकी सलाहकार ने डीसी को बताया कि शुगर मिल की स्थापना के लिए जो डीपीआर तैयार की गई है,उसमें नये शुगर मिल की स्थापना के लिए लगभग 212 करोड़ 50 लाख रूपये की धनराशि खर्च होने का अनुमान है। इस पर डीसी ने कहा कि शुगर मिल अपना पिराई का कार्य कब तक शुरू करेगा। तकनीकी सलाहकार ने बताया कि वैसे तो नये शुगर मिल की स्थापना पर लगभग 18 महीने लग जाते है,लेकिन टेंडर होने उपरांत नये शुगर मिल का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा और इसे लगभग 12 महीने में पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में शुगर मिल में प्रति किंवटल गन्ने से चीनी की रिकवरी 10.87 प्रतिशत है। नये शुगर मिल के बनने से यह रिकवरी 11 प्रतिशत हो जाएगी।
डीसी ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये कि शुगर मिल में उच्च गुणवत्ता,क्षमता और दक्षता का इन्फ्रास्ट्रक्चर होना चाहिए। ऐसे पुर्जे प्रयोग किये जाए,जो विदेश से न मंगवाने पड़े,अपने आस-पास ही आसानी से मिल सके और पहले से कार्यरत तकनीकी कर्मचारी उन्हें आसानी से लगा सके तथा उनकी मरम्मत कर सके। डीसी ने यह भी कहा कि नये शुगर मिल में दो साल तक किसी भी प्रकार की तकनीकी खराबी के लिए कम्पनी स्वयं जिम्मेदार होगी। मौके पर उपस्थित तकनीकी सलाहकार ने उपायुक्त को बताया कि यह शुगर मिल पूरी तरह से कम्प्यूटराईज होगा। वैसे तो इसकी पिराई क्षमता 35000 किवंटल गन्ना प्रतिदिन होगी,लेकिन जरूरत पडऩे पर 42 हजार किंवटल गन्ने की प्रतिदिन पिराई की जा सकेगी।
डीसी ने एक-एक करके अन्य पहलुओं बारे में जानकारी ली। तकनीकी सलाहकार ने डीसी द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि वर्तमान शुगर मिल में शुगर लोस अढ़ाई से तीन प्रतिशत तक चला जाता है,लेकिन नये शुगर मिल की स्थापना से यह लोस 1. 8 प्रतिशत तक ही रह जाएगा। इतना ही नहीं शुगर मिल में 15 मेगा वाट युनिट बिजली प्रतिदिन बनाई जा सकेगी। यदि पांच मेगावाट बिजली शुगर मिल अपने लिए खर्च करता है तो 10 मेगावाट बिजली को बेचकर मुनाफा भी कमा सकता है। उन्होंने डीसी को यह भी बताया कि शुगर मिल में हाईड्रोलीकल सिस्टम की व्यवस्था होगी। जिससे शुगर मिल अपेक्षाकृत सुचारू रूप से चलेगा। कम्प्यूटरराईज व्यवस्था से शुगर मिल के कंट्रोल के लिए एक कंट्रोल रूम भी बनाया जाएगा। बैठक में उपस्थित शुगर मिल बोर्ड के डायरेक्टर ने सर्वसम्मति से प्रस्तावित डीपीआर के लिए सहमति जता दी तथा कहा कि शुगर मिल के लिए गन्ने की कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी।
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डीसी ने एमडी शुगर मिल वर्षा खांगवाल को निर्देश दिये कि सरकार द्वारा एक तकनीकी कमेटी बनाई गई है। शीघ्र ही तकनीकी कमेटी से भी यह डीपीआर पास करवा ली जाए ताकि इस कार्य को अतिशीघ्र कार्य रूप में परिणत करने की प्रक्रिया शुरू की जा सके। उन्होंने बताया कि मार्के टिंग बोर्ड, कोपरेटिव बैंक और हुडा द्वारा मिल की स्थापना के लिए आर्थिक सहयोग किया जा रहा है। मिल की स्थापना के दृष्टिगत आर्थिक सहयोग के चलते 50 करोड़ रूपये की राशि हैफेड द्वारा जल्द ही जारी कर दी जाएगी।
