April 18, 2024
  • त्रिवेणी आने वाली पीढिय़ों के लिए वरदान, शास्त्रों में है विशेष महत्व: ममता बंसल
  • ममता बंसल ने त्रिवेणी लगाकर मनाया समाधानांचल के साथ अपना जन्मदिवस

करनाल, 6 अगस्त: समाधानांचल सेवा समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट संतोष यादव द्वारा चलाए जा रहे त्रिवेणी लगाने के पुण्य कार्य को आगे बढ़ाते हुए जॉयलेप स्कूल की डायरेक्टर ममता बंसल ने स्कूल के बाहर बने पार्क में अपने जन्मदिवस पर 482वीं त्रिवेणी लगाई और त्रिवेणी से होने वाले लाभों के बारे में अवगत करवाया।
जॉयलेप स्कूल की डायरेक्टर ममता बंसल ने अपने सम्बोधन में कहा कि त्रिवेणी बड़, नीम और पीपल तीन पेड़ो का संगम होता है।

त्रिवेणी हमे हमारी संस्कृति से जुडऩे का संदेश देती हैं। इसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा कि त्रिवेणी हमे आध्यात्मिकता से जोड़ती हैं और यह आने वाली पीढिय़ो के लिए वरदान हैं। उन्होंने कहा कि हर इंसान को अपना जन्मदिवस त्रिवेणी लगाकर मनाना चाहिए ताकि आने वाली पीढिय़ों को इसका लाभ मिल सके।

उन्होंने कहा कि जहां त्रिवेणी लगी होती हैं वहां हर पल सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता हैं। त्रिवेणी प्राणियो में प्राणो का संचार करती हैं और जब तक पृथ्वी पर प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता है तब त्रिवेणी सहियोग प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि हमें अभी से पर्यावरण को लेकर सजग होना होगा तभी हम अपने आने वाले समय को सुरक्षित रख पाएंगे।

उन्होंने कहा कि त्रिवेणी में सभी देवी-देवताओं एवं पितरों का वास माना जाता है। त्रिवेणी हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहने का संदेश देती है और त्रिवेणी का शास्त्रों में भी विशेष महत्व है।

समाधानांचल के राष्ट्रीय महासचिव राव रणविज ने कहा कि हर इंसान को अपने जीवन में कम से कम एक त्रिवेणी अवश्य लगानी चाहिए। जैसे-जैसे त्रिवेणी बढ़ती है वैसे ही आपकी सुख-स्मृद्धि भी बढ़ेगी और आपके सभी कष्ट स्वत: मिट जाएंगे। उन्होंने कहा कि हर इंसान के थोड़े-थोड़े योगदान से एक बड़ी चीज का निर्माण होता है।

उन्होंने कहा कि दूसरों की भलाई के लिए जो सांसे हमने जी हैं वही असल में जिंदगी है। उन्होंने कहा कि ये त्रिवेणी एक साधारण वृक्ष न होकर इसका अध्यात्मिक महत्व है। त्रिवेणी को शास्त्रों में स्थाई यज्ञ की संज्ञा दी गई है। जहां त्रिवेणी लगी होती है वहां हर पल हर क्षण सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह चलता रहता है।

हर वह सांस जो श्रद्धाभाव से अध्यात्मिक भाव से इस त्रिवेणी को लगाता है या लगवाता है या फिर इसका पालन पोषण करता है उसका कोई भी सात्विक कर्म विफल नहीं जाता।

दूसरी ओर ये तो पर्यावरण की लड़ाई है और न्याय की लड़ाई है इसे हम मानते हैं कि वन, जलवायु और पर्यावरण सभी के सांझे सरोकार है और मेरे विचारों से इन सांझे सरोकारों का निबाह करने के लिए ही हमने त्रिवेणी लगाने की मुहिम छेड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि लगातार प्रदूषित हो रहे पर्यावरण को बचाने में त्रिवेणी अहम भूमिका निभाती है।

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