November 22, 2024

करनाल में अब ब्रेन टयूमर का ईलाज संभव है! करनाल में दो डाक्टरों की एक टीम ने टीम वर्क से काम करते हुए एक महिला के ब्रेन टयूमर का सफल ईलाज किया है। हालांकि आपरेशन में चार घंटे का वक्त लगा मगर टयूमर निकलने
के बाद महिला पूरी तरह से स्वस्थ्य है। पूरे हरियाणा में संभवत: ब्रेन टयूमर निकालने का ये पहला आपरेशन है जिसे न्यूरो सर्जन डा. अश्वनी कुमार व ईएनटी सर्जन डा. अभिनव बंसल ने अथक मेहनत से सफल किया है।

पानीपत के जलालापुर गांव की रहने वाली 40 वर्षीय मुन्नी देवी को तीन महीने से सर दर्द की शिकायत थी। सर दर्द की शिकायत के बीच उसकी आंखों की रोशनी पर भी असर पडऩे लगा। एक आंख से दिखाई देना लगभग बंद हो गया। आंखों के डाक्टर को दिखाया तो उसने आंख की समस्या बता कर चश्में का नंबर दे दिया।लेकिन समस्या दूर नहीं हुई। फिर किसी अस्पताल के डाक्टर ने एमआरआई कराने की सलाह दी।

एमआरआई के बाद स्पष्ट हुआ कि महिला के मस्ष्टिक में 2 सेंटीमीटर से बड़ा टयूमर है। वह महिला करनाल के विर्क अस्पताल में पहुंची। एम्स से यहां अपनी सेवाएं दे रहे न्यूरो सर्जन डा. अश्वनी ने आमआरआई देखी तो लगा कि उन्होंने इसी अस्पताल में कार्यरत ईएनटी सर्जन डा. अभिनव से बात की। काफी विचार के बाद दोनों ने एंडोस्कॉपी तकनीक से आपरेशन का विचार किया। दिक्कत ये थी कि ये आपरेशन किसी एक डाक्टर को नहीं करना था।

महिला के नांक के रास्ते से यंत्र डालकर दिमाग तक पहुंचाना था और फिर वहां से टयूमर को निकालना था। हालांकि टयूमर निकालने का एक तरीका ये भी है कि सिर को खोल कर ओपन सर्जरी के जरिये टयूमर निकाला जाएं मगर इसमे जोखिम बहुत ज्यादा होता है। ब्रेन से टयूमर निकालने के दौरान जान जाने का खतरा तो रहता ही है साथ ही ब्रेन की किसी गलत नस के प्रभावित होने से लकवा होने की आशंका भी बढ़ जाती है।

डाक्टर अश्वनी पहले भी इस तरह के आपरेशन कर चुके थे लेकिन डा. अभिवन का ये पहला आपरेशन था। लेकिन दोनों ने इस आपरेशन को सफल करने की ठानी और शनिवार को अस्पताल में दाखिल हुई मुन्नी देवी का सफल आपरेशन कर दिया। 40 साल की मुन्नी जो अपनी आंखों की रोशनी खो चुकी थी ईलाज के बाद न सिर्फ आंखों की रोशनी लौट आई बल्कि सिर दर्द भी ठीक हो

गया। मुन्नी देवी बेहद खुश है और डाक्टरों का आभार व्यक्त करते नहीं थक रहीं है। डा. अश्वनी और डाक्टर अभिवन का कहना है कि उनके लिए नांक के रास्ते टयूमर निकालना जोखिम भरा जरुर था लेकिन ईश्वर की कृपा से उन्होंनेे कर दिखाया है। उन्होंने कहा कि ये सही है कि टयूमर का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं लेकिन अब इसका सफल ईलाज किया जा सकता है।

ईलाज के खर्च के बारे में उन्होंने बताया कि दिल्ली या किसी मैट्रो सिटी में जहां इस ईलाज पर चार से पांच लाख खर्च हो जाते हैं वहीं यहां मात्र सवा लाख रुपए तक के खर्च में ईलाज हो गया है। वरिष्ठ अनेस्थिटिस्ट डा.
सुनील सेठी और डा. विनोद शर्मा ने इस सफल इलाज के महत्वपूर्ण सहयोग किया।

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