April 25, 2024

करनाल। राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान में डेरी खाद्य पदार्थो में प्रदूषण और मिलावट की निगरानी के लिए रैपिड बायो-सेंसर और माइक्रो-तकनीक विषय पर चल रही 21 दिवसीय काफ्ट (सेंटर फॉर एडवांस फैकल्टी ट्रेनिंग) ट्रेनिंग प्रोग्राम का समापन हो गया। संस्थान के निदेशक डा. आरआरबी सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों से आए प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभागियों को खाद्य उद्योग में बायोसेंसर के उभरते क्षेत्र के बारे में अवगत करवाया गया।

डा. आरआरबी सिंह ने कहा कि खाद्य सुरक्षा एक उभरता हुआ विषय है। ऐसा देखा गया है कि खाद्य अनुसंधान पर खर्च होने वाली राशि का 70 प्रतिशत हिस्सा मात्र खाद्य सुरक्षा पर ही खर्च होता है। वर्तमान मेें खाद्य पदार्थो का मुल्यांकन करने में बायो-सेंसर और माइक्रो-तकनीक अहम भूमिका रही हैं। डा. सिंह ने यह भी बताया कि बीते 6 वर्षो में एनडीआरआई में डेरी खाद्य सुरक्षा विषय पर उल्लेखनीय कार्य किए हैं।

संस्थान ने खाद्य पदार्थो में होने वाली मिलावट को पकडऩे के लिए विभिन्न प्रकार की तकनीकें विकसित की हैं, जिन्हें इस प्रकार की ट्रेनिंग के माध्यम से प्रतिभागियों को अवगत करवाया जाता है। डा. सिंह ने प्रतिभागियों से आह्वान किया कि इस ट्रेनिंग में आपने जो कुछ भी ज्ञान प्राप्त किया, उसे अपने साथियों व विद्यार्थियों के साथ जरूर सांझा करें, ताकि यह ज्ञान नई जनशक्ति लिए सहायक साबित हो सके।

डा. लता सबीखी, निदेशक, सेंटर फॉर एडवांस फैकल्टी ट्रेनिंग ने बताया कि पिछले दो दशक में डेयरी और पशु विज्ञान शिक्षा प्रदान करने वाले लगभग सभी विश्वविद्यालयों में प्रशिक्षिण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।

पाठ्यक्रम के कोर्स डायरेक्टर डा. नरेश गोयल ने बताया कि इस ट्रेनिंग में प्रतिभागियों को संस्थान द्वारा विकसित की गई तकनीकों के बारे में अवगत करवाया गया। उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों में स्थापित कृषि विश्वविद्यालयों में कार्यरत 22 प्रतिभागियों ने भाग लिया था। 21 दिवसीय ट्रेनिंग के दौरान 40 व्याख्यान व 25 प्रेक्टिकल करवाए गए।

इस मौके पर प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में अपने अनुभव सांझा किए। डॉ. रघु एच.वी. ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) डा. बिमलेश मान, डा. राजन शर्मा, डा. गौतम कौल, डा. शिल्पा विज, डा. चांद राम  सहित अन्य वैज्ञानिक एवं विद्यार्थीगण मौजूद रहे।

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