( रिपोर्ट – कमल मिड्ढा ,हिमांशु नारंग ): नारा था 75 पार का , भीड़ से गदगद हो जाते थे मुख्यमंत्री , जनता का भी मिलता था प्यार ! लेकिन चुनाव आते- आते ना ही जनता का वो प्यार मिला जिसकी उम्मीद पार्टी को थी और ना ही वो जनादेश जिसके भरोसे अकेले दम पर सरकार बनाई जाए ! अब सरकार तो बन रही है पर अपने दम पर नहीं बल्कि निर्दलीयों के दम पर ! जनता ने 40 सीट बीजेपी को देकर उसे बहुमत से दूर रखा है , पार्टी ने निर्दलीयों विधायकों को अपने समर्थन में जुटा लिया है और सरकार बनाने की बात कह दी है !
क्यों नहीं आया बीजेपी का बहुमत
चुनावों से पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पूरे प्रदेश में एक यात्रा निकाली , जन आशीर्वाद यात्रा ! मुख्यमंत्री बस में सवार होकर पूरे हरियाणा में घूमे , एक विधानसभा क्षेत्र में अलग अलग जगह कार्यक्रम करवाए , हर कार्यक्रम में भीड़ जुटी , पैसे खर्च हुए ,मुख्यमंत्री को सम्मानित किया गया , लेकिन वो भीड़ वोटों में तब्दील नहीं हो सकी ! जिसका खामियाजा बीजेपी को सीटों में नुकसान उठाना पड़ा ! नारा तो 75 पार का ,लेकिन सीटें 40 के पार नहीं पहुंच पाई ,बड़े बड़े मंत्री मैदान हार गए !
फूट से डूबी बीजेपी की लुटिया
जनआशीर्वाद यात्रा के दौरान जो जो टिकटार्थी मैदान में थे , उन सब भावी उम्मीदवारों ने अपने कार्यक्रमों के ज़रिये , भीड़ के ज़रिये , सम्मान के ज़रिये मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और संगठन को खुश करने की कोशिश की ! मुख्यमंत्री खुश भी हुए , लेकिन टिकट के समय पार्टी ने कई नेताओं को टिकट नहीं देकर नाराज़ कर दिया ,जिसका खामियाजा चुनावों में भीतरघात देखने को मिला और 50 के करीब MLA उम्मीदवार बीजेपी के भीतरघात की वजह से हार गए !
कई बीजेपी से बागी नेताओं ने चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई और कई नेताओं ने पार्टी में ही रहकर पार्टी के लिए भीतरघात किया , जिसका परिणाम नतीजों पर पड़ा , बीजेपी 40 पर ढेर हो गई और जनआशीर्वाद यात्रा के दौरान दिया गया अबकी बार 75 पार का नारा , अबकी बार खिचड़ी सरकार में बदल गया !
नेताओं को मनाए रखने में नाकाम हुई बीजेपी
टिकट वितरण के बाद कुछ नेता पार्टी से बागी हो गए थे और उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी ! अगर पार्टी उन्हें मना लेती तो शायद ये देखने को नहीं मिलता , नतीजे कुछ और होते ! लेकिन जब जनता के सामने मौका आया तो जनता ने अपना फैसला साफ़ कर दिया और किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं देकर कई बड़े नेताओं के रसूक को खत्म कर दिया !
कहाँ हुई गलती
जिला स्तर पर भाजपा को जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान बढ़ रही फुट तो नजर आने लगी लेकिन किसी ने अपना मुंह सी एम साहब तक नही खोला ,हमने जब यात्रा करनाल पहुँची तो उसे नीलोखेड़ी हल्के से कवर करना शुरू किया !
नीलोखेड़ी से विधायक भगवानदास कबीरपंथी ने शामगढ़ गांव के जी टी रोड़ पर यात्रा का स्वागत किया वही उसी रूट पर अलग अलग टिकटार्थियों ने भी यात्रा के स्वागत के लिए जहाँ पैसा खर्चा वही अपने अपने रसूख से भीड़ भी जुटाई ताकि पार्टी संघठन उनसे खुश हो जाये और टिकट उन्हें मिल जाये ,लेकिन टिकट तो एक को ही मिलनी थी !
एक एक विधानसभा में अगर एक ही जोरदार स्वागत होता जन आशीर्वाद यात्रा का तो आज हालात शायद यह न होते ,75 पार का नारा देने वाली भाजपा को गोपाल कांडा और चौटाला बंधुओ के समर्थन की जरूरत न पड़ती ! 1-1 विधानसभा में एक स्वागत कार्यक्रम कर मुख्यमंत्री आपसी पैदा हुई फुट को रोक सकते थे लेकिन ऐसा किसी ने नहीं सोचा ,सोचा तो बस यही की हर एक किलोमीटर बाद यात्रा का स्वागत हो जिसमें भीड़ भी नजर आए लेकिन जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान सभी कार्यकर्मो में भीड़ तो जुटाने में भाजपा कामयाब रही लेकिन वोटों में भीड़ ने काफी सोच समझकर वोट दिया !
Khaatar to emandar hai lekin ticket dene me baut chuk hue
workro ke personal kaam bhi nhi kiye
You are right question g