April 18, 2024
जेइइ-एडवांस एवं नीट की परीक्षा में क्वालिफाईड विद्यार्थियों के सम्मान में सेक्टर-6 स्थित जाने माने शिक्षण संस्थान जेनिसिस क्लासिस ने सम्मान समारोह ;रि-यूनियनद्ध का आयोजन किया गया। इसमें बच्चों के साथ उनके अभिभावकों ने भी शिरकत की। यह कार्यक्रम सैक्टर-12 स्थित गोल्डन मूमेंट में आयोजित किया गया। इस सम्मान समारोह में मंच पर अभिभावक बच्चों के टीचर बनकर आए और उन्होंने बच्चों के साथ की गई पढ़ाई और उनको दिखाए रास्ते को सांझा किया। किसी के पिता ने बच्चों को इंजीनियर बनने का रास्ता दिखाया तो, किसी की माता ने एक आदर्श डॉक्टर बनने की प्रेरणा दी।
जेनिसिस ने बच्चों के साथ उनके अभिभावकों का भी अभिनंदन किया। जेनिसिस क्लासिस के अध्यापकों ने बच्चों को गुर दिया कि वह आईआईटी व मेडिकल कॉलेजों में जाकर किस प्रकार से पढ़ाई करें और जूनियर को आगे बढ़ाने का हौसला दें। अंत में जेनिसिस क्लासिस के डायरेटरस जितेंद्रा अहलावत व नवनीत सिंह ने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए उन्हें सलाह दी की एक डाक्टर व इंजीनियिर बनने के साथ-साथ एक अच्छा इंसान भी बने।
विनीत सिंगला
देश का मान-सम्मान रखने का मौका मिला तो आगे रहेंगे।
मैकेनिकल में विनीत सिंगला का सलेक्शन आईआईटी गुवाहटी में हुआ है। उसने 14 से 15 घंटे की पढ़ाई कर इस मुकाम हो हासिल किया। बिजनेसमैन पिता सुभाष चंद सिंगला और माता अंजु गुप्ता ने बेटे का मन लगाने के लिए रातभर उसके पास रहते थे। विनीत कहते हैं कि इंजीनियर बनने पर देश के मान सम्मान में उससे आगे बढ़ने का मौका मिला तो वह पीछे नहीं हटेंगे।
डाक्टर प्रोफेशन में नाम रोशन करना-विशांत गुप्ता
सेक्टर-13 निवासी विशांत गुप्ता के पिता विजयपाल गुप्ता कैमिस्ट हैं। पिता के नक्शे कदम पर बेटे ने डाक्टर बनने की राह चुनी। मेडिकल की पढ़ाई के लिए एमएएमसी दिल्ली में एडमिशन लिया है। माता विभा गुप्ता कोंचिग सेंटर चलाती है। वह कॉर्डियोलॉजिस्ट बनना चाहता है। किसी को जिंदगी देने में सुकून मिलेगा।
माता की राह से बेटी बनेगी डाक्टर: ऐंजला जैन
पानीपत की ऐंजला जैन बॉयोलाजी और मैथ से टॉपर है। माता कुंजन जैन का सपना रहा कि बेटी को डाक्टर बनाना है। यही कारण है कि ऐंजला जैन ने पढ़ाई में दिलचस्पी ज्यादा ली। ऐंजला का कहना है कि सवालों में उलझना उसका शौक है। आगे बढ़ने के लिए उसी लाइन में बोझ न समझते हुए दिलचस्पी लेनी होगी। तभी आगे रास्ते मिलते रहेंगे। उसने बताया कि जेनिसिस में मैने 2 साल की तैयारी 6 महीने में करके यह मुकाम हासिल किया।
कारपेंटर की बिटिया ने बढ़ाया पिता का सम्मान: सिमरण
घरौंडा के एक कारपेंटर वेदपाल की बेटी सिमरण ने सम्मान बढ़ा दिया है। बायोटेक्निकल में सिमरण का दिल्ली आईआईटी में दाखिला हुआ है। जेनिसिस क्लासिस ने भी बच्ची में प्रतिभा देखते हुए कम फीस ली और बेटी ने अच्छे नंबर से इस कर्ज को उतार दिया। सिमरण ने दो साल तक 15 से 16 घंटे रोजाना पढ़ाई की। अब चार साल की पढ़ाई में मंजिल पकड़नी है।
बड़ी सफलता के लिए छोटी खुशियों का बलिदान जरूरी
सेक्टर-9 में रहने वाली कनिष्का गुप्ता ने 587 अंक प्राप्त कर 2628वा रेंक प्राप्त किया। उसकी सफलता का मूलमंत्र बड़ी सफलता के लिए छोटी खुशियों का बलिदान जरूरी है। उसने कहा कि अंकों की चिंता नहीं करनी चाहिए। उसके पिता केवल गर्ग और माता रश्मि गर्ग काफी खुश थे। वह रेडियोलॉजिस्ट बनना चाहती है। उसने कहा कि सफलता के लिए 10 से 12 घंटे पढ़ाई की। एनसीआरटी किताब के साथ-साथ जेनिसिस के नोट्स, प्रीवीसिर्यस और गु्रप डिस्कशन मूल तौर पर सफलता का कारण बना है।
पांखुड़ी बनना चाहती है रेडियोलॉजिस्ट
नीट में 578 अंक प्राप्त कर मेडिकल कॉलेज में दावेदारी सुनिश्चित करने वाली पांखुड़ी के पिता बृजेश गुप्ता तथा माता उर्वषी गुप्ता काफी खुश थे। उसके सेक्टर-13 निवास पर खुशी मनाई जा रही थी। वह रेडियोलॉजिस्ट बनना चाहती है। उसने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और जेनिसिस को दिया है। उसने बताया कि 10 से 12 घंटे तक लगातार पढ़ाई की। उसने बताया कि घर से बाहर जाकर पढ़ाई करना कठिन होता है और पैसे भी खराब होते है। जेनिसिस क्लासिस में उसे टीचरस का उचित मार्गदर्शन मिला। ग्रुप डिस्कशन के माध्यम से उसे आगे बढ़ने का अवसर मिला। जेनिसिस उसके लिए मददगार साबित हुआ। उसका बड़ा भाई शुभम गुप्ता भी यहां से पढ़कर आईआईटी में सलेक्ट हुआ।
कार्डियोलॉजिस्ट बनना चाहती है जागृति लाठर
नीट में 561 अंक प्राप्त करने वाली जाृगति लाठर ने 4887 रेंक हासिल की। मेडिकल के क्षेत्र में वह कार्डियोलॉजिस्ट बनना चाहती है। उसके 5 स्थित निवास पर पिता जोगिंद्र लाठर तथा माता रेखा लाठर काफी खुश थे। 10 से 12 घंटे तक उसने पढ़ाई की। उसने बच्चों को के साथ गु्रप डिस्कशन किया जिससे उसको बहुत लाभ मिला। उसने टेस्ट सीरिज के साथ नोट्स और एनसीआरटी की किताबें पढ़ी। उसने अपने पिता को अपना प्रेरक बताया। उसने कहा कि जेनिसिस में रहकर उसे सफलता का रास्त मिला यहां उसकी सफलताओं के लिए मार्ग प्रशस्त किया।

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