करनाल के कल्पना चावला सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टर बने दलाल ,शहर के बड़े हस्पतालों से मोटी कमीशन ले गरीब व मजबूर मरीजों को निजी हॉस्पिटल में भर्ती करवा खुद वाह जाकर करते है ऑपेरशन ओर लेते है मोटी कमीशन
एक तरफ तो हरियाणा की खट्टर सरकार मरीजों का सरकारी अस्पताल में फ्री में इलाज कराने के बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन सरकार के दावे उस समय खोखले साबित हो गए, जब खुद सी एम् सिटी करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज एंव सरकारी अस्पताल के एक डाॅक्टर मनु गुप्ता ने मरीज का इलाज करने की बजाए उसे शहर के एक बड़े निजी अस्पताल में उपचार कराने की सलाह दी, इतना ही नही खुद ही फोन पर बात करके निजी अमृतधारा अस्पताल के डाॅक्टरों से पैकेज तक की डील भी कर डाली ! इन सब बातों को देखकर तो यही लगता है कि सरकारी अस्पताल में तैनात डाॅक्टर अब भगवान का दूसरा रूप नहीं बल्कि दलाल बन चुका है !
देश के हर कोने में आपको सरकारी अस्पताल मिल ही जाएंगे, चाहे वहां पर व्यवस्था कैसी भी हो, ऐसा नहीं है कि हर सरकारी अस्पताल की हालत खस्ता ही मिले, ऐसा भी हो सकता है कि सरकार ने उस अस्पताल पर करोड़ों रूपए खर्च कर रखे हो, अगर करोड़ों रूपए खर्च करने के बाद भी मरीजों को सही सलाह या फिर यूं कहे अच्छे तरीके से उपचार ना मिले तो शायद ये अपने आप में एक सवाल बन जाता है कि क्या सरकारी अस्पताल आईसीयू में है !
जी हां हम बात कर रहे है हरियाणा की सीएम सिटी करनाल की, जहां पर कल्पना चावला मेडिकल काॅलेज और अस्पताल हरियाणा सरकार ने करोड़ों रूपए खर्च करने के बाद बनाया, और वहां पर बेहतर से बेहतर डाॅक्टरों की तैनाती भी की, ताकि अस्पताल में आने वाले किसी भी मरीज को बिना उपचार के ना जाना पड़े, लेकिन ऐसे में क्या हो जब उपचार करने वाला डाॅक्टर ही मरीज का इलाज करने की बजाए उसे निजी अस्पताल में जाकर अपना इलाज करवाने की सलाह दे डाले !
जी हां ये सच है,क्योंकि आजकल हरियाणा के करनाल में स्थित कल्पना चावला मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल में तैनात कई लालची डाॅक्टर ऐसा ही कर रहे है ! जिसकी सीधी तस्वीरे हमारे कैमरे में कैद हुई है, आप पहले तस्वीरे देखिए उसके बाद खुद-ब-खुद आप अंदाजा लगा लेंगे की वाकई ये सच है।
आप तस्वीरों में देखिए किस तरह से एक मरीज जिसका नाम साबिर है, और वो यूपी के शामली से जाड़ में दर्द की वजह से गर्दन पर हुई स्वेलिंग की समस्या को लेकर कल्पना चावला के सरकारी डाॅक्टर के पास आया , साबिर यह सोचकर अपने प्रदेश से दूसरे प्रदेश में आया की शायद वहां उसका फ्री में उपचार होगा,लेकिन इसे क्या पता था कि जिस सरकारी अस्पताल में आकर वो डाॅक्टर से अपने इलाज की बात कर रहा है वो डाॅक्टर ही इसे निजी अस्पताल में जाकर उपचार कराने की सलाह देगा, इतना ही नहीं डाॅक्टर खुद ही उसके इलाज के लिए पूरे पैकेज की बात करेगा !
