November 3, 2024

वैसे तो जिंदगी में हर रिश्ते की एक खास अहमियत होती है, लेकिन मां और बच्चे का रिश्ता ऐसा होता है जो सबसे अनमोल है। आपने सुना भी होगा कि भगवान हर जगह नहीं पहुंच सकते इसलिए उसने मां को अपने रूप में भेजा है। मां-बच्चे के रिश्ते को आदर देते हुए मदर्स डे सेलिब्रेट किया जाता है।

दृढ़ निश्चिय और बुलंद होंसले हो तो कोई भी मंजिल मुशिकल नहीं है। कड़ी मेहनत कर हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। गांव नरूखेड़ी की रीना को बचपन में पीटी करनी भी नहीं आती थी। लेकिन अब जैविलन थ्रो में एशियन चैंपियनशिप की तैयारी में जुटी है। नेशनल में ढेर सारे मेडल जीत चुकी है।

रीना ने बताया कि समाज के ज्यादातर लोग दिव्यांगों के लिए अच्छी सोच नहीं रखते। इसी कारण दिव्यांगों का हौंसला टूट जाता है। उसने कि मैं कक्षा सातवीं में थी। पीटीआई टीचर ने मेरे को यह कहते हुए बिठा दिया कि तुमसे पीटी नहीं होगी। मेरे को बहुत बुरा लगा। लेकिन मैंने उसी दिन ठान ली कि पीटी तो क्या जीवन में कुछ करके दिखाना है। इसके बाद कड़ी मेहनत शुरू की। जैवलियन थ्रो में काफी मेडल जीत चुकी है। अक्टूबर में होने वाली इंडोनेशिया एशियन चैपिंयन के लिए तैयारी कर रही है। कर्ण स्टेडियम में प्रतिदिन तीन घंटे अपनी आंगनवाड़ी की डयूटी देकर प्रैक्टिस करने आती है।

रानी के दोनों बच्चे स्कूल में जाकर दिखाते है अपनी मां के गोल्ड –

रानी ने 2004 में रणवीर के साथ शादी की, जिसके बाद उन्होंने गांव में आंगनवाड़ी वर्कर लगने के लिए अप्लाई किया। वे आंगनवाड़ी के पेपर में पास हो गई। जिसके बाद उन्होंने अपनी डयूटी के साथ जैवलिन थ्रो खेल की प्रैक्टिस कर्ण स्टेडियम में 2014 से शुरूआत कर दी। रानी के जश्नदीप, अजय दो बच्चे हैं, जो स्कूल में जाकर अपनी मां के गोल्ड मेडल को अपने दोस्तों को दिखाते है।

दिव्यांग खिलाड़ी रानी ने जीते मेडल

  • 2015 गाजियाबाद रनिंग एक ब्रांज मेडल
  • 2015 गाजियाबाद डिशकश थ्रो दो सिल्वर मेडल
  • 2016 पंचकूला जैवलियन थ्रो गोल्ड
  • 2016 पंचकूला रनिंग गोल्ड
  • 2016 पंचकूला डिशक्श थ्रो गोल्ड
  • 2017 राजस्थान जैवलिन गोल्ड
  • 2017 राजस्थान डिशकश थ्रो दो ब्रांज

अभिभावक बचपन में युवाओं के साथ न करे ये गलती करनाल की गांव नरूखेड़ी की रहने वाली जैवलियन थ्रो नेशनल गोल्ड मेडलिस्ट दिव्यांग खिलाड़ी रानी ने बताया कि बचपन में तीन साल की थी तो घास काटने वाली मशीन में एक हाथ कट गया था। लेकिन उन्होंने सभी अभिभावकों से अपील की बच्चों को ऐसी जगह न खेलने दें, जिससे उनका नुकसान हो जाए। चारा मशीनों से बच्चों को दूर रखें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.