डीसी एवं शुगर मिल के चेयरमैन डा०आदित्य दहिया ने लगभग 45 मिनट तक शुगर मिल का निरीक्षण किया। शुगर मिल की तकनीकी शाखाओं के साथ-2 अन्य शाखाओं की भी विस्तार से जानकारी ली। पिराई क्षमता के साथ-2 स्टोर और वर्कशॉप तथा अन्य स्थानों पर जाकर जानकारी ली। इस मौके पर उन्होंने शुगर मिल परिसर में स्वच्छता का प्रतीक औषधीय पौधा भी रोपित किया।
डीसी एवं मिल के चेयरमैन डा०आदित्य दहिया ने जानकारी दी कि शुगर मिल करनाल राष्ट्रीय स्तर पर तकनीकी क्षमता, गन्ना विकास, वित्तीय प्रबंधन, उत्कृष्ट शुगर फैक्ट्री, रिकवरी एरिया सहित दक्षता और क्षमता के 17 विषयों को लेकर ईनाम जीत चुका है। शुगर मिल द्वारा दक्षता और तकनीकी क्षेत्र में बेहत्तर प्रदर्शन करते हुए वर्ष 1989-90, 1990-91, 1991-92 में क्रमश: तीसरा, दूसरा और पहला स्थान प्राप्त किया जा चुका है। इसी प्रकार वर्ष 1993-94 व 1996-97 में सराहनीय सेवाओं के दृष्टिगत प्रशस्ति पत्र प्राप्त किए। वर्ष 2000-01 में एक तथा 2001-02 में गन्ना विकास के क्षेत्र में क्रमश: दूसरा और वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में भी दूसरा स्थान प्राप्त किया। इतना ही नहीं वर्ष 2001-02 में शुगर मिल करनाल को भारत मेें बेस्ट सहकारिता शुगर फैक्ट्री के नाम से नवाजा गया। वर्ष 2004-05 में वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में पहला स्थान प्राप्त हुआ जबकि वर्ष 2007-08 में गन्ना रिकवरी के क्षेत्र में दूसरा स्थान मिला। वर्ष 2010-11 में यह मिल रिकवरी एरिया में बेस्ट शुगर फैक्ट्री के नाम से अलंकृत हुई। वर्ष 2012-13 और 2013-14 में गन्ना विकास के क्षेत्र में प्रथम पुरस्कार मिला। उपरोक्त के अलावा वर्ष 2014-15 उच्चत्तम चीनी रिकवरी के क्षेत्र मेंआवार्ड जीतने में कामयाब रहा जबकि 2015-16 में गन्ना विकास के क्षेत्र में मिल ने दूसरा स्थान हासिल किया। वर्ष 2016-17 में शुगर मिल को ओवरऑल परफोरमेंस का सम्मान दिया गया है। पुरस्कार जीतने के लिए मिल के कर्मचारी बधाई के पात्र है। भविष्य में भी पुरस्कार जीतने का सिलसिला चलता रहे इसके लिए सभी को और बेहतर प्रयास करने की जरूरत है।
बोर्ड आफ डायरेक्टरज में उप-चेयरमैन पवन कुमार,ललित कुमार,बलिन्द्र सिंह,राजपाल संधू,रतन सिंह,विक्रम राणा,तेजपाल,रविन्द्र सिंह,युद्धवीर सिंह,सोमपाल,दिल्ली से आये तकनीकी सलाहकार एस के सेठ,एस ओ मरूसुधन सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
एमडी शुगर मिल वर्षा खांगवाल ने बताया कि शुगर मिल का कुल क्षेत्र लगभग 116 एकड़ है 232 गांवों के किसान यहां पर गन्ना लेकर आते है। वर्ष 2017-18 में किसानों ने 20 हजार एकड़ भूमि क्षेत्र में गन्ने की बिजाई की है। मिल का रेडियस लगभग 32 किलो मीटर है।