April 19, 2024

करनाल लॉकडाउन के दौरान शराब के ठेके खुलते ही शराब बनाने वाली फैक्ट्री अथवा डिस्टिलरी में चैकिंग के काम भी शुरू हो गए हैं, ताकि एक्साईज़ ड्यूटी को लेकर किसी तरह की चोरी ना हो। इसी मकसद से गुरूवार को उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने जुण्डला के निकट स्थित हरियाणा लिकर्स प्राईवेट लिमिटेड शराब फैक्ट्री का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण में शुगरमिल एमडी प्रद्युमन सिंह तथा डीईटीसी अनिरूद्ध शर्मा भी साथ रहे।

उपायुक्त के अनुसार चैकिंग को लेकर 8 टीमे गठित की गई हैं। प्रत्येक टीम में एक-एक अधिकारी स्तर के ड्यूटी मजिस्ट्रेट, एक उप निरीक्षक रैंक के पुलिस कर्मचारी तथा एक एक्साईज़ इन्सपैक्टर को शामिल किया गया है। सहकारी चीनी मिल करनाल के एम.डी. प्रद्युमन सिंह को इंस्पैक्शन टीमो का ओवरआल इंचार्ज बनाया गया है।

इस कार्रवाई में शराब बनाने के कारखानो के साथ-साथ एल-1, एल-13 गोदामो को भी चैक किया जा रहा है, जहां फैक्ट्री से निकलने के बाद होलसेल के लिए शराब रखी जाती है। उन्होंने बताया कि अवैध रूप से शराब की मूवमेंट और उसकी ब्रिकी को रोकने के लिए पुलिस द्वारा गश्त कर जो शराब पकड़ी जाती है और उसे मालखाने में रखा जाता है, उस जगह की चैकिंग भी की जा रही है।

उपायुक्त ने बताया कि जुण्डला की तरह जिला में अलग-अलग जगहों पर 2 ओर डिस्टिलरी स्थापित हैं, इनमें भादसों स्थित पिकाडली और गढ़ीबीरबल के पास चंदराव में चल रही शराब फैक्ट्री शामिल हैं। क्षमता के लिहाज से जुण्डला स्थित शराब फैक्ट्री सबसे बड़ी है, जिसमें 1 लाख 65 हजार किलो लीटर स्पीरिट रोजाना तैयार की जाती है। दूसरी ओर चंदराव स्थित फैक्ट्री में 1 लाख 20 हजार किलो लीटर और पिकाडली शराब फैक्ट्री में 90 हजार किलो लीटर प्रतिदिन स्पीरिट तैयार होती है।

फैक्ट्री में मदिरा कैसे बनाई जाती है, निरीक्षण में उपायुक्त ने सबसे पहले इसके यूनिट हैड जेनेन्द्र शर्मा से वार्ता कर इसकी जानकारी ली। डीईटीसी की उपस्थिति में प्रोडक्शन के समस्त रिकॉर्ड को चैक किया। फैक्ट्री में शराब बनाने के लिए सामग्री कहां से आई, उसे प्रोसेस में लेकर किस तरह का और कितना माल तैयार किया। वाहनो के जरिए कितना और कहां-कहां भेजा गया, इस तरह की सारी एंट्री और डॉक्यूमेंट चैक किए।

यूनिट हैड जेनेन्द्र शर्मा ने उपायुक्त को बताया कि फैक्ट्री में टूटे हुए चावल को प्रोसेस में लेकर उसी से ही, यहां देसी व अंग्रेजी दोनो तरह की शराब बनाई जाती है। चावल में स्टार्च होता है और हर वो चीज जिसमें स्टार्च पाया जाता है, को एल्कोहल में परिवर्तित किया जा सकता है।

तीन शिफ्ट में काम किया जाता है, जिसमें लेबर सहित लगभग 400 के करीब महिला और पुरूष काम करते हैं, जिनमें प्रबंधकीय स्टाफ, टैक्निकल स्टाफ और वर्कर शामिल है। लेबर और कर्मचारियों की कोरोना से हिफाजत के लिए मुहं पर सुरक्षित मास्क और सोशल डिस्टैंसिंग का पूरा ख्याल रखा जाता है।

रिकॉर्ड चैक करने के बाद उपायुक्त ने घूमकर शराब फैक्ट्री का निरीक्षण किया। सबसे पहले प्रोडक्शन प्लांट देखा। इसके बाद टूटे हुए चावल की मिलिंग में पानी की मिक्सिंग से उसे फर्मेन्टेशन यानि उबाल करने के बाद डिस्टीलाईजेशन कैसे किया जाता है, उसे देखा। ईएनए (एक्ट्रा नैचूरल एल्कोहल) शराब की प्रोडक्शन का अंतिम रूप है और माल तैयार होने के बाद उसे वेयर हाऊस में रखा जाता है, उसका भी उपायुक्त ने निरीक्षण किया।

तैयार ईएनए बोतलों में भरने के बाद एक्साईज़ के जरिए परमिट से जिला सहित अलग-अलग जगहों पर भेजा जाता है। तैयार माल पर नजर रखने के लिए फैक्ट्री में एक्साईज़ विभाग के ईटीओ या उसके समकक्ष स्तर के अधिकारी नियमित रूप से बैठते हैं।

उपायुक्त ने सोशल डिस्टैंसिंग मास्क और दूसरे सुरक्षा उपायों की जांच की और यहां कार्यरत अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए। निरीक्षण के बाद उपायुक्त ने कहा की इसी तरह जिला की अन्य डिस्टिलरी का निरीक्षण भी जारी रहेगा।

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