March 29, 2024

पिछले लंबे समय से वो बीमार थे लेकिन करीब एक वर्ष के लंबे इलाज के बाद वो जिंदगी की जंग हार गए !निराशाजनक व नकरात्मक माहौल में भी कैसे खुश रहा जा सकता है ये वड़ैच जी अच्छी तरह जानते थे ,अपनी अंतिम इच्छा के मुताबिक उनके देह को परिवार ने रिसर्च हेतु पीजीआई रोहतक को दान कर दिया ,फैसला बेहद दर्द भरा है लेकिन परिवार ने उनकी अंतिम इच्छा पूरी की !

एक और शेर-ए-करनाल चला गया ,
शेरे-ए- करनाल नवजोत सिंह वड़ैच जो कि करनाल की आन बान और शान थे एक बुलंद आवाज के साथ जिए !

कोई भी सामाजिक मुद्दा उठाना हो, शिक्षा का क्षेत्र हो, समाज की सेवा का क्षेत्र हो हमेशा बुलंद आवाज के साथ जिए और अपने माता पिता के बताए मार्ग पर चलते हुए अपने जीवनकाल में ही मंशा जाहिर कर दी थी कि मेरे मरने उपरांत मेरे शरीर को अग्नि भेंट ना करके मानवता की सेवा की भलाई के कार्य में लगा देना !

परिवार में उनके बेटे, बेटी पत्नी और माताजी ने उनकी भावना की कद्र करते हुए उनके संपूर्ण शरीर को पीजीआई रोहतक के अंदर डोनेट कर दिया !

इस सेवा कार्य में उनकी बहन जॉय किरत उनकी माता जी, उनकी पत्नी एवं उनके बेटे वा परिवार का संपूर्ण सहयोग रहा !

अपना आशियाना जन सेवा दल के सेवादार अनु मदान द्वारा देर रात्रि उनके परिवार के साथ पीजीआई रोहतक में जाकर उनकी संपूर्ण देह का दान कर दिया !

इनके जाने से समाज के अंदर बहुत बड़ी क्षति हुई जिसकी भरपाई कर पाना बहुत मुश्किल है !

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