November 23, 2024

प्रार्थना सभा में आज दून ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के प्रबंध निदेशक कुलजिंदर मोहन सिंह बाठ, संस्थापक प्राचार्या अमर कौर नरवाल, प्राचार्या जितेन्द्र कौर, छात्राओं और अध्यापकगण द्वारा संयुक्त रूप से भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण ,दीप प्रज्ज्वलन व पुष्पार्चन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। संस्था के प्रबंध निदेशक कुलजिन्दर मोहन सिंह बाठ ने बताया कि भगवान परशुराम 10 अवतारों में से छठे अवतार हैं ।तथा वेें चिरंजीवी भी हैं। उ

न्होंने समस्त समाज को एक अद्वितीय सामाजिक समरसता का पाठ पढ़ाया। संपूर्ण जीवन उसका पालन किया । वह हमेशा कमजोर वर्गों की सहायता करते रहे।अपने नियम के बहुत पक्के थे ।अपने समय में उनकी बात यदि कोई नहीं मानता था तो वे शस्त्रों के द्वारा भी अपनी बात मनवाने लेते थे।हमें भगवान परशुराम की शिक्षाओं को  अपने जीवन में निरंतर पालन करना चाहिए ।

आज भी भगवान परशुराम की शिक्षाएं समाज को सामाजिक परिवेश में बांधने का तथा समरसता ़े का पालन करने कार्य करती हैं। आज  उनकी जयंती के उ्पलक्ष्य पर मैं सभी को यही कहूंगा कि हमें महापुरुषों के द्वारा सिखाये गये रास्तों पर चलकर उनकी शिक्षाओं को ग्रहण करके अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए ।विद्यालय की संस्थापक प्राचार्या अमर कौर नरवाल ने बताया कि भगवान परशुराम सप्त चिरंजीवियों में से एक हैं।

अपने तपोबल के कारणों से ही़ वे चिरंजीवी सिद्धि  को प्राप्त  कर सके।इस बात का प्रमाण से इस घटना से मिलता है कि भगवान राम को त्रेता युग में दिव्य धनुष इन्होंने ही भेंट किया था। साथ ही द्वापर युग में भगवान कृष्ण को सुदर्शन चक्र भी इन्ही के द्वारा भेंट किया गया था।

इस  लंबे कालखंड की गणना से पता चलता है कि भगवान परशुराम चिरंजीवी थे। विद्यालय की संस्थापक प्रचार्य अमर कौर नरवाल तथा प्राचार्या जितेन्द्र कौर ने संयुक्त तौर पर बच्चो को सम्बोधित करते हुए कहा कि विद्यालयों में महापुरूषों की जयन्तियॉ बच्चों में अचछे सद्गुणों के विकास के लिए ही मनाई जाती हैं। हमें महापुरूषों के जीवन से प्रेरणा लेकर उनकी शिक्षाओं को जीवन में उताकर अपना जीवन सफल बनाना चाहिए । जाहनवी व निकिता ने भगवान परशुराम पर एक भजन सुनाया। किरण,प्रियाशी व वरूण ने  है प्रीत जहॉ की की सदा भजन सुना कर सबको भाव विभोर कर दिया।इस अवसर पर सभी छात्रगण , अध्यापकगण व कर्मचारीगण उपस्थित रहे ।शाँति पाठ के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ ।

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