देश के बाकी राज्यों की अपेक्षा हरियाणा में देरी से हो रहे लोकसभा चुनाव विपक्ष को रास आ सकते हैं गौरतलब है की हरियाणा में विपक्ष बिखरा हुआ है और विभिन्न दलों के बीच गठबंधन के कयास चल रहे हैं और विपक्ष के कई बड़े नेता जोड़ तोड़ की राजनीती में लग गए है !
हरियाणा में लोकसभा चुनाव छठे चरण में होंगे ,चुनाव आयोग ने हरियाणा को चुनाव के लिए दो माह का समय देकर बिखरे और विपक्षी पार्टियों के गुटों में बंटे विपक्ष को संभलने का मौका दे दिया है ,इस दो माह की अवधि में जहां कांग्रेस के पास पार्टी की गुटबाजी दूर करने का मौका है, वहीं गठबंधन को लेकर अटके दलों को भी एक दूसरे से हाथ मिलाने के लिए बातचीत का अच्छा समय मिल गया है !
वही भाजपा में ही टिकटों के लिए सबसे अधिक मारामारी मची है , एक-एक सीट पर पांच से छह-छह दावेदार हैं ! सबसे अधिक मारामारी करनाल और रोहतक सीटों पर है, करनाल में भाजपा पंजाबी और रोहतक में किसी गैर जाट को लड़ाने के मूड में है !
राज्य में चुनाव की अधिसूचना चूंकि 16 अप्रैल को जारी होगी, लिहाजा भाजपा को अपने उम्मीदवारों की घोषणा करने के लिए एक माह से ज्यादा का समय मिल गया है !
इस अवधि में दिल्ली आलाकमान के साथ-साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के दरबार में टिकट के दावेदारों की हाजिरी बढ़ जाएगी !
रोहतक में हुई प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मुख्यमंत्री हालांकि यह कहते रहे कि टिकट दिल्ली से बंटेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री की पसंद-नापसंद को नजरअंदाज किया जाएगा, इसकी जरा भी संभावना नहीं है !
हरियाणा में कांग्रेस सबसे अधिक गुटबाजी का शिकार है , इसे भांपते हुए कांग्रेस हाईकमान ने हरियाणा के कांग्रेस नेताओं को दिल्ली तलब करना शुरू कर दिया है !
वही दूसरी तरफ यदि चुनाव अगले माह हो जाते तो कांग्रेस के लिए संभलना मुश्किल हो जाता, यही स्थिति आम आदमी पार्टी और जननायक जनता पार्टी के बीच संभावित गठजोड़ को लेकर बनी हुई है !
दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई है, इस कारण फिलहाल दोनों दलों की राहें जुदा बनी हुई हैं, वही समय मिलने पर अब यह दोनों दल नए सिरे से गठबंधन की संभावनाओं पर विचार कर सकते हैं !
हरियाणा के प्रमुख विपक्षी दल इनेलो को भी हाल-फिलहाल सहारे की जरूरत है, इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला हालांकि हांसी में राज्यस्तरीय रैली कर कार्यकर्ताओं में जान फूंक चुके हैं, लेकिन अब पार्टी को भविष्य की रणनीति तय करने के लिए समय मिल गया है !
वही कुरुक्षेत्र से भाजपा के बागी सांसद राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी और बसपा सुप्रीमो मायावती की पार्टियों के बीच पहले ही गठबंधन हो चुका है ! पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा, पूर्व गृह मंत्री गोपाल कांडा और शिरोमणि अकाली दल बादल भी अपने-अपने दलों की रणनीति सेट करने में जुट गए हैं !