तो जब डाॅक्टर ने मरीज से कहा कि आपको 16 हजार रूपए देने होंगे, और आपका पुरे तीन दिन पूरा ट्रीटमेंट होगा, आपको सिर्फ 16 हजार देने है। बाकी सब मैं देख लूंगा। जिसके बाद मरीज सरकारी अस्पताल में तैनात डाॅक्टर को हा कर देता है, और उसके बाद शुरू होता है आंख मिचैली का खेल, क्योंकि ये सरकारी अस्पताल मे डयूटी पर है, और वहां से किस तरह से वो अपनी गाड़ी में तैनात होकर निजी अस्पताल पहुंचता है, जहां पर मरीज पहले से ही डॉक्टर का इंतजार कर रहा होता है।
डाॅक्टर साहब भी निजी अस्पताल आ जाते है, जिसके बाद वो निजी अस्पताल की कुछ कागजी कार्रवाई को पूरा करते है, और फिर कुछ देर मरीज से बात करके वापिस सरकारी अस्पताल में लौट आते है, लेकिन उसके बाद फिर निजी अस्पताल में नया ड्रामा शुरू होता है, यहां पर बिल्कुल ठीक-ठाक मरीज को यहां के डाॅक्टर कहे या फिर कंपाउंडर ने उसे व्हीलचेयर पर बिठा दिया, और उसे पूरी तरह से मरीज साबित कर दिया।
वो मरीज साबिर को व्हीलचेयर पर बिठाकर ही एक्सरे रूम तक लेकर गए, जहां से मरीज साबिर अपने पैरो से चलकर खुद एक्सरे रूम के अंदर गया। जहां पर एक्सरे कराने के बाद फिर वो खुद ही आकर व्हीलचेयर पर बैठ गया। जिसके बाद फिर उसका इलाज करने के लिए उसे किसी दूसरे कमरे में व्हीलचेयर के जरिए ही ले जाया गया। मतलब साफ है एक ठीकठाक इंसान को पैसे ऐंठने के चक्कर में किस तरह से मरीज बनाया दिया जाता है, ये इन तस्वीरों को देखकर जरूर साबित हो गया !
कुछ देर बात मरीज के परिजन और डाॅक्टर साहब की बात होती है, और उसे एडमिट कर लिया जाता है, इसके बाद सरकारी अस्पताल में तैनात डाॅक्टर मन्नु निजी अस्पताल मे डाॅक्टरों से फोन पर बात करता है, और मरीज को एमरजेंसी में ले जाने की बात कहता है, मरीज को एम्बलुेंस में ले जाया जाता है, उसके बाद कोई भी डाॅक्टर वहां पर नहीं आता, जिसके बाद फिर मरीज के परिजन डाॅक्टर मन्नु को फोन करते है, और कहते है कि मरीज को एमरजेंसी में ले जाया गया, पर कोई डाॅक्टर वहां पर नहीं आता।
जिसके बाद खुद डाॅक्टर मन्नु सरकारी अस्पताल से प्राइवेट अस्पताल में आता है, और अपने हाथों से ही वहां पर मरीज का आॅपरेशन करता है, और आॅपरेशन करने के बाद मरीज के परिवार से बात करता है, और फिर वापिस सरकारी अस्पताल लौट जाता है।
बहरहाल जिस तरह से डाॅक्टर मन्नु ने अदला-बदली का खेल खेला, उससे तो एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग के तमाम दावों की पोल खुल गई, की सरकार कहती नहीं थकती की वो स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर दुरूस्त है, लेकिन ये क्या सरकार की सारी दुरूस्ती को डाॅक्टर मन्नू ने उजागर कर दी। फिलहाल अब देखना ये होगा की सरकारी डाॅक्टर पर जिला प्रशासन या फिर स्वास्थ्य विभाग का कोई नुमाइन्दा क्या कुछ कार्रवाई करता है। या फिर स्वास्थ्य विभाग अपने विभाग की नाक बचाने के चक्कर में इसे ठंडे बस्ते मे डाल देगा।
तो देखा आपने की किस तरह से एक डाॅक्टर दो जगहों पर डयूटी देकर सरकार और आम जनता को धोखा रहा है, और सरकार की स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवालीय निशान लगवा रहा है। खैर जो भी हो हमारी टीम ने एक बार फिर सरकार और सरकारी डाॅक्टरों की पोल खोल कर रख दी। जो सरकार स्वास्थ्य को लेकर बड़ी-बड़ी बात करती थी, उनकी सभी बड़ी-बड़ी बातों को सरकारी डाॅक्टर ने ही पलीता लगा दिया। फिलहाल आज की स्पेशल खास पेशकश सरकारी डाॅक्टर बना दलाल, में सिर्फ इतना ही, हम फिर होंगे हाजिर किसी ओर स्पेशल रिपोर्ट के साथ !