April 26, 2024
  • गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुए निंदनीय घटनाक्रम ने भारत के लोकतंत्र की गरिमा को चोट पहुंचाई – हरविंद्र कल्याण
  • किसानो के नाम पर उपद्रव, अव्यवस्था फैलाने वाले, तिरंगे का अपमान करने वाले उपद्रवियों को समाज कभी माफ नहीं करेगा

करनाल। घरौंडा विधायक हरविंद्र कल्याण ने कहा है कि गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुए निंदनीय घटनाक्रम ने भारत के लोकतंत्र की गरिमा को चोट पहुंचाई है। किसानों के नाम पर जो उपद्रव तथा अव्यवस्था फैली, तिरंगे का अपमान हुआ, उसके लिए देश व समाज कभी इन उपद्रवियों को माफ नहीं करेगा।

विधायक कल्याण ने दिल्ली में गणतंत्र के पावन पर्व पर हुए बवाल एवं हिंसा की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कि वे नेता अब कहां हैं जो इस ट्रेक्टर मार्च की जिम्मेदारी उठा रहे थे। संविधान की मान्यता के पर्व पर देश की राजधानी के दृश्य लोकतंत्र की गरिमा पर चोट पहुंचाने वाले हैं। देश के सम्मान के साथ ही सभी का सम्मान है।

हिंसा लोकतंत्र की जड़ों में दीमक के समान है, जो लोग मर्यादा के बाहर जा रहे हैं वे अपने आंदोलन व अपनी मांग की वैधता व संघर्ष को खत्म कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ट्रेक्टर मार्च की जिम्मेदारी लेने वाले किसान संगठनों के नेता गायब हो गए हैं, उन्हें सामने आकर बताना चाहिए कि वे कौन हैं जो किसानों के नाम पर हिंसा कर रहे हैं तथा गणतंत्र दिवस के पावन दिन पर ऐसे वातावरण का जिम्मेदार कौन है?

विधायक हरविंद्र कल्याण ने कहा कि आज पूरा समाज यह जानना चाहता है कि कानूनों में संशोधन की गारंटी व डेढ साल तक रोक लगने के फैसले के बाद भी गणतंत्र दिवस पर अपनी ही राजधानी को कौन किस मकसद से दहला रहा है। उन्होंने कहा कि देश का लाल किला भारत के सम्मान का प्रतीक है और इस पर संविधान ने देश के प्रधानमंत्री को ही झंडा फहराने का अधिकार दिया है।

आज तिरंगे के अतिरिक्त दूसरे झंडा फहराने की घटना देश के हर नागरिक को शर्मिंदा करने वाली है। कल्याण ने कहा कि पुलिस ने शर्तों के साथ किसानों को ट्रेक्टर परेड निकालने की इजाजत दी थी तथा किसान नेताओं ने भी खुद कुछ नियम तय किए थे लेकिन ट्रेक्टर मार्च आगे बढ़ा तो प्रदर्शनकारियों ने सभी नियम-कायदे ताक पर रख दिए।। कई प्रदर्शनकारी जगह जगह बैरिकेडिंग तोडते हुए दिल्ली के अंदर घुस गए और तोड़फोड़ की।

प्रदर्शनकारियों के हंगामे और पुलिस को दौड़ाने व पत्थरबाजी करने पर किसान नेताओं ने भी पल्ला झाड़ लिया है। समाज यह भी सवाल कर रहा है कि शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसानों को समय समय पर आखिर कौन भड़का रहा है?

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