April 19, 2024

Live – देखें – सेना में लेफ्टिनेंट बनने के बाद दीक्षांत जब पहुँचा करनाल में अपने गांव तो गांववालों ने किया ढोल नगाड़ों पर जोरदार स्वागत ,देखें Live – Share Video

करनाल के गांव धानोखेडी का दीक्षांत कांबोज बना थल सेना में लेफ्टिनेंट, परिवार व पूरे गांव में खुशी का माहौल

लेफ्टिनेंट ने बताया माता पिता के सपने को साकार करने के लिए सेना में हुआ भर्ती , पिता बोले सैनिक स्कूल में बच्चों को जाते देख दीक्षांत को भेजा था सैनिक स्कूल !

करनाल के इंद्री के गांव धानोखेडी के 22 वर्षीय दीक्षांत कांबोज के भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनने पर पूरे परिवार में खुशी का माहौल है। दीक्षांत कांबोज देहरादून स्थित इंडियन मिल्ट्री एकेडमी से करीब एक वर्ष की कड़ी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद यमुनानगर पहुंचे जहां उनके पिता नौकरी करते है। इसके बाद दीक्षांत अपने परिवार सहित अपने गांव धानोखेडी पहुंचे जहां उनके दादा दादी सहित परिवार के अन्य लोगों ने ढोल बजाकर उनका स्वागत किया।

दीक्षांत के सेना में लेफ्टिनेंट बनने पर जहां पूरे परिवार में खुशी का माहौल है वहीं पूरे गांव को भी उस पर नाज है। दीक्षांत के दादा बलबीर सिंह सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि दीक्षांत गांव का पहला लड़का है जो सेना में भर्ती हुआ है। दीक्षांत ने सेना में भर्ती होकर पूरे कांबोज समाज का नाम ऊंचा किया है।

दीक्षांत कांबोज ने बताया कि उनके माता पिता का एक ही सपना था कि उनका बेटा सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करे। इसलिए माता पिता के सपने को पूरा करने के लिए मैने नेशनल डिफेंस एकेडमी का एग्जाम दिया। पहली बार में रिटर्न टैस्ट क्लियर हो गया परन्तु इंटरव्यू में रह गया। परंतु फिर भी हिम्मत नहीं हारी और छह महीने के बाद अधिक मेहनत व उत्साह के साथ दोबारा एग्जाम दिया।

जो दूसरी दफा लिखित परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू पास भी पास हो गया। इसके बाद नेशनल डिफेंस एकेडमी पुणे में तीन साल तक ग्रेजुऐशन व ट्रेनिंग की। जो पुणे की ट्रेनिंग के बाद जनवरी 2020 में देहरादून स्थित इंडियन मिल्ट्री एकेडमी में करीब एक वर्ष की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद अब आसाम में ड्यूटी कर देश सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ है।

दीक्षांत के पिता जिले सिंह पीडब्ल्यूडी में जेई के पद पर कार्यरत है। उनका कहना है कि जब उनकी ड्यूटी करनाल थी तो उन्होंने बच्चों को सैनिक स्कूल में पढ़ते देखा। बस तभी से उन्होंने सोचा कि वो भी अपने बेटे को सैनिक स्कूल में पढ़ाएंगे ताकि उनका बेटा देश की सेवा कर सके। इसलिए दीक्षांत के 8 वीं पास करने के बाद उन्होंने उसका एडमिशन सैनिक स्कूल कुंजपुरा में करवा दिया। अपनी कड़ी मेहनत ओर लग्न के बलबूते पर ही दीक्षांत ने लेफ्टिनेंट का पद हासिल किया है।

माता सारिका कांबोज का कहना है कि आज का दिन उनके लिए बहुत खास है। हर मां बाप का सपना होता है कि उनका बेटा उनके सपने को साकार करे। दीक्षांत ने सेना में भर्ती होकर हमारे सपने को पूरा किया है। आज पूरे परिवार को दीक्षांत पर गर्व है।